बोर्ड एग्जाम में कम नंबर आने से अक्सर हम निराशा हो जाते हैं, लेकिन अगर पेरेंट्स बच्चे का साथ दें तो मुश्किल आसान हो जाती है. एग्जाम में कम नंबर लाने वाले ऐसे ही एक बेटे का नाम पिता का खत :-
मेरे प्रिय बेटे,
आज तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा था. हर रोज की तरह तुम मुझसे पूछते हो कि पापा ऑफिस से घर कब तक आएंगे? फिर आज तो तुम्हारा फोन आने की एक और वजह थी. आज तुम्हारा 10वीं का रिजल्ट जो आया है.
आखिरकार मुझसे इंतजार नहीं हुआ और मैंने ही तुम्हें फोन लगाया. तुम्हारा मोबाइल बजता रहा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. फिर तुम्हारी मां को फोन किया तो पता चला कि तुम पास हो गए हो. बेहद खुशी हुई जानकर कि वक्त कितना आगे बढ़ गया है. ऐसा लगा कि कल ही की तो बात थी जब मैंने अपने पिता और तुम्हारे दादा को अपने पास होने की खबर दी थी. लेकिन इन सब के बीच तुम्हारी आवाज नहीं थी. तुमने क्यों नहीं बताया कि पापा मैं पास हो गया हूं. वैसे तो तुम दिन में 10 बार फोन करते हो. कभी-कभी तो ये भी बताते हो कि मां ने अच्छा खाना नहीं बनाया.
खैर.... तुम्हारी मां ने बताया कि तुम सुबह से कमरे में बंद हो क्योंकि तुम्हारे नंबर अच्छे नहीं आए हैं. इसलिए जब से रिजल्ट आया है तुमने दरवाजा बंद कर खामोशी के पर्दे अपने आस-पास डाल दिए हैं. वैसे ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है. तुम बेशक कमरा बंद करके बैठो. हर किसी को अपने अंदर चल रही भावनाओं को अपने तरीके से व्यक्त करने का अधिकार है.
लेकिन इन सबके बीच एक बात का जवाब दो- क्या ये एग्जाम तुम्हारी जिंदगी का आखिरी एग्जाम था ? तुम पास भी न होते तो कोई बात नहीं. फिर तुम मेरी बात भूल गए जो मैं तुमसे हमेशा कहता हूं कि रोना कोई सॉल्यूशन नहीं. हर प्रॉब्लम अपना सॉल्यूशन खुद लेकर आती है.
तुम मेरे बेटे हो मेरे लिए यही काफी है. मुझे ये भी पता है कि तुम्हें अपने पापा से ज्यादा अपने दोस्तों के अच्छे नंबरों की फिक्र है. तुम्हारे हिसाब से जो राहुल तुमसे कम मेहनत करता था उसके नंबर तुमसे अच्छे हैं. लेकिन तुम क्यों भूल जाते हो कि दुनिया तुमसे चलती है दूसरों से नहीं. नंबर कम आए हैं मौके कम नहीं हुए.
मैं तुम्हें ये लेटर ऑफिस में लंच टाइम में लिख रहा हूं और ड्राइवर के हाथों घर पहुंचा रहा हूं. मेरे घर आने से पहले इसे जरूर पढ़ लेना. इस बात को मैने लेटर के बाहर भी लिखा है.
मुझे पूरा भरोसा है कि 10वीं के एग्जाम में भले ही तुम्हारे कम नंबर आए हों, लेकिन तुम जिंदगी के एग्जाम में जरूर फर्स्ट आअोगे. अब ये मत कहना पापा आप नहीं समझते...
मैं सब समझता हूं मेरे बेटे और यही सब तुम्हें समझाना चाहता हूं. अब चलो उठो और हां, मुझे डिनर तुम्हारे साथ करना है वो भी तुम्हारे फेवरेट रेस्टोरेंट में. और हां मैं ये सब तुमसे फोन पर या शाम घर आने पर भी बोल सकता था लेकिन ख्ात लिख रहा हूं जिससे कि कभी किसी एग्जाम में फेल भी हो जाओ तो इस खत को पढ़ लेना और याद रखना तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ हैं हमेशा !
वैसे आज तुमने पूछा नहीं फिर भी बता दूं मैं शाम को घर वक्त पर आ रहा हूं. आप मेरे लिए आशा की किरण हो......
तुम्हारा
पापा