सफेद बिजली (व्हाईट इलैक्ट्रीसिटी)
तंत्रिका तंत्र, नर्वस सिस्टम:- तंत्रिका तंत्र, नर्वस सिस्टम, पैरासिम्फाईटिक नर्व , ग्रेट सिम्फाईटिक नर्व , सोरल फैक्सिस नर्व ,लधु मस्तिष्क और वात संस्थानों के समवेदिक सूत्रोंपर प्रभावी होने से यह इन सिस्टम में आई खराबी व अवरोध को दूर करती है । नर्व सिस्टम पर इसका प्रभाव होने के कारण यह स्नायुविक दुर्बलता , पागलपन, तथा शारीरिक व मानसिक उत्तेजना को शांत करती है । मस्तिष्क की स्नायु संस्थान की दुर्बलताके कारण हिद्रय का धडकना ,हिद्रय में जल का जमा होना या उच्च या निम्म रक्तचाप होना आदि में प्रयोग की जाती है । सोरल फैक्सेस में प्रभावी होने से (जो हमारे पेट में जाल की तरह से फैला हुआ है) पेट से सम्बन्धित बीमारीयों में जैसे भूंख न लगना , अपच , खटटी डकारों का आना, बदहजमी, भोजन का न पचना ,पेट र्दद ,पेट र्दद यदि गैस की वजह से हो या पथरी की वजह से र्दद हो या अन्य प्रकार के र्ददों को भी यह शान्त कर देती है । दिमाक के तंत्रिका तंत्रों में प्रभावी होने से यह सिर र्दद , आधासीसी , का र्दद , या मानसिक बीमारीयों आदि में यह दवा अपनी सहायक औषधियों के साथ अच्छे परिणाम देती है । दिमाकी बैचैनी में इसका प्रयोग एस-10 के साथ करने से उचित लाभ होता है । नर्वस सिस्टम के रोगों में , पक्षाधात रोग किसी भी तरह के पक्षाधात में इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये ।
विषैले पदार्थो या औषधियों के दु:प्रभावों को दूर करती है । यह कमजोरी को दूर कर शरीर को बलवान तो बनाती ही है साथ ही शारीरिक विकाश में अपनी सहायक औषधियों के साथ शारीरिक विकास में सहायता करती है एंव रक्त की कमी को दूर करती है , बच्चेां की लम्बाई न बढ रही हो या शारीरिक विकास न हो रहा हो तो इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करने से आशानुरूप परिणाम मिलते है । भूखॅ बढाती है विष को दूर करती है पेशाब लाती है व कब्ज को दूर करती है , याददास्त को बढाती है । मुहॅ में छाले दॉतों का र्दद गले का र्दद , छाती पेट के रोगों में, शारीर में उत्तेजना बढी हो तो इसका प्रयोग करने से यह उत्तेजना को शांत कर देती है । ब्लड प्रशर के बढने पर ,इस औषधिय का लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है इसका लम्बे समय तक उपयोग करने पर किसी भी प्रकार का कोई दु:परिणाम नही होते अत: हम कह सकते है कि यह एक सुरक्षित शांति प्रदान करने वाली नीद लाने वाली तथा शरीर को शक्ति प्रदान करने वाली एक बलवृद्धक औषधिय है । जैसाकि हमने पहले ही कहॉ है कि यह उत्तेजना का समाप्त करती है अत: कैसर में यदि शारीरिक या मानसिक उत्तेजना हो रही हो तो इसके प्रयोग से रोगी की शारीरिक व मानसिक उत्तेजना समाप्त हो जाती है । ऐनिमिया रोग रक्त की कमी आदि में
छाती के रोग:- छाती के रोगों में जब बलगम न निकले तब इसे अपनी सहायक औषधियों जैसे एस-1 एस-10 के साथ देने से यह बलगम को निकाल देती है । पी ग्रुप की दवाओं के साथ भी यह अच्छे परिणाम देती है , श्वास रोग ,खॉसी ,दमा,क्षय रोग एंव श्वसन तंत्र के रोगों में भी इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करने पर आशानुरूप परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
पीलिया रोग में एस-5 के साथ प्रयोग कर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते है स्त्री पुरूषों के जेनाईटल रोगों जैसे बाझंपन , स्पर्म का कम होना ,नपुसकता, अण्डाणुओं कम बन रहे हो तब इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ कर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । लीवर रोग में एस-5 के साथ मूत्र रोग में एस-2 या मधुमेह , में सी-17 के साथ प्रयोग करना चाहिये या फिर रोग स्थिति के अनुसार अन्य सहायक औषधियों का भी प्रयोग किया जा सकता है । सिर र्दद या अन्य र्ददों में इसका वाहय प्रयोग करने से भी उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है । किसी भी तरह के नशे को छोडने के लिये इसका प्रयाग एस-1 के साथ करना चाहिये । त्वचा रोग खुजली, सफेद दॉग , त्वचा पर दाने , मॉसपेशियों का र्दद गठिया ,बालों के झडने व असमय सफेद होने पर त्वचा को साफ चमकदार सुन्दर बनाने के लिये इसका प्रयोग एपीपी एस-5 तथा डब्लू ई के साथ चहरे पर लगाने से त्वचा साफ चमकदार सुन्दर हो जाती है । कील,मुंहासे आदि समस्याओं पर भी इसका प्रयोग अपनी सहायक औषधियों के साथ करना चाहिये । शीत ज्वर के आक्रमण होने, शरीर में ठण्ड लगने बात निर्बलता की वजह से जो र्दद हुआ करता है उसमें भी उपयोगी है जैसे दॉतों की पीडा ,गला बैठ जाना ,जब रोगी मुंह से बोलने में असफल हो तब इसके वहाय प्रयोग से लाभ होता है ।जैसाकि विदित है कि यह एक शक्तिदाय औषधिय है अत: वृद्ध व्यक्तियों को शारीरिक शक्ति प्रदान करती है रक्त वर्धक होने से शारीरिक कमजोरी को दूर करती है, वृद्ध व्यक्तियों की दुर्बलता की वजह से नीद न आती हो चक्कर आते हो यह वृद्ध व्यक्तियों की कमजोरी तो दूर करती ही है साथ ही याददास्त को बढाती है अत: यह वृद्ध व्यक्तियों की साथी है । इसका प्रभाव यकृत, प्हीहा, क्लोम ,वृक्क ,मस्तिष्क ,वातसूत्र ,अथवा सम्पूर्ण वात संस्थान पर है । पेशाबका बार बार होना उसमें एल्बुमिन आना इसकी वजह से कमजोरी आदि को यह दूर करती है । सर्दी जुखांम ,बारी बारी से आने वाले रोगों में भी यह अच्छा कार्य करती है । थाईराईड ,बदन तोड बुखार, ठण्ड देकर आने वाले बुखार ,प्रसूती ज्वर , क्षय रोग रयूमेटिक ज्वर , बात ज्वर , सूखीखॉसी ,फेफडों की सूजन ,स्वर यंत्र का जीर्ण प्रदाह ,तालुग्रथिं का प्रदाह , रक्त संचय के कारण दमा ,स्वास संस्थान के रोग , शुक्रक्षय ,स्वप्नदोष
डायल्युशन :- प्रथम डायल्युशन :- इसका प्रथम डायल्युश्न कमजोरी को दूर करता है भूंख लगाता है , अपच ,पेट र्दद किसी भी कारण से हो यादि दस्त लग रहे हो तो इसका प्रयोग एस-10 के साथ करना चाहिये
कैंसर के र्ददों में इसके वहा प्रयोग से अच्छे परिणा प्राप्त किये जा सकते है । शरीर के किसी भी स्थिान में र्दद होने पर इसके वहाय प्रयोग के उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है ।
दूसरा डायल्युशन :- शान्ती लाता है उन्माद , पागलपन, नीद न आना मानसिक रोग ,बुखार आदि में
तीसरा डायल्युशन :- धबराहट, बैचैनी, खुजली, मिरगी, नर्वस सिस्टम से जुडे रोगों पर
हायर डायल्युशन :- दुबले पतले रोगी, पुराने रोगों में , त्वचा रोग आदि कील मुंहासे जैसे रोगों पर
डॉ0 सत्यम सिंह चन्देल
बी0 एच0 एम0 एस0,एम0 डी0 (ई0)
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