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बचपन की यादे

30 जुलाई 2024

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बचपन  की यादो का भी क्या कहना है . स्कूल न जाने के लिए हम भी बड़े बहाने करते थे .

पेट पर अपनी हाथ रखकर जोर से दर्द होने का बहाना किया करता था . पर मम्मी हमें पकड़ 

 लिया करती थी .  और हमे स्कूल जाना पड़ता था . अगर किसी कारन हम स्कूल नहीं जाने का 

बहाना करते थे  , तो मम्मी हमे 1 रूपए वाली चॉकलेट दिलाकर या शाम को अच्छी डिश 

बनाने का वडा करने पर ही हम स्कूल जाय करते थे . स्कूल से आने   के बाद बस हमारा एक ही काम  हुआ 

करता था , बंदरो के चित्र बनाना और यही हमारी पढाई होती थी . ठीक सोने से पहले हमे याद आता था .

मैडम ने हमे होमवर्क दिया हैं . जैसे तैसे आधा अधूरा होमवर्क करके जाते थे . मैडम गुस्से में आकर हमे 

थोड़ी देर के लिए बेंच पर खड़ा कर देती थी. फिर हमे बैठा दिया करते थे . अक्सर मेले के दिन पर 

रेड टी शर्ट और नीचे ब्लैक पेंट पहनना नहीं भूलते थे . स्पेशल चीज सीटी वाले जुटे जो हमारे लिए 

सबसे जयादा महत्वपूर्ण होता था .मेले में पहुंचकर हमारी पहली प्राथमिकता गुपचुप होती थी .

अगर हमने मेले में जाकर गुपचुप का स्वाद नहीं लिया तो हमारा मेला जाना ही व्यर्थ होता था .

एक हाथ में मिठाई और एक हाथ में रंगीन गुब्बारा लेकर हम बड़ी शान से घर लौटते थे .

अपनी गलियों में कंचे खेलना , और   बारिश के  दिनों में कागज की नाव बनाकर पानी पर चलाना 

ही हमारा काम होता था . आज ये स्छूल ,चॉकलेट , मेला और बारिश बहुत याद आती हैं .                                                    




                                                                              




                                                                                    

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