स्क्रेाफोलोस-5
स्क्रोफोलोसो-5 में निम्न औषधिय पौधों को मिश्रित कर बनाई गयी मूल औषधिय है ।
क्र0
औषधिय पौधों के नाम
उपयोग मात्रये प्रतिशत में
1
BERBERIS VULGARIS
20
2
COCHLERIA OFFICINALIS
25
3
HYDRASTIS CANADENSIS
20
4
CHAMOMILLA
10
5
NASTURTIUM OFFICINALE
5
6
SCROFULARIA NODOSA
20
7
SMILAX MEDICA
5
8
TUSSILAGO FAREFARA
5
9
VERONICA OFFICINALIS
20
स्क्रेाफोलोस-5 लीवर की महाऔषधिय है । इस औषधिय का मुख्य कार्य लीवर एंव उसके टीश्यूस पर होता है , यह लीवर के संचालक पेशियों एंव संचालक स्नायुओं पर होने से यह शरीर के समस्त अवयवों को क्रियाशील करती है साथ ही यह शरीर के समस्त ग्रन्थियों के सूत्रों अर्थात टिश्यूस , स्पाईनल नर्व, एंव विशेष रूप से चलायमान मोटर नर्व, लीवर से जुडी समस्त बीमारीयों में लीवर की वजह से गालब्लेडर का सिकरेशन कम या अधिक होन पर बाईल का निर्माण् न हो रहा हो जो हमारे भोजन को डाईजेस्ट करती है यह दवा गालब्लेडर के सिकरेशन व उसके प्रोडेक्शन को ठीक करती है । लीवर की खराबी की वजह से टाक्सीन जमा होने से शरीर में गांठे, फोडे ,गैगरीन होना ,लीवर का फैटी या बढ जाना , लीवर सोसाईसिस, यह दवा एन्टीआक्सीडेन्ट है ,ग्रंथ्रियों में प्रभावी होने से गिल्टीयों की सूजन से उत्पन्न होने वाले रोगों में ,क्षय रोग को ठीक करने वाली एंव पोषण करने वाली , शरीर से यूरिक ऐसिड को निकालती है इस लिये इसका उपयोग जोडो के दर्दो व गठिया आदि में किया जाता है, इसका प्रभाव जोडो, संधियों एंव रीड की हड्डीयो पर होने से इससे उत्पन्न होने वाले समस्त प्रकार की बीमारीयों मे इस दवा का प्रयोग किया जाता है । लीवर की जीर्ण अवस्था में इसका प्रयोग एफ ग्रुप की दवाओं के साथ करना चाहिये , शाईटिका के रोग में इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करने से बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । इस दवा का प्रभाव स्क्रोफोलोस ग्रुप की अन्य औषधियों से अत्यन्त गहरा है । यह दवा एस-2 एंव एस-3 की पूरक औषधिय है
पाचन तंत्र :-चूंकि इस दवा का प्रभाव पाचन तंत्र पर होने के कारण भूख का न लगना, हाईपर ऐसिडिटी, अपच, पेट में गैस बनना, उल्टी, कै, दस्त, कब्ज या पाचन से सम्बन्धि रोगों में इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
पथरी:- यह दवा गालब्लेडर की पथरी को गला देती है ,यह पथरी कही भी हो चाहे वह किडनी में हो या मूत्राश्य में हो उसे गला कर निकाल देती है ।
त्वचा रोग:- इस दवा का प्रभाव त्वचा पर एंव उसके म्यूकस मेम्बरेन पर होने से यह त्वचा रोगो में अच्छा कार्य करती है, त्वचा में एक्जीमा , सोराईसिस, ल्युकेाडर्मा, आर्टिकेरिया, त्वचा को चिकना, मुलायम करती है त्वचा रोग व त्वचा दोषों को दूर करने वाली दवा है, यह जीर्ण त्वचा रोगों की रामबाड औषधिय है । ऐडियों का फटना, धॉवो,गैगरीन , जिद्दी किस्म के धॉवों, त्वचा का बदरंगा होना, यह दवा धॉवों को भरने वाली एंव वहॉ की मॉस एंव त्वचा को चिकना करने वाली है ,
अन्य :- किडनी, मूत्राश्य, लीवर, ऑत, यह दूषित तत्वों को शरीर से निकालने वाली औषधिय है, पुराना झुकाम , झुकाम का बार बार बहना , मियादी बुखार, पुरानी खॉसी आदि में इसका प्रयोग अपनी सहायक व पूरक औषधियों के साथ कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । बादी बबासीर ,विशैले जीव जन्तुओं के काटने पर, शराब की इक्च्छा को दूर करने में सहायक है, बहरेपन , शरीर के किसी भी भाग से र्दुगन्ध युक्त स्त्रावो होने पर , नेत्र प्रदाह, नेत्र में धॉव , स्वर यंत्र की सूजन , फीलपॉव , लकवा ,मॉसपेशियों का सिकुड जाना । आदि में । सभी तरह की सूजन को घटाने के लिये इसका प्रयोग आर0 ई0 के साथ करना चाहिये ।बालों का झडना,
डायल्युशन प्रथम डायल्युशन :- इसका पहला डायल्युश्न पथरी को गला देती है , त्वचा पर दाने निकलने पर , मॉसपेशियेा पर एंव लकवा आदि में
दूसरा डायल्युशन:- लीवर के कैंसर , गाठ , फोडा , लीवर सोराईसिस
तीसरा डायल्युशन :- त्वचा रोगों से जुडी समस्याओं पर
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0 (ई0)
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