स्क्रोफोलोसो लैसेटिवो- या (एस लॉस)
क्र0
औषधिय पौधों के नाम
उपयोग मात्रये प्रतिशत में
1
GENTIANA LEUTIA
35
2
ALOES CAPANCES (Kawar Ghandal, Ghee Kawar)
65
एस लॉस में जेन्टीयाना लुटिया व एलोस जिसे एलोबेरा भी कहते है । जेन्टीयाना लुटिया का प्रयोग होम्योपैथिक चिकित्सा में भूंख बढाने के लिये एंव कब्ज तथा पाचन सम्बधित रोगों में होता आया है । इसी प्रकार इसके दूसरे घटक एलोस कैप्निसेस जिसे हम साधारण बोल चाल की भाषा में ग्वारपाठा , एलोबेरा भी कहते , यदि हम इस पर नजर डाले तो इसका प्रयोग तो आयुर्वेदिक व नेचरोपाथिक चिकित्सा में सदियों से पेट के रोग व कब्ज को ठीक करने के अतरिक्त इसका प्रयोग त्वचा रोगों में तथा सौन्द्धर्य प्रसाधनों के विभिन्न उत्पादों में होता आया है । चूंकि इस दवा में दो पौधों को सम्मलित कर बनाया गया है , इसलिये एस लॉस का प्रभाव आंतों एंव उनके स्नायुओं पर, होने से यह पाचन सम्बधित व्याधियॉ जैसे पेट में गैस बनना , एसिडिटी , खट्टी डकारे आना , बार बार मल त्याग की इक्च्छा कभी सक्त मल तो कभी पतले पतले दस्तों का होना , पेट साफ न होना अर्थात कब्ज होना । कब्ज के अधिक दिनों तक बने रहने एंव स्टूल का कडा व सक्त होने से मलव्दार छिल जाता है, या फिर सक्त मल के होने से जो प्रेशर लगाते है उसका प्रभाव हमारे रक्त केशिकाओं एंव छोटे छोटे वेंस की नलिकाओं पर होता है इससे उस स्थान के वेंस में सूजन व गांठे होने लगती है जो बाद में बबासीर या भगंदर के रूप में परणित हो जाती है । इसलिये इस दवा का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में अपनी अन्य सहायक औषधियों के साथ किया जा सकता है जैसे एस-2, बर्र-1, वाई ई,तथा एस लॉस को सेकेन्ड डायल्युशन में देने से जिद्दी से जिद्दी कब्ज भी ठीक हो जाता है , प्राय: कब्ज होने पर कई व्यक्ति अपने मन से दस्तावर या फिर कब्ज नाशक चूरन या अग्रेजी ऐलोपैथिक दवाओं का प्रयोग करने लगते है । इन दवाओं से प्रारम्भ में लाभ तो अवश्य होता है परन्तु हमारी ऑतों को इसकी लत लग जाती है एंव जब तक इन दवाओं का उपयोग नही किया जाता उनका पेट साफ नही होता । यहा तक् कि इस प्रकार की दवाओं से आगे चलकर उन्हे कई प्रकार की बीमारीयों का सामना करना पड सकता है । कब्ज होने से जो भी समस्याये आती है उनमें अपच, गैस बनाना , खट्ठी डकार, भूंख न लगना , अपच व कब्ज की वजह से सिर र्दद, चक्कर आना, नीद न आना , चिढचिढापन, माईग्रेन, तथा आगे चलकर ये तंत्रिका तंत्र से सम्बधित रोग होने लगते है । एस लॉस के देने से भॅूख लगने लगती है पाचन क्रिया में सुधार व कब्ज ठीक होने लगता है । इस दवा का प्रभाव तत्काल न होकर धीमा होता है परन्तु परिणाम निश्चत है ।
डायल्युशन का प्रयोग :- इसका प्रथम डायल्युशन तीब्र जिसे हम धनात्मक कह सकते है होता है अत: प्रथम डायल्युशन लीवर व आंतोंको उत्तेजित करता है ,गैस्ट्रिक जूस के स्त्राव को बढाता है इससे भॅूख लगने लगती है , इसका प्रयोग परगेटिव के रूप में किया जा सकता है, पुराने से पुराने कब्जों में
दूसरा डायल्युशन:- इसका दूसरा डायल्युशन कब्ज से जुडी परेशानीयों में , बबासीर , गुदा मार्ग में खुजली , जलन , ऑतों में गडगडाहट ,
तीसरा डायल्युशन:- खूनी व बादी बबासीर में दस्त होना या कब्ज का होना
उच्च डायल्युश्न :- पुरानी कब्ज , बबासीर व भगंदर आदि में
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0 एच0 एम0 एस0, एम0 डी0 (ई0)
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