एंजियाटिकोज -3
इस औषधी का निर्माण निम्न औषधीय पौधों से एक निश्चित अनुपात में मिश्रित कर बनाया गया है ।
क्र0
औषधिय पौधों के नाम
उपयोग मात्रये
1
ARNICA MONTANA (Brinjasik)
30
2
ARTEMISIA ABROTANUM
10
3
AVENA SATIVA (Jawi, Jai Oats)
20
4
HYDRASTIS CANADENSIS
20
5
MALVA SILVESTERIS
10
6
PULSATILLA VULGARIS
10
7
SANGUINARIA CANADENSIS
20
20
एंजियाटिको -3
रक्त बनाने ,रक्त को शुद्ध करने वाली,वेन्स में आई खराबी की बजह से ब्लॉकेज होना, ब्लॉकेज को यह धीरे धीरे धोल देती है , ब्लड कम्पोजिशन में आई खराबी को यह ठीक करती , ब्लड में टॉक्सीन होना आदि रक्त सम्बन्धीत समस्त प्रकार के रोगो पर इसका प्रयोग किया जा सकता है ।
एंजियाटिको -3
एंजियाटिको-3 दवा का प्रयोग ब्लड कम्पोजिशन में आई खराबी एंव उसकी वजह से शरीर में जो भी रोग उत्पन्न होते है , उसमें सफलतापूर्वक किया जाता है । ब्लड कम्पोजिशन जैसे प्रोटिन ,बाइब्रोजिन, क्रेटिनिन , ग्लोकोस, एल्बोमिन ,फैटी एसिड प्रोटिन की असमानता या बिगड जाने से जो रोग उत्पन्न होते है उसमें इसका प्रयोग किया जाता है ,
यह दवा ब्लड के कार्यो को ठीक करती है ब्लड कम्पोजिशन के बिगड जाने से यदि कोलेस्ट्राल का बढ जाना , आट्री ,एंव बेन्स में कोई भी खराबी होने पर ब्लाकेज का होना , ब्लाकेज को यह दवा धीरे धीरे धोल देती है । ब्लाकेज की बजह से ब्लड प्रशर का बढना या कम होना आदि में इसका प्रयोग किया जाता है ,ब्लड में टॉक्सीन पैदा होना , क्रेटिनिन ,यूरिक एसिड, लिम्फ में कोई खराबी आदि में इसका उपयोग किया जाता है । कुल मिलाकर हम यह कह सकते है कि इस दवा का प्रयोग ब्लड,या ब्लड कम्पोजिशन में आई खराबीकी वहज से जो भी रोग उत्पन्न होते है उसमें इसका प्रयोग करने से आशानुरूप परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । यह दवा ब्लड के कार्यो व उसके कम्पोजिशन को ठीक करती है ब्लड संचार की अनियमितता या ब्लड संचार में उपयोग आने वाले समस्त अंगों उसमे उत्पन्न रोगों आदि पर इस दवा का प्रयोग किया जाता है । यह दवा रक्त को शुद्ध करती है इसलिये असका प्रयोग समस्त प्रकार के त्वचा रोगो पर अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये , जैसे त्वचा रोग , सोराईसिस, ल्युकोडर्मा आदि में ।
महिलाओं के मासिकर्धम से सम्बन्धित रोगों पर इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये, जैसे मासिक धर्म का कम होना या समय पर न होना , या मासिकधर्म का अधिक होना ,मासिक में रक्त स्त्रावों ,रक्त में काले थक्के का निकलना ,एम सी पीरियड में जो भी समस्या हो उसमें इसका प्रयोग सी-1 के साथ करना चाहिये ।
डायलुशन
प्रथम डायलुशन:- एंजियाटिको-3 का प्रथम डायलुशन का प्रयोग निगेटिव रोगों पर करना चाहिये जैसे निम्न रक्त चाप (लो ब्लड प्रशर) , महिलाओं के मासिकर्धम के रूकने पर इसका प्रथम डायलुशन का प्रयोग करने से उचित परिणाम मिलते है ।
दिव्तीय डायलुशन:- एंजियाटिको-3 का दिव्तीय डायलुशन का प्रयोग किसी भी अगं के सडने गलने या जब कोई भी अंग कार्य न कर रहा हो ब्लड कम्पोजिशन या ब्लड सर्कुलेशन को यह ठीक करती है ।
तृतिय डायलुशन:- एंजियाटिको-3 का तृतिय डायलुशन का प्रयोग उच्च रक्तचाप ,या हिद्रय धडकन का बढ जाने आदि में किया जाता है । शरीर से रक्त स्त्रावों के होने पर शरीर में कही भी र्दद होने पर इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों कें साथ करना चाहिये । पैरालाईसेस में भी इस दवा का प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये । ब्लड कम्पोजिशन की गडबडी की वजह से रक्त दोष,फोडा ,फुंसी या कैसर तथा ब्लड कैंसर में , इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये । बच्चों की हाईट न बढने पर इस दवा का प्रयोग एस-1 के साथ करने पर उचित परिणाम मिलते है । बच्चों के सूखा रोग या कुपोषित बच्चों में इस दवा का प्रयोग ए-3 एस-1एल-1 के साथ करना चाहिये
खॉसी , टी0बी0 या फोंफडो की समस्याओं में इसका प्रयोग पी- ग्रुप की औषधियों के साथ करना चाहिये। गठिया,जोडों के दर्द ,प्रदाह आदि में इसका प्रयोंग अपनी सहायक औषधियों जैसे एस-1 या एफ के साथ करना चाहिये , कैंसर रोग में इसका प्रयोग सी-ग्रुप की दवाओं के साथ करना चाहिये , छाती के कैंसर में इसका प्रयोग पी-ग्रुप की दवाओं के साथ करना चाहिये । हार्टअट्रैक की संभावना में इसका प्रयोग करने से उचित परिणाम मिलते है ,सूजन होने पर इस दवा का आंतरिक एंव वाह्रय प्रयोग करना चाहिये ।
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डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0एच0एम0एस ,एम0डी0ई0
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बण्डा मकरोनिया सागर मध्य प्रदेश
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