कैंसरोसोज-2 या सी-2
इस दवा का निर्माण निम्न औेषधीय पौधों को एक निश्चत अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है ।
क्र0
औषधिय पौधों के नाम
उपयोग मात्रये
1
CONIUM MACULATUM
30
2
EQUISTICUM ERVENS
20
3
PETROSELINUM SATIVUM (Ajmodha)
20
4
PIMPINELLA SAXIFRAGE
10
5
RHUS TOXICODENDRON
20
6
VINCETOXICUM OFFICINALIS
30
जिस प्रकार एस-2 मूत्र संस्थान के सभी रोगों में कार्य करती है ठीक उसी प्रकार सी-2 भी मूत्र रोगों पर कार्य करती है , परन्तु इसमें ऐनाटामिकल एंव फिजियोलाजिक परिवर्तन होना अवश्यक है । कैंसरोसो समूह की दवाये कोशिकाओं एंव सूत्रों पर कार्य करती । इसलिये कोशिकाओं व सूत्रों की बरबादी पर इसका प्रयोग किया जाता है । सी-2 दवा का प्रयोग मूत्र संस्थानो के समस्त प्रकार के रोग जैसे पेशाब का संक्रमण , पेशाब का रूक रूक कर आना, पेशाब में जलन , बदबू आना , किसी भी तरह का सूजाक गनोरिया, सैक्सुवल ट्रांसमीन, यदि कोई रोग मूत्र मार्ग से होता हुआ उपर की ओर बढने लगे ,
सी-1 दवा से जब कार्य न बने तो इस दवा को देना चाहिये चूंकि यह बहुत कुछ सी-1 की तरह से कार्य करती है । सी-2 एंव एस-2 एक दूसरे की पूरक ओैषधी है । जिस प्रकार सी-1 प्रथम स्टेज के कैंसर पर कार्य करती है, उसी प्रकार यह दूसरे स्तर के कैंसर पर कार्य करती है, कैसर कही भी हो कैसा भी हो यदि दूसरे स्तर का है तो इस दवा को नही भूलना चाहिये । स्त्रीयों के रोगों में इसका प्रयोग सी-1 में बतलाये अनुसार है जैसे माहवारी की समस्याये , लिकोरिया, पी सी ओ डी की समस्या, ओवरी में पानी भर जाना , गर्भाश्य का कैंसर, यूट्रस का कैसर या गर्भाश्य यूट्रस में सिस्ट गाठों का बनना ,गर्भाश्य का नीचे लटक जाना, बेजाइना का सुकड जाना , गर्भाश्य में पानी भर जाने से संतान उत्पत्ती की समस्या ,वृद्ध व्यक्तियों के प्रोस्टेट की समस्याये, प्रोस्टेट का कैसर ,प्रोस्टेट का बढ जाना, यह दवा जैसाकि हमने ऊपर कहा है यह कोशिका एंव सूत्रों की दवा है अत: इसके साथ फंगशनल औषधी जैसे एस, एल, एफ समूह की औषधीयों का प्रयोग करना चाहिये । जिद्दी किस्म के गाठों का गलाने में ,या पथरी कोक गलाने में सी-4 के साथ सी-2 साथ ही अन्य सहायक औषधीयों का भी प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
स्त्रीयों का गर्भधारण न होना या बार बार गर्भपात होना , बांझपन की समस्या, पुरूषों में इंम्पोटेंसी की कमी ,र्स्पम कमजोर या कम होना , जिससे संतान उत्पत्ती की समस्या, प्रसव से जुडी समस्याओ , एंव सुखद प्रसव के लिये ,पथरी कहीं भी हो चाहे वह गालब्लेडर में हो या किडनी में हो सभी तरह के पथरी रोगों पर यह अपनी सहायक व पूरक औषधीयों के साथ कार्य करने पर अच्छा कार्य करती है । मांस पेशियों में किसी भी तरह का र्दद
पाचन तंत्र की समस्या यह दवा लीवर के कार्य क्षमता को बढाती है ,शरीर में कहीं भी पानी भर गया हेा जैसे पेट में पानी भरना जलोदर, हाईड्रोसिल अंण्डकोशो में पानी भर जाना , रक्त में यूरिक ऐसिड, कैटिनीन आदि के बढने पर, जिद्दी प्रकार का कब्ज , ऑखों के नीचे, ओढों, मसूढों पर सूजन गाठें व र्दद होने पर सी-5 सी-2 बी ई के साथ प्रयोग करने से आशानुरूप परिणाम मिलते है । जिद्दी प्रकार की खॉसी में पी-8 सी-2 के साथ प्रयोग करना चाहिये इससे कफ भी आसानी से निकल जाता है । शरीर के अंतरिक अंगोंमें खुजली, हाथ पैरों में सूजन एस-6 सी-2 के साथ प्रयोग करना चाहिये । यह हर प्रकार के टी बी रोग चाहे टी बी फेफडों में हो या हड्डीयों ,या मस्तिष्क में अपनी पूरक व सहायक औषधीयो के साथ प्रयोग करना चाहिये ।ं
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0 एच0 एम0 एस0, एम0 डी0 (ई0)
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