पीली बिजली
पीली बिजली नेगेटिव दवा है अत: इसका प्रयोग धनात्मक बीमारीयों में एंव शरीर के धनात्मक स्थानों पर किया जाता है, अत: जब कभी उत्तेजना चाहे वह शरीरिक हो या मानसिक हो तब इसके प्रयोग से आशानुरूप परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । अत: हम कह सकते है कि यह उत्तेजना का शांत करती है ।
मानसिक व्याधियॉ :- जैसाकि यह दवा अपने प्रभावों के कारण नेगेटिव प्रभाव उत्पन्न करता है, अत: जब कभी उत्तेजना की वजह से बच्चों में चिडचिडापन, जिद्द करना, रोते रहना, क्रोधित रहना, सामानों को फेक देना, बच्चों का गोद में घूमना नीचे उतारों तो रोने लगना, जैसी उत्तेजित प्रवृति में इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है, केवल बच्चे ही नही किसी भी उम्र के व्यक्तियों में मानसिक उत्तेजना की वजह से चिडचिडाना, जिद्दी प्रवृति, क्रोधित व उत्तेजित अवस्था में रहना लडने झगडने की प्रवृति, जैसी मानसिक व्याधियों में इसका प्रयोग किया जा सकता है । जिस प्रकार से यह मानसिक उत्तेजना में प्रयोग की जाती है ठीक उसी प्रकार यह दवा शारीरिक उत्तेजना को भी दूर करती है, हाई ब्लड प्रेशर ,में यह दवा अपनी सहायक औषधियों के साथ प्रयोग करने पर अच्छे परिणाम देती है । जैसे ए ग्रुप की दवाओं के साथ । लीवर व पेट की सभी समस्याओं में इसका प्रयोग एस-1, वर-1 कब्ज रहने की स्थिति में एस लास के साथ प्रयोग करने पर बहुत अच्छे परिणाम मिलते है लीवर की खराबी में खट्ठी डकारें आना ,ऐसीडिटी में एस-5 के साथ प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । बुखार किसी भी प्रकार का हो कितना भी पुराना हो इसका प्रयोग एफ ग्रुप की दवाओं के साथ करने पर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
बैक्टेरियल बीमारीयॉ :- पेट में कीडे हो या किसी भी प्रकार का बैक्टेरियल बीमारी में इसका प्रयोग किया जाता है । बीमारीयों की स्थिति के अनुसार यह अपनी सहायक औषधियों के साथ प्रयोग करने पर बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । जैसे पेट में कीडें हो तो वर ग्रुप के साथ प्रयोग करे यदि कब्ज हो तो एस लास के साथ प्रयोग किया जा सकता है, पेट में कीडे ,पुरानी कब्ज की स्थिति में वाई ई, वर-1, तथा एस लास का प्रयोग करने से पेट के कीडे निकल जाते है एंव पुराने से पुराना कब्ज ठीक हो जाता है ।
त्वचा रोग :- पीली बिजली जैसा कि पहले भी कहॉ गया है यह एक नेगेटिव बिजली है अत: त्वचा की उत्तेजना जैसे खुजली, त्वचा में दाने, जलन, एक्जीमा, ल्युकोर्डमा, एलर्जी आदि में इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों जैसे वर-1 के साथ सी-3, एस-3 के साथ प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
अन्य रोग:- कब्ज , बबासीर ,ऑतों के रोग , आतों में टाक्सिन व कीडे , बैक्टिरियॉ आदि , छॉती में कफ जमने की स्थिति में इसका प्रयोग पी ग्रुप की औषधियों के साथ करना चाहिये । ऑतों की परेशानीयों में इसका प्रयोग एस-10 सी-10 के साथ कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । बालों में बैक्टिरिया की वजह से खुजली या बाल झडतें हो तो इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिये, यह दवा कैंसर में पनपने वाले बैक्टिरिया की अच्छी एंव प्रभावी दवा है । यह सभी तरह के ग्लैण्ड में आई उत्तेजना को शान्त करती है ।
डायल्युशन का प्रयोग:- जैसाकि आप सभी को पता है कि इसका प्रथम डायल्युशन तीब्र होता है अत: कब्ज को दूर करता है , रक्त संचय , रक्त के दौर, पेशाब का रूकना , सर्दी लगने पर छाती में कफ का जमना , पेट में पनप रहे कीडों को बाहर निकालता है ।
दूसरा डायल्युशन:- इसका दूसरा डायल्युशन कम तीब्र होता है इस लिये इसका प्रयोग त्वचा सम्बधित बीमारीयों में , नीद का न आना , मिर्गी के दौरे , हिस्टिरियॉ रोग व उसके दौरे में ,सभी तरह के ग्लैड की उत्तेजना में इसका प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है आवश्यकतानुसरा इसका प्रयोग आंतरिक एंव बाहय उपयोग किया जाता है ।
तीसरा डायल्युशन:- इसका तीसरा डायल्युश्न किडनी ,लीवर की सूजन उनकी उत्तेजना , माईग्रेन जिद्दी तरह के रोगो में हाईड्रोसिल आदि में किया जा सकता है ।
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0 एच0 एम0 एस0 , एम0 डी0 (ई0)
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