स्क्रोफोलोसो-2
इस औषधी का सर्वप्रथम प्रभाव मूत्राश्य पर तत्पश्चात किडनी पर एंव गालब्लेडर होता है । यह दीर्ध क्रिया करने वाली औषधी है इसका प्रभाव धीमा होता है परन्तु निश्चित है ।ग्रंथियों एंव शरीर के थैली नुमा अवयवों पर कार्य करने वाली दवा है
मुत्रवाहक संस्थान :- मुत्रवाहक संस्थान पर इसका प्रभाव होने से मूत्र से सम्बधित समस्त प्रकार की व्याधियों में एंव मूत्र से जुडे अन्य अंगों पर इसका प्रयोग अन्य सहायक औषधियों के साथ किया जाता है । जैसे मूत्राश्य तथा गालब्लेडर की पथरी में , मूत्र का बार बार होना ,मधुमेह , पेशाब में जलन , पेशाब का रूक रूक कर होना, स्त्री पुरूष से जुडे हुऐ जननेद्रिय रोग, स्पर्म काउन्ट का कम होना यह स्पर्म काउन्ट का वेन समूह की दवा के साथ देने से बढाने व पुष्ट होने में सहायता करती है । पेशाब के रूप जाने से शरीर में पानी का संचय होना , किडनी, या प्रोस्टट रोग में पेशाब का रूक जाना या किसी भी कारण से पेशाब रूक रही हो तो इसके साथ अन्य सहायक दवाओं को देने से पेशाब निकल जाती है । मुत्राश्य एंव पित्ताश्य की पथरी को यह गला कर निकाल देती है । हाईड्रोसिल पोतो में पानी के भर जाने पर , जीर्ण प्रकार के सूजाक (गनोरिया) यह दवा मूत्र को साफ करती है, मूत्र मार्ग की सूजन को ठीक करती है । यदि मूत्र के साथ रक्त स्त्राव हो रहा हो तो बी ई के साथ इसका प्रयोग करना चाहिये ,अत्याधिक कामउत्तेजना, महिलाओं में हिस्टीरिया ,पागलपन,लीवर में गाठें या सिस्ट का होना, लीवर से जुडे आर्गन्स बाईल सिकरेशन को ठीक करती है । महिलाओं में दूध का न उतरने इसकी तीब्र मात्रा का प्रयोग किया जाता है परन्तु दुध के अधिक होन पर इसके सुखाने के लिये इसके उच्च डायल्युशन का प्रयोग किया जाता है । इस दवा का प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करने से यह स्त्रीयों तथा पुरूषों के हार्मोन्स समस्याओं को बेलेंस करती है ।
पाचन संस्थान:- इस दवा का प्रभाव एस-1 की तरह से है परन्तु जब कभी एस-1 से लाभ न हो तो इसे देना चाहिये यह कफ प्रकृति वालों के लिये बलवद्धक दवा है , यह दवा कब्ज नाशक है , तथा मल एंव मूत्र का साफ करती है , इसका प्रभाव अमाश्य की ग्रथियों पर होने से यह पाचन से सम्बधित व्याधियों पर भी अच्छा कार्य करती है ,आंतों के रस को यह ठीक करती है इससे नि:सरण क्रिया नियमित हो जाती है । गैस का बनाना,खट्ठी डकारों का आना , ऐसेडिटि का बनना , उल्टी की इक्च्छा होना , क्षूठी भूख लगना ,पाचन दोष
अन्य रोग:- इस दवा का प्रयोग निम्न रोगों में अपनी सहायक एंव पूरक औषधियों के साथ किया जाता है । बालों का गिरना, धॉव जो कैंसर प्रकृति के हो , पित्ती का निकलना, खुजली, इस दवा का प्रभाव म्यूकस मेम्बरेन में है इसलिये गॉल या जबडों मे सूजन, धॉव, उसके म्यूकस मैम्बरेन की क्षती में यह कार्य करती है उनकी कोशिकाओं व टिश्यू की भरपाई करती है एंव नये सेल्स निर्माण में अपनी भूमिका अपनी सहायक औषधियों के साथ करती है, साथ ही जबडा और जबडो के नीचे की ग्रन्थियों के सूजन व दर्दो में । ऑखों के कार्निया पर, ग्रन्थकारों का कहना है कि यह कफ प्रकृति वालों के लिये शक्तिवर्द्धक है एंव रक्त की कमी को दूर करने वाली पोषण करने वाली दवा है । दांतों की पीडा सिर र्दद