आज विजय दशमी है। जो पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। पूरा देश इस विजय को मानता है। राम भगवान 14 वर्ष बनवास काटकर रावण का वध कर। अयोध्या वापस लौटे थे। ये सिर्फ़ राम की विजय नही है। ये विजय, संकल्प की। ये विजय समर्पण की। ये विजय है साधना की। क्या सच में रावण मर चुका है। या रावण आज भी विकारों के रूप में हमारे अंदर जीवित है। रावण ने भी एक स्त्री का अपमान किया था। आज के युग में भी स्त्री सम्मान कहां रह गया है। रावण ने तो सीता के साथ भी एक मर्यादा बनाई रखी थी। क्या आज हम इतनी मर्यादा पालन कर पा रहे हैं। तो कहीं ऐसा तो नहीं कि हम अपने अंदर के रावण को देख नही पा रहे हैं। जिस प्रकार राम ने अपनी छोटी मां के कहने पर तुरंत वन में चले गए। क्या आज के समय में कोई ऐसा कर पायेगा। रावण के पुतले जलाने से कुछ नहीं होगा जलाना है तो अपने अंदर छुपे हुए रावण को जलाओ।