पेट्रोरल्स -4 (पी-4)
पेट्रोरल्स-4 औषधी में निम्न वनस्पतियों को एक निश्चित अनुपात में मिला कर बनाई गई है ।
क्र0
औषधिय पौधों के नाम
उपयोग मात्रयें
1
ADIANTHUM CAPILI VENERIS (Hansraj)
15
2
ALLIUM CEPA (Red Onion, Lal Piyaj)
10
3
ARNICA MONTANA (Brinjasik)
30
4
EUCALYPTUS GLOBULUS (Safeda, Neelgiri)
10
5
PHELLANDRIUM AQUATICUM
20
6
POLYGALA AMARA
25
7
URAGAGO IPECACUANHA
10
8
ACONITE NAPILLUS CP Febrifugo 1
20
पेट्रोरल्स -4 श्वसन तंत्र एंव फेफडों के रोगों की तृतीय अवस्था के रोगों पर प्रयुक्त की जाती है । यह दवा वृद्धव्यक्तियों के श्वसन तंत्र के रोगों में प्रयोग की जाती जैसे खॉसी, दमा, न्युमोनिया, टी0बी, ब्रोकाईटिस, श्वास लेने में दिक्कत,श्वास रोग बलगम का बाहर न निकलना , पुरानी खॉसी या वृद्धों की खॉसी आदि में वैसे तो यह वृद्ध व्यक्तियों के लिये फेफडों व सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम पर कार्य करने वाली कारगर दवा है इसीलिये इसे वृद्ध व्यक्तियों का मित्र कहॉ जाता है क्योंकि वृद्धावस्था में प्राय: श्वास या फेफडों के रोग की समस्यायें अधिक हुआ करती है । यह दवा जहॉ वृद्धावस्था के श्वसन तंत्र के रोगों पर अच्छा कार्य करती है ठीक उसी प्रकार से यह सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम पर भी अच्छा कार्य करती है । यह दवा फैफडों के तंत्रिका तंत्र की अच्छी दवा है । उम्र के बढने के साथ साथ फैफडें व नर्व सिस्टम कमजोर होने लगता है इसकी वजह से जो सिंगनल हमारे मस्तिष्क को मिलने चाहिये वह नही मिलते इससे वृद्ध व्यक्तियों को कोई बात कहो या कोई भी निर्णय लेना हो तो उन्हे समझने में काफी परेशानी होती है उनकी याददास्त कमजोर होने लगती है, दिमाकी परेशानीयॉ होना , दिमाक में उल्झन , नीद न आना जैसी समस्याये होने लगती है उसकी इन समस्याओं पर यह दवा अच्छा कार्य करती है । इसके अतरिक्त यह दवा छाती से जुडे रोगों व बातसूत्रों पर भी कार्य करती है । वृद्ध व्यक्तियों के प्रोस्टेट से जुडे रोग, पेशाब का रूक जाना, या रूक रूक कर पेशाब होना, रात्री में कई बार पेशाब होना , पेशाब में जलन, या मूत्राश्य की अन्य समस्याओं पर भी इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ कर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । बीडी सिगरेट गॉजा या नशा करने वालों के जिनके फैफडें खराब हो चुके है फैफडों पर टारटर जम चुका हो या फैफडों के नर्व या फैफडों को क्षति होने फैफडों के शिथिल होने पर भी इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है । फैफडों व श्वसन रोग के चौथे स्टेज के रोगों में इसका प्रयोग कर उचित परिणाम प्राप्त किया जा सकता है । पी-1 एंव एफ-1 के अंर्तगत आने वाले रोगों में न्युमोनिया, टी0बी0, दमा, व श्वास रोग की वजह से आई कमजोरी को भी यह दूर करती है । वृद्ध व्यक्तियों के फैफडों का ही नही यह उनके शारीरिक कमजोरी का भी टॉनिक है ।
डायल्शुन का उपयोग:- इसके प्रथम डायल्शुन का प्रयोग सभी तरह के एक्युट केशों में किया जाता है । सूखी खॉसी , बलगम का फॅसा होना ,बलगम को निकालने में प्रयोग किया जाता है ।
दूसरा डायल्युशन :- इसके दूसरे डायल्युशन का प्रयोग दमा, फैफडों या श्वसन तंत्र से रक्त आना, खॉसी सूख गई हो
तीसरा डायल्युशन :- इसके तीसरे डायल्युशन का प्रयोग टी0बी, फैफडों का क्षय होना, मुंह से लार गिरना आदि में
उच्च डायल्युशन :- इसका प्रयोग पुरानी खॉसी, पुराने श्वसनतंत्र के रोगों पर किया जाता है ।