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स्‍क्रोफोलोसोस-6डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल , बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0

26 अगस्त 2022

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                 स्‍क्रोफोलोसोस-6


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स्‍क्रोफोलोसोस-6 

निम्‍न औषधिय पौधों से मिश्रित कर निमिर्त की गई है ।

क्र0

औषधिय पौधों के नाम

उपयोग मात्रये प्रतिशत में

 

 

 

1

 COCHLERIA  OFFICINALIS

5

2

HYDRASTIS  CANADENSIS

15

3

CHAMOMILLA

10

4

NASTURTIUM  OFFICINALE

25

5

 SCROFULARIA  NODOSA

20

6

SMILAX  MEDICA

5

7

SOLIDAGO VIRGUARIA 

20

8

TUSSILAGO  FAREFARA

5

9

VERONICA  OFFICINALIS

10

   स्‍क्रोफोलोसोस-6 किडनी की समस्‍याओं के लिये सर्वोतम दवा है , जैसाकि हम सभी इस बात को अच्‍छी तरह से जानते है कि किडनी हमारे रक्‍त को साफ अर्थात रक्‍त का फिल्‍टरेशन का कार्य करती रहती है । हमारे शरीर में विषाक्‍त या दूषित पदार्थ जिसे हम विजातीय पदार्थ भी कहते है, जो हमारे शरीर में चाहे वह भोज्‍य पदार्थो के माध्‍यम से हो या अन्‍य किसी भी कारण से जब रक्‍त में मिल कर शुद्धीकरण हेतु हमारी किडनी में जाती है किडनी का कार्य है इन विजातीय पदार्थो को रक्‍त से अलग कर उसे मूत्र मार्ग व्‍दारा शरीर से बाहर करना होता है, यह कार्य निरंतर चलता रहता है । परन्‍तु जब कभी किडनी में आई खराबी के कारण रक्‍त से विषाक्‍त पदार्थ बाहर नही निकल पाते ऐसी स्थिति में रक्‍त दूषित हो जाता है एंव जिससे रक्‍त के कम्‍पोजिशन में खराबी आने लगती है , यह किडनी के ठीक से कार्य न करने के कारण उसकी संरचना में भौतिक परिवर्तन  की वजह से होती है । रक्त को छानने वाले नेफरान में सूजन की वजह से रक्‍त का फिल्‍टरेशन नही होने के कारण एल्‍बूमिन, क्रेटिनिन,  कोलिस्ट्रिाल , खनिज तत्‍व एंव यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ जाती है, खनिज तत्‍व , एंव यूरिक ऐसिड की मात्रा के बढने से  जोडों , व मॉस पेशियों में सूजन व र्दद होता है ,इसके प्रभाव से हिद्रय जो शरीर में रक्‍त संचार का कार्य करता है उसके कार्यो में भी अनावश्‍यक परेशानीयॉ होने लगती है । इसी  खनीज तत्‍वों के जमाव के कारण किडनी में पथरी बनने लगती है । अत: यह दवा किडनी रोगों की प्रमुख दवा है, जो किडनी को उत्‍तेजित कर उसके कार्यो को सामान्‍य अवस्‍था मे लाने का कार्य करती है । किडनी के बाद इस दवा का कार्य मूत्राश्‍य पर होता है । जबकि एस-2 का प्रभाव पहले मूत्राश्‍य पर होता है इसके बाद किडनी पर होता है । शरीर में जमा यूरिक ऐसिड को एस-5 तथा एल ग्रुप की दवाओं के साथ देने से यूरिक ऐसिड पेशाब के माध्‍यम से निकलती है जिसके तलछट का रंग लाल होता है , यूरिक ऐसिड के निकल जाने के बाद शरीर में खनिज तत्‍व का शेष भाग जमा रहता है जिसे एस-6 की सहायता से निकाला जा सकता है , इसीलिये विद्धान चिकित्‍सकों का कहना है कि ऐसी स्थिति में पहले एस-5 एंव एल ग्रुप की दवाओं को देकर यूरिक ऐसिड को निकाल देना चाहिये, इसके बाद शरीर में जमे खनिज तत्‍वों को निकालने के लिये एस-6 का प्रयोग करना चाहिये यह दवा शरीर में जमे खनिज तत्‍वों को गलाकर निकाल देती है । यह दवा एस-1 एस-2 और एस-5 की पूरक दवा है । इस दवा का प्रभाव किडनी, मूत्राश्‍य संस्‍थान एंव उसकी पेशियों एंव हड्डीयों को जोडने वाले सूत्रों पर भी है 

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किडनी रोग:- जैसाकि हमने उपर लिखा है कि यह दवा किडनी में आई खराबी की वजह से जो भी रोग उत्‍पन्‍न होते है उन सभी में पर कार्य करती है, इसके साथ यह मूत्राश्‍य के रोगों में भी अपनी सहायक व पूरक औषधियों के साथ प्रयोग की जाती है । किडनी के कार्यो में आई खराबी या नेफ्ररान में सूजन की वजह से  रक्‍त का फिल्‍टरेशन ठीक तरीके से नही होता जिससे रक्‍त में विषाक्‍त तत्‍व एंव खनिज तत्‍व मिलने लगते है , एंव दूषित पदार्थ शरीर से बाहर नही निकल पाते, इससे रक्‍त के काम्‍पोजिशन में असमानता आने लगती है एंव  एल्‍बुमिन ,कैटिनिन जैसे पदार्थो की मात्रा बड जाती है । शरीर में पानी का जमाव होने लगता है एंव सूजन आने लगती है, पेशाब कम मात्रा में होता है, इसका प्रभाव किडनी मूत्राश्‍य से जुडे अंगों पर भी होने लगता है , साथ ही दूषित रक्‍त जिसके कम्‍पोजिशन में आई खराबी के कारण जब यह हिद्रय में पहुच कर हिद्रय संचालन में व्‍याधान उत्‍पन्‍न करता है क्‍योकि हिद्रय को सामान्‍य अवस्‍था से अधिक कार्य करना पडता है । जैसाकि हम सभी को मालुम है कि एक अंग की खराबी का परिणाम उससे सम्‍बन्धित अन्‍य अंगों पर भी होता है ,जैसे हिद्रय ,मूत्राश्‍य, पाचन तंत्र आदि , किडनी के इस रोग को नेफ्राईटिस भी कहते है । किडनी के उपचार में कभी कभी किडनी व मूत्राश्‍य को आराम देने की आवश्‍यकता होती है, ऐसी स्थिति में इसके डी-3 से ऊपर के डायल्‍युशन का प्रयोग करना चाहिये, परन्‍तु मूत्र के रूक जाने पर इसके प्रथम या तीब्र डायल्‍युशन का प्रयोग करना चाहिये । किडनी रोग के प्रमुख कारणों में शक्‍कर की बीमारी की भी अहम भूमिका हो सकती है ।

रक्‍त से अशुद्ध या विषाक्‍त पदार्थो के शरीर से न निकलने के कारण शरीर के जोडों में व अन्‍य सूत्रों में यूरिक ऐसिड एंव खनिज तत्‍व जमा होने लगता है जिससे जोडों में सूजन व र्दद होता है, जिसे गठिया, संधिवात, के मांस पेशियों में र्दद व सूजन होने लगती है यही खनिज तत्‍व जब किडनी एंव मूत्राश्‍य में जमा होने लगती है तो पथरी बनने लगती है । रक्‍त संचार का उचित तरीके से न पहुचने के कारण मांसपेशियों में दुर्बलता आ जाती है जिसकी वजह से हाथ पैरों में कम्‍पन्‍न होने लगता है, एस-6 किडनी की पथरी की विशेष दवा है जबकि एस-2 मुत्राश्‍य की पथरी की दवा है पुराने रोगों में पथरी बनने से रोकने के लिये एस-2 का प्रयोग किया जाता है चाहे वह पथरी किडनी में हो या मूत्राश्‍य में । एस-6 पथरी को घोल कर मूत्र मार्ग से बाहर निकाल देती है पथरी को गलाने व निकालने में इसके साथ इसकी सहायक औषधियों का भी प्रयोग करना चाहिये ।

स्‍त्री पुरूषों के जननेन्द्रियों:-  इस दवा का प्रभाव स्‍त्री पुरूषों के जननेन्द्रियों पर भी है अत: स्‍वप्‍नदोष, नंपुसकता, और शुक्रक्षय ,तथा गर्भाश्‍य के रोग व रक्‍त स्‍त्रावों में इसका प्रयोग पूरक एंव सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये । जैसे गर्भाश्‍य के स्‍त्रावों पर सी-1 रक्‍त स्‍त्रावों पर बी ई के साथ प्रयोग करना चाहिये, पुरूषों के रोग में इसे वेन, एंव आर ई  के साथ प्रयोग करना चाहिये । पेशाब में जलन, रूक रूक कर आना, यू0टी0आई0 की समस्‍यायें, बच्‍चों का बिस्‍तर में पेशाब कर देना ,बहुमूत्र, मूत्र में शक्‍कर आने पर अपनी सहायक औषधियों के साथ इसका प्रयोग करना चाहिये, जैसे सी-17, पेशाब रूकने पर इसकी तीब्र मात्रा अर्थात डायल्‍युशन 1 एंव 2 का प्रयोग जल्‍दी जल्‍दी करना चाहिये,जब तक कि पेशाब चालू न हो जाये । बार बार पेशाब होने पर इसके उच्‍च से उच्‍चतम डायल्‍यूशन जैस डी 6 - 10 या फिर रोग स्थिति के अनुसार और भी उचे डायल्‍युशन का प्रयोग किया जा सकता है । पेशाब की नशों का फूलना या सूजल ,    

 अन्‍य रोग:- शरीर में दूषित तत्‍वों के जमा की वजह से हमारे सेल्‍स को उचित मात्रा में पोषण तत्‍व नही मिल पाते एंव विषाक्‍त पदार्थ के जमाव से शरीर में सिस्‍ट बनने लगता है, यह दवा पेशाब लाने वाली , गिल्‍टीयों की सूजन को दूर करने वाली, बुढापे में शरीर का सूख जाना , इस दवा का प्रयोग हिद्रय और आर्टिस के कडे पड जाने पर, तेजाब से अमाश्‍य के अंतरिक अंगों के जल जाने पर ,जलेादर या किडनी रोग में शरीर में पानी भर जाना, इस औषधिय का प्राकृतिक गुण पथरी नाशक ,कठमाला नाशक , रक्‍त शोधक , प्रदाह नाशक ,जबानी में सूखा रोग, पेशाब का रूकना एंव पेशाब का अधिक होना, मूत्राश्‍य , किडनी के कार्यो को सुचारू करती है ।

डायल्‍युश:- प्रथम डायल्‍युशन का प्रयोग ऐसी परस्थितियों में करना चाहिये जैसे पेशाब का रूक जाना शरीर में पानी का एकत्र हो जाना, या फिर किडनी का फंगशन कम हो गया हो अर्थात किडनी का कार्य कम हो गया हो ,जिससे किडनी का फिटरेशन का कार्य व मूत्र से विषाक्‍त तत्‍व बाहर न निकल रहे हो चूंकि यह डायल्‍युशन तीब्र होता है जो किडनी के कार्यो को बढाता है ।

दूसरा डायल्‍युश्‍न :- इसका दूसरा डायल्‍युशन प्रथम डायल्‍युशन की अपेक्षा कम होता है इसलिये इसका प्रयोग किडनी को नर्मल फगंशन में लाने हेतु किया जाता है या प्रथम डायल्‍युशन से यदि तीब्रता से कार्य होने की संभावना हो एंव मरीज अधिक कमजोर है तब दूसरे डायल्‍युशन का प्रयोग उचित है ।

तीसरा डायल्‍युशन:- तीसरा डायल्‍युशन का प्रयोग तब करना चाहिये जब किडनी का कार्य तीब्र हो गया हो पेशाब अधिक आ रही हो या रूक रूक कर हो , पुराने रोगों में एंव प्रथम व दूसरे डायल्‍युश्‍न से एग्रावेशन हो गया हो या एग्रावेशन होने की संभावना हो तब इसके तीसरे डायल्‍युशन का प्रयोग किया जाता है ।

उच्‍च एव उच्‍च्‍तम डायल्‍युश्‍न :- उच्‍च अर्थात डी-3 के उपर कें डायल्‍युशन का प्रयोग किडनी या बढे हुऐ कार्यो का कम करने में किया जाता है उच्‍चतम डायल्‍युशन डी30 से लेकर 200 और उससे भी उपर के डायल्‍युशन का प्रयोग पुराने रोगों में पेशाब के बार बार आने या मधुमेह होने पर पेशाब में शक्‍कर आने पर, इसकी पूरक औषधिय सी-17 या वेन दवाओं के साथ प्रयोग करना चाहिये ।

 डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल

 बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0 (ई0)

 जन जागरण चैरीटेबिल हॉस्पिटल

  हीरो शो रूम के बाजू बाली गली नर्मदा बाई स्‍कूल

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हमारे यहॉ इलैक्‍ट्रो होम्‍योपैथिक के ओरिजनल डायल्‍युशन 30 ml में उपलब्‍ध है ।

 

  

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स्‍क्रोफोलोसो-2

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      स्‍क्रोफोलोसो-2       इस दवा को निम्‍न पौधों से एक निश्चित अनुपात में मिश्रित कर बनाया गया है । इस औषधी का सर्वप्रथम प्रभाव मूत्राश्‍य पर तत्‍पश्‍चात किडनी पर एंव गालब्‍लेडर होता है ।

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स्क्रोफोलोसोस-3

26 अगस्त 2022
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      स्क्रोफोलोसोस-3   इस दवा का प्रभाव त्‍वचा एंव सेंसरी नर्व अर्थात संवेदनशील नर्व पर होने से यह त्‍वचा रोग एंव संवेदन शील नसों पर कार्य करती है , यह स्‍पर्श शक्ति को उत्‍तेजित करती है ,

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स्‍क्रेाफोलोस-5

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  स्‍क्रेाफोलोस-5     स्‍क्रोफोलोसो-5 स्‍क्रोफोलोसो-5 में निम्‍न औषधिय पौधों को मिश्रित कर बनाई गयी मूल औषधिय है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में 1  BERBERIS VULGARIS 20

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स्‍क्रोफोलोसोस-6

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                   स्‍क्रोफोलोसोस-6   स्‍क्रोफोलोसोस-6  निम्‍न औषधिय पौधों से मिश्रित कर निमिर्त की गई है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में       1  COCHLERIA  OFFICI

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स्‍क्रोफोलोसोस-10 या (स्‍क्रोफोलोसोस जियापुन)

26 अगस्त 2022
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       स्‍क्रोफोलोसोस-10 या (स्‍क्रोफोलोसोस जियापुन)    स्‍क्रोफोलोसोस-10, एस-1 एंव एफ-1 से मिलती जुलती औषधिय है, अत: कहॉ जाता है कि जब इन दोनों औषधियों को देने की अवश्‍यकता हो तब एस-10 को दिया जा स

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स्‍क्रोफोलोसोस-11 या (माल डी मर)

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     स्‍क्रोफोलोसोस-11 या (माल डी मर) क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में 1 COCHLEARIA  OFFICINALIS 10 2 HYDRASTIS  CANADENSIS   30 3 LOBELIA  INFLATA (Tobacco, Tambakhu)  

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स्‍क्रोफोलोसोस-12 या (मैरीना या मार)

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    स्‍क्रोफोलोसोस-12 या (मैरीना या मार) क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में 1 ATROPA  BELLADONNA   10 2 COCHLEARIA  OFFICINALIS  र्स्‍कर्वी घास   20 3 EUPHRASIA  OFFICINAL

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स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिवो- या (एस लॉस)

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    स्‍क्रोफोलोसो लैसेटिवो- या (एस लॉस)  क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में 1 GENTIANA  LEUTIA   35 2 ALOES  CAPANCES (Kawar Ghandal, Ghee Kawar)   65   एस लॉस में जेन्‍टी

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एंजियाटिकोज-1

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     एंजियाटिकोज-1    रक्‍त संचार में खराबी, या रूकावट की वजह से लो, या हाई ब्‍लड प्रेसर का होना ,ब्‍लड कम्‍पोजिशन की खराबी की वजह से यूरिया, कैटिनिन, कोलेस्‍टाईल का बनना ,हिद्रय का टॉनिक

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एंजियाटिकोज -2

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     एंजियाटिकोज -2   रक्‍त संचार की खराबी की वजह से उत्‍पन्‍न हिद्रय सम्‍बन्धित समस्‍याये, यह दवा हिद्रय के दाहिने भाग पर प्रभावी तथा वेन पर कार्य करती है, वेन या शिराओं का कार्य अशुद्ध रक्‍

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एंजियाटिकोज -3

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   एंजियाटिकोज -3      इस औषधी का निर्माण निम्‍न औषधीय पौधों से एक निश्चित अनुपात में मिश्रित कर बनाया गया है ।   क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 ARNICA  MONTANA (Brinjasik)  

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लिंफैटिको-1 Linfatico-1(Lymphmittel-1)

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   लिंफैटिको-1 Linfatico-1(Lymphmittel-1)        लिफैटिको-1 दवा के निर्माण में निम्‍न औषधीय पौधों को एक निश्चित अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये

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कैंसरोसोज-1

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       कैंसरोसोज-1   इस दवा का निर्माण निम्‍न औेष‍धीय पौधों को एक निश्‍चत अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 RHUS  TOXICODENDRON   20 2 CAULOPHYL

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कैंसरोसोज-2 या सी-2

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       कैंसरोसोज-2 या सी-2    इस दवा का निर्माण निम्‍न औेष‍धीय पौधों को एक निश्‍चत अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 CONIUM  MACULATUM   30 2 EQ

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कैंसरोसोज-3

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        कैंसरोसोज-3      इस दवा का निर्माण निम्‍न औेष‍धीय पौधों को एक निश्‍चत अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 CONIUM  MACULATUM

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कैंसरोसो-4 (C-4)

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     कैंसरोसो-4 (C-4)   इस दवा का निर्माण निम्‍न औेष‍धीय पौधों को एक निश्‍चत अनुपात में मिला कर तैयार किया गया है ।     क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 CONIUM  MACULATUM   40

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कैंसरोसो-5

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       कैंसरोसो-5   इस औषधिय का कार्य क्ष्‍ेात्र विस्‍तृत है, सभी तरह के रोगों इसका प्रभाव में 90 प्रतिशत तक है । यह सैल्‍स एंव टिश्‍यूज रिमेडिज दवा है , इस दवा का प्रभाव समस्‍त ग्रथियों के सैल्‍स ए

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स्‍क्रोफोलोसोस-6डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल , बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0

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                   स्‍क्रोफोलोसोस-6   स्‍क्रोफोलोसोस-6  निम्‍न औषधिय पौधों से मिश्रित कर निमिर्त की गई है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में       1  COCHLERIA  OFFICI

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स्‍क्रोफोलोसोस-10 या (स्‍क्रोफोलोसोस जियापुन)

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       स्‍क्रोफोलोसोस-10 या (स्‍क्रोफोलोसोस जियापुन)    स्‍क्रोफोलोसोस-10, एस-1 एंव एफ-1 से मिलती जुलती औषधिय है, अत: कहॉ जाता है कि जब इन दोनों औषधियों को देने की अवश्‍यकता हो तब एस-10 को दिया जा स

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कैंसरोसोस-13

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    कैंसरोसोस-13   कैंसरोसोस-10 में प्रयुक्‍त औषधीय पौधे व उनकी मात्रायें निम्‍नानुसार है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 RHUS  TOXICODENDRON  25 2 VINCETOXICUM  OFFICINALE  20 3

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कैंसरोसो-15 (सी-15) या लार्ड-1

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     कैंसरोसो-15  (सी-15) या लार्ड-1 कैंसरोसो-15 निम्‍न वनस्पितियों को मिश्रित कर बनाई गयी है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 CONIUM  MACULATUM   30 2 MARASDENIA CONDURANGO   30

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कैंसरोसो-17 (सी-17) या सी टी बी

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     कैंसरोसो-17  (सी-17) या  सी टी बी कैंसरोसो-17 निम्‍न वनस्पितियों को मिश्रित कर बनाई गयी है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 CONIUM  MACULATUM   15 2 PIMPINELLA  SAXIFRAGE  

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फेब्रीफ्यूगो-1 डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल,बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0 (ई0)

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     फेब्रीफ्यूगो-1   फेब्रीफ्यूगों दवा के निर्माण में निम्‍न वनस्‍पतियों का प्रयोग एक निश्‍चित अनुपात में किया गया है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 1.  ACONITE  NAPILLUS (Vatsnabh)

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फेब्रीफ्यूगो-2

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   फेब्रीफ्यूगो-2 क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 AESCULUS  HIPPOCASTANUM   10 2 BERBERIS  VULGARIS 20 3 CETRARIA  ISLANDICA 5 4 CINCHONA  CALISIYA 10 5 CINCHONA  SUCCIRUBRA

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पेट्रोरल्‍स -1 (पी-1)

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     पेट्रोरल्‍स -1 (पी-1)          क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये 1 ADIANTHUM CAPILI VENERIS (Hansraj)   10 2 ALLIUM CEPA (Red Onion, Lal Piyaj) 20 3 EUCALYPTUS  GLOB

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पेट्रोरल्‍स -2 (पी-2)

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        पेट्रोरल्‍स -2 (पी-2) पेट्रोरल्‍स -2 औषधी में निम्‍न वनस्‍पतियों को एक निश्‍चित अनुपात में मिला कर बनाई गई है ।   क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रयें 1   ADIANTHUM CAPILI VENERIS (H

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पेट्रोरल्‍स -3 (पी-3)

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         पेट्रोरल्‍स -3 (पी-3)  पेट्रोरल्‍स-3 औषधी में निम्‍न वनस्‍पतियों को एक निश्‍चित अनुपात में मिला कर बनाई गई है ।   क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रयें 1 PHELLANDRIUM  AQUATICUM 30

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पेट्रोरल्‍स -4 (पी-4)

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         पेट्रोरल्‍स -4 (पी-4)       पेट्रोरल्‍स-4 औषधी में निम्‍न वनस्‍पतियों को एक निश्‍चित अनुपात में मिला कर बनाई गई है ।   क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रयें 1   ADIANTHU

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ग्रीन इलैक्‍ट्रीसिटी ( हरी बिजली)

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   ग्रीन इलैक्‍ट्रीसिटी ( हरी बिजली)   ग्रीन इलैक्‍ट्रीसिटी निम्‍न औषधिय पौधों से संगठन से बनाई गई है । क्र0 औषधिय पौधों के नाम उपयोग मात्रये प्रतिशत में 1 ALTHEA OFFICINALIS   10 2

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रेड इलैक्‍ट्री सिटी (लाल बिजली)

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      रेड इलैक्‍ट्री सिटी (लाल बिजली) लाल इैक्‍ट्रीसिटी एक धनात्‍मक बिजली है अत: इसका प्रयोग शरीर के ऋणात्‍मक भागों मे व रोगों में किया जाता है, यह कफ प्रकृति वालों के अनुकूल है, परन्‍तु रोग स

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ब्‍लू इलैक्‍ट्री सिटी (नीली बिजली)

26 अगस्त 2022
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    ब्‍लू इलैक्‍ट्री सिटी (नीली बिजली)   इसका प्रभाव रक्‍त संचालन की धमनियों पर है जो शुद्ध रक्‍त को लेकर हमारे सम्‍पूर्ण केशिकाओं में रक्‍त का वितरण करती है, यह एक घनात्‍मक इलैक्‍ट्रीसिटी है,

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पीली बिजली डॉ0 सत्‍यम सिंह चन्‍देल बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0 (ई0)

26 अगस्त 2022
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      पीली बिजली   पीली बिजली नेगेटिव दवा है अत: इसका प्रयोग धनात्‍मक बीमारीयों में एंव शरीर के धनात्‍मक स्‍थानों पर किया जाता है, अत: जब कभी उत्‍तेजना चाहे वह शरीरिक हो या मानसिक हो तब इसके  प

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सफेद बिजली (व्‍हाईट इलैक्‍ट्रीसिटी)

26 अगस्त 2022
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    सफेद बिजली (व्‍हाईट इलैक्‍ट्रीसिटी)   यह ए‍क न्‍यूट्रल इलैक्‍ट्रीसिटी है अत: इसका प्रयोग सभी तरह के रोगो तथा किसी भी प्रकृति में की जा सकती है । यह शरीर की कमजोरी को दूर कर शरीर को बलवान बन

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सिन्‍थेसिस (एस वाई)

26 अगस्त 2022
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    सिन्‍थेसिस  (एस वाई) इस कम्‍पाऊंड औषधी में निम्‍न आठ दवाओं को समान मात्रा में मिश्रित कर बनाया गया है । एस-1,ए-3, एफ-1, सी-1, एल-1, पी-2, वेन-1, वर-1 यह औषधी शरीर के सभी संस्‍थानों पर कार्य कर

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अकुआ पर ला पेली APP

20 नवम्बर 2022
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अकुआ पर ला पेली APP इस औषधी में उपयोग की जाने वाली वनस्‍पतियों का विवरण निम्‍नानुसार है क्र0 औषधिय पौधे अन्‍य नाम मात्रा उपयोग 1 ARNICA MONTANA बुल्फ्रस वैन, लेपछर्डस वैन,माउटेन तम्बाखू 10

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