shabd-logo

बरसात की एक रात

29 अगस्त 2022

22 बार देखा गया 22


  कभी कभी अति का विश्वास बड़े दुख की बजह बन जाता है। समाज में अपमान का कारण बन जाता है। मनुष्य सब कुछ भूल जाता है पर समाज में अपमान के कारण को आसानी से भुला नहीं पाता। इसी अपमान के अहसास में अच्छी सोच के लोग भी नीचता कर बैठते हैं।

  वैसे रुक्मिणी जी आधुनिक सोच की महिला हैं। फिर भी उनसे एक भूल हो गयी। भूल कहो या अति का विश्वास। इकलौते बेटे सोमेंद्र पर उन्हें अति का विश्वास था। सोमेंद्र भी अपनी माॅ का बहुत सम्मान करता था। रुक्मिणी जी ने अपने पति के निधन के बाद सोमेंद्र को बड़ी मुश्किलों से पाल पौस कर बड़ा किया था। सोमेंद्र जो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर है, भी अपनी माॅ की हर बात मानता है।

   बस इसी लिये गलतफहमी हो गयी। सोमेंद्र को शायद अनुमान न था। रुक्मिणी को बेटे पर अति विश्वास था। पर जब उन्होंने अपने बेटे का रिश्ता अपनी सहेली की बेटी सुचित्रा से तय कर दिया तब स्थिति स्पष्ट हुई। सोमेंद्र ने माॅ की पसंद को इन्कार करते हुए अपनी पसंद की लड़की से शादी का इजहार कर दिया। दोनों की आपसी संवादहीनता का परिणाम था कि न चाहते हुए भी समाज में रुक्मिणी जी की थू थू हो गयी।

   वैसे सुनीता को गुणी लड़की मानने के पर्याप्त कारण हैं फिर भी अपमान की ज्वाला रुक्मिणी जी के मन में ऐसी जली कि अक्सर बहू की अच्छाइयों में भी उन्हें बुराई नजर आने लगीं। सुनीता भी जानती थी कि सासू जी की पसंद वह नहीं थीं तो फिर उसका मन भी सास के प्रति कुछ खट्टा हो था। 

  दोनों विपरीत दिशाओं में चलते रहते। मध्यम मार्ग का अनुसरण कोई नहीं कर रहा था। सही गलत का प्रश्न नहीं रहा। बल्कि हर बात का विरोध ही मुख्य रह गया। 

  बरसात के समय सुनीता कुछ भीग गयी। रुक्मिणी ने बहू को ज्यादा फटकार दिया। एक बेटी और बहू में कुछ अंतर होता है। प्रतिउत्तर में सुनीता बारिश में ज्यादा ही नहाने लगी। शाम तक बीमार हो गयी। सास का अति विरोध उसके स्वास्थ्य पर भारी पड़ गया। 

  सोमेंद्र टूर पर बाहर गया था। ऐसे में सुनीता को अपनी माॅ की याद आ रही थी। माॅ जो प्रेम करना जानती है। माॅ जो बेटी के बीमारी के समय उसके पास से हिलती भी नहीं है। माॅ जिससे चिपटकर वह रात में सोती थी। 

  आज रुक्मिणी का मन भी वैचैन हुआ। रोकते रोकते भी वह सुनीता के पास पहुंच गयी। उसकी देखभाल करने लगी। उसके माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखने लगी। हालांकि वह अभी भी बहू को फटकार रही थी पर सुनीता को उसकी फटकार में अपनी माॅ जैसा प्यार लग रहा था। 

  रात को रुक्मिणी सुनीता के पास ही सो गयी। पता नहीं कब जरूरत हो जाये। थोड़ी देर बाद उसे महसूस हुआ कि सुनीता उससे चिपटने की कोशिश कर रही है। रुक्मिणी ने भी उसे अपने पास खींच लिया। बरसात की रात में रुक्मिणी और सुनीता के रिश्ते बदल गये। सास बदलकर माॅ बन गयी। वहीं बहू बदलकर बेटी बन गयी। 

दिवा शंकर सारस्वत 'प्रशांत'
21
रचनाएँ
लघुकथाओं की दुनिया
0.0
लघुकथाओं का संग्रह
1

लघुकथा विधा का परिचय

7 अगस्त 2022
6
0
1

साधारणतः माना जाता है कि लघुकथाएं छोटी कहानियाँ होती हैं। हालांकि यह लघुकथा का अधूरा परिचय है। लघुकथाएं एक विशिष्ट प्रकार की कहानियाॅ होती हैं जिनमें सांकेतिकता की प्रधानता होती है। लघुकथा का अंत ऐसे

2

तीन इंद्रधनुष

7 अगस्त 2022
5
3
3

तीन इंद्रधनुष शाम से ही बारिश हो रही थी। कभी रुक रुक कर और कभी तेजी से। रामचंद्र ज्यादा परेशान था। बारिश का मौसम वैसे उसे भी अच्छा लगता था। पर छत से पानी टफकने लगता तो बारिश की सुंदरता मन

3

प्लेटफार्म

7 अगस्त 2022
0
0
0

प्लेटफार्म वह बचपन से अनाथ, किसी तरह पला बढा, रेलवे के एक छोटे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कूढे के ढेर से अपने जीवन के रास्ते तलाशता रहा, जब किशोर हुआ तब कुछ कुसंगति के चपेट में आ गया। कुसंगति

4

नुमाइश

7 अगस्त 2022
0
0
0

नुमाइश नयी नवेली दुल्हन राधा कुछ अल्हड़ सी, सकुचाती सी दिखाई देती। नये घर में संकोच होना आवश्यक था। हालांकि वह हमेशा से हंसमुख रहने बाली, एक चंचल हिरणी जैसी थी। एक जगह रुकना जानती नहीं थी। पर सस

5

यादों की बारात

9 अगस्त 2022
1
0
0

यादों की बारात सुहाग सैज पर तैयार दुल्हन अपने दूल्हे का इंतजार कर रही थी। पढी लिखी होने पर भी सुभाषिनी अनजान डर से डर रही थी। मन में कई भावनाएं आतीं और चलीं जातीं। उसका रिश्ता

6

मुकाबला

9 अगस्त 2022
0
0
0

मुकाबला वह एक खूबसूरत चिड़िया सी फुदकती रहती। कोयल जैसी मीठी बोली से सुनने बालों का दिल जीतती रहती। मुर्गे की तरह समय की पाबंद थी। दरबाजे पर सोते श्वान की भांति सचेत रहने बाली। उसमे

7

अधूरी प्रेम कहानी

10 अगस्त 2022
1
1
1

अधूरी प्रेम कहानी इंजीनियरिंग की पहली साल पूरी कर रोद्र दूसरी साल में आ गया। पढाई का अच्छा रिकोर्ड था। अनुसूचित जाति का होने पर भी उसका प्रवेश जनरल कैडर में हुआ था। नियम यही था

8

इकतरफा प्यार

11 अगस्त 2022
0
0
0

इकतरफ़ा प्यार बैंड बाजों की थाप पर नाचते बराती। लङकी पक्ष के लोग बरातियों के स्वागत में बिजी थे। वैसे शर्मा जी ने कोई कमी नहीं रखी थी। पर संजू के होते कुछ भी कमी रह जाये, संभव ही नहीं था।

9

नया सवेरा

12 अगस्त 2022
1
1
1

नया सवेरा अभी सूरज उगा ही था। सेठ निर्मल दास दुकान जाने की तैयारी कर रहे थे। बहू सुभाषिणी ने नाश्ता लगा दिया। सुबह सुबह नाश्ता करके निकलते और दोपहर थोङी देर खाना खाने सेठ जी घर आते थे। घर

10

आखिर प्यार किया था तुमसे

13 अगस्त 2022
0
0
0

आखिर प्यार किया था तुमसे सुनयना को पत्नी पाकर राहुल के खुशियों का ठिकाना नहीं था। इतनी पढी लिखी, सुंदर लङकी उसे पत्नी रूप में मिली। राहुल को अक्सर डर रहता था कि ज्यादा पढी और सुंदर ल

11

सपनों की कब्रगाह

14 अगस्त 2022
1
1
0

सपनों की कब्रगाह विद्यालय की बिल्डिंग बहुत खराब हालत में तो न थी। पर अभिवावकों का बराबर दखल हो रहा था। आखिर हो भी क्यों नहीं। विभिन्न मदों के नाम पर विद्यालय जमकर फीस भी तो बसूल रहा

12

नयी शुरुआत

21 अगस्त 2022
1
0
0

नयी शुरुआत " रंजना । देखो तुम्हारी भाभी खाना बना रही है। तो तुम पापा और भैय्या के लिये खाना परोस दो।" रंजना रोज देखती कि मम्मी साधना भाभी सुरूचि से बङा प्रेम करती हैं। अभी तक मम

13

साड़ी

23 अगस्त 2022
0
0
0

साड़ी रचना जब शादी के बाद ससुराल पहुची तो उसे खुद को ढालने में बड़ी परेशानी हुई। वैसे वह खुद को नये हिसाब से ढालती गयी। पर फिर भी उसे लगता कि विवाह से पूर्व सब बात सही सही हो जातीं। फिर शादी हो

14

दादी

24 अगस्त 2022
1
0
0

दादी कस्बे की मुख्य सड़क से लगी एक सड़क जो नजदीकी गांवों को जाने का रास्ता थी, शाम होते ही रोज की तरह भर गयी। यह सड़क हर शाम कस्बे की अघोषित सब्जी मंडी बन जाती। लोगों को जरूरत का सामान खरीदने व

15

तपस्या

29 अगस्त 2022
3
0
0

"पढाई कोई हसी खेल नहीं है। विद्याध्ययन खुद एक तपस्या है। संसार को भूलकर दिन रात खुद को मिटा देने के बाद ही तो शिक्षा मिलती है। तपस्या का परिणाम अवश्य मिलता है। एक न एक दिन तुम सब बहुत ऊंचे ओहदे

16

प्रश्नचिन्ह

29 अगस्त 2022
0
0
0

प्रश्न चिन्ह हर साल की तरह रूपवती ने आज फिर उपवास रखा। बहुत साल पहले दुल्हन बनकर आयी रूपवती के सारे अरमान मिट्टी में मिल गये। रूपवती बस नाम से रूपवती थी। पता नहीं उसके माॅ बाप को क्

17

उदास खिलोने

29 अगस्त 2022
0
0
0

खुद को पापा की गुड़िया जानकर वह इठलाती रही। संपन्न परिवार की इकलौती रमा को लाड़ प्यार की कोई कमी नहीं थी। उसे पढाई लिखाई के पूरे मौके मिले। ऐसे में वह खुद की किस्मत पर गर्व न करे तो कैसे।

18

कुछ दिन का बसेरा

29 अगस्त 2022
1
0
0

सिंदूरी के आदमी का तबादला हो गया।बैंक की नौकरी में यही तो परेशानी है। हर दो तीन साल बाद तबादला हो जाता है। कहीं टिककर रह नहीं सकते। कुछ दिन का बसेरा और फिर उठा अपना सामान चल दिये। बिल्कुल खानाबदोश जिं

19

खाली बाजार

29 अगस्त 2022
0
0
0

एक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान में सेठ मूलचंद्र अपने दस वर्षीय बेटे को कपङे दिलाने आये। मालिक ने सभी सैल्स मेन को सेठ जी की खिदमत में लगा दिया। घंटों की मशक्कत के बाद सेठ जी इसी नतीजे पर पहुंचे

20

बरसात की एक रात

29 अगस्त 2022
0
0
0

कभी कभी अति का विश्वास बड़े दुख की बजह बन जाता है। समाज में अपमान का कारण बन जाता है। मनुष्य सब कुछ भूल जाता है पर समाज में अपमान के कारण को आसानी से भुला नहीं पाता। इसी अपमान के अहसास में अच्छ

21

शांति

29 अगस्त 2022
0
0
0

घर, पत्नी, राज्य सब कुछ त्याग कर राजकुमार शिखिध्वज मंदिराचव पर्वत की एक गुफा में निवास कर रहे थे। शांति की तलाश में राजकुमार सन्यासी बन गये। पर जिस शांति की तलाश में उसने सब त्याग किया, क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए