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नया सवेरा

12 अगस्त 2022

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नया सवेरा
 
  अभी सूरज उगा ही था। सेठ निर्मल दास दुकान जाने की तैयारी कर रहे थे। बहू सुभाषिणी ने नाश्ता लगा दिया। सुबह सुबह नाश्ता करके निकलते और दोपहर थोङी देर खाना खाने सेठ जी घर आते थे। घर में पैसों की कोई कमी न थी। लङका रोहन भी दुकान सम्हालने में मदद कर रहा था। अब सुभाषिणी भी घर की बहू बनकर आ चुकी थी।

   सेठ जी उठकर चलने को तैयार थे। सुभाषिणी वहीं खङी रही। वैसे उसने मुंह से तो कुछ नहीं बोला पर सेठ जी समझ गये।

   " देखो बहू। पहले ही बोल दिया है कि जो तुम चाहती हो, वह नहीं होगा। अच्छी बात है कि सब भूल कर घर गृहस्थी की चिंता करो। पिछली साल तुम्हारी सास के गुजर जाने के बाद तो तुमपर घर की ज्यादा जिम्मेदारी है। फिर न मुझे ज्यादा फुर्सत है और न रोहन को इतनी फुर्सत है।"

   सेठ जी चलने लगे तो सुभाषिणी ने एक बार फिर कोशिश की।

" पापा जी... ।घर की मैं पूरी व्यवस्था करके तब जाया करूंगी। बस आप इजाजत दे दो। "

  " तू भी लगता है कि ज्यादा बहक गयी है। हमारे पास कौन पैसे की कमी है। एम बी ए करके क्या कर लेगी। जितना एम बी ए पास कमाते हैं, उससे ज्यादा तो तुझे जेब खर्च देता हूं। कभी भी नहीं पूछता कि कहाॅ खर्च किया। वैसे घर में काम करने के लिये बाई है। पर देखभाल भी कोई कम काम नहीं है। बेकार की जिद छोङो। "

   " ठीक है पापा जी। पर पढाई केवल पैसे कमाने के लिये बल्कि आत्मसंतुष्टि के लिये भी होती है। और जरूरत होने पर मैं घर का व्यापार भी सम्हाल सकती हूं। "

   सुभाषिणी चुपचाप भीतर चली गयी।

   सेठ जी दुकान पर चले गये। पर पूरे दिन बैचैन रहे। सुभाषिणी ने पुत्री के समान स्नेह करते थे। सोच रहे थे कि यदि धन भी किसी को आत्मसंतुष्टि न दे सके तो धन से क्या फायदा।

   दूसरे दिन सुबह  सुभाषिणी ने फिर से सेठ जी के लिये नाश्ता तैयार किया।

   " बेटी  सुभाषिणी। तुम भी तैयार हो जाओ।"
   "कहीं चलना है क्या पापा।"
  " हाॅ सोच रहा था कि फिर तो तुम अकेले आया और जाया करोंगी। पर आज दाखिला दिलाने मैं भी तुम्हारे साथ चल लूं।"

   सुभाषिणी को आज का सबेरा एकदम नया लगा।
sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बहुत बेहतरीन 👌👌👌

12 अगस्त 2022

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रचनाएँ
लघुकथाओं की दुनिया
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लघुकथाओं का संग्रह
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लघुकथा विधा का परिचय

7 अगस्त 2022
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7 अगस्त 2022
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7 अगस्त 2022
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यादों की बारात

9 अगस्त 2022
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मुकाबला

9 अगस्त 2022
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मुकाबला वह एक खूबसूरत चिड़िया सी फुदकती रहती। कोयल जैसी मीठी बोली से सुनने बालों का दिल जीतती रहती। मुर्गे की तरह समय की पाबंद थी। दरबाजे पर सोते श्वान की भांति सचेत रहने बाली। उसमे

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10 अगस्त 2022
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अधूरी प्रेम कहानी इंजीनियरिंग की पहली साल पूरी कर रोद्र दूसरी साल में आ गया। पढाई का अच्छा रिकोर्ड था। अनुसूचित जाति का होने पर भी उसका प्रवेश जनरल कैडर में हुआ था। नियम यही था

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11 अगस्त 2022
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13 अगस्त 2022
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नयी शुरुआत

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नयी शुरुआत " रंजना । देखो तुम्हारी भाभी खाना बना रही है। तो तुम पापा और भैय्या के लिये खाना परोस दो।" रंजना रोज देखती कि मम्मी साधना भाभी सुरूचि से बङा प्रेम करती हैं। अभी तक मम

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साड़ी रचना जब शादी के बाद ससुराल पहुची तो उसे खुद को ढालने में बड़ी परेशानी हुई। वैसे वह खुद को नये हिसाब से ढालती गयी। पर फिर भी उसे लगता कि विवाह से पूर्व सब बात सही सही हो जातीं। फिर शादी हो

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24 अगस्त 2022
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दादी कस्बे की मुख्य सड़क से लगी एक सड़क जो नजदीकी गांवों को जाने का रास्ता थी, शाम होते ही रोज की तरह भर गयी। यह सड़क हर शाम कस्बे की अघोषित सब्जी मंडी बन जाती। लोगों को जरूरत का सामान खरीदने व

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29 अगस्त 2022
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"पढाई कोई हसी खेल नहीं है। विद्याध्ययन खुद एक तपस्या है। संसार को भूलकर दिन रात खुद को मिटा देने के बाद ही तो शिक्षा मिलती है। तपस्या का परिणाम अवश्य मिलता है। एक न एक दिन तुम सब बहुत ऊंचे ओहदे

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29 अगस्त 2022
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प्रश्न चिन्ह हर साल की तरह रूपवती ने आज फिर उपवास रखा। बहुत साल पहले दुल्हन बनकर आयी रूपवती के सारे अरमान मिट्टी में मिल गये। रूपवती बस नाम से रूपवती थी। पता नहीं उसके माॅ बाप को क्

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खुद को पापा की गुड़िया जानकर वह इठलाती रही। संपन्न परिवार की इकलौती रमा को लाड़ प्यार की कोई कमी नहीं थी। उसे पढाई लिखाई के पूरे मौके मिले। ऐसे में वह खुद की किस्मत पर गर्व न करे तो कैसे।

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सिंदूरी के आदमी का तबादला हो गया।बैंक की नौकरी में यही तो परेशानी है। हर दो तीन साल बाद तबादला हो जाता है। कहीं टिककर रह नहीं सकते। कुछ दिन का बसेरा और फिर उठा अपना सामान चल दिये। बिल्कुल खानाबदोश जिं

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बरसात की एक रात

29 अगस्त 2022
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29 अगस्त 2022
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घर, पत्नी, राज्य सब कुछ त्याग कर राजकुमार शिखिध्वज मंदिराचव पर्वत की एक गुफा में निवास कर रहे थे। शांति की तलाश में राजकुमार सन्यासी बन गये। पर जिस शांति की तलाश में उसने सब त्याग किया, क

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