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दैनिक प्रतियोगिता

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इंसान की इच्छाएं कभी भी पूर्ण नही होते है इंसान का मन कभी भी पूर्ण नही होता है जिस प्रकार पेट को शांत करने के लिये भोजन को ग्रहण करना पड़ता है और फिर इंसान की शुदा शांत हो जाती है किन्तु मन एक ऐसा आधार

कौन आदमी दुनिया में जिस की पूरी हुवी आखिरी इच्छा,हर एक इंसान होता दुनिया में बस इच्छाओं से सजा गुलदस्ता।।

बचपन और प्यार की दुनिया होती जादुई दुनिया,एक फूंक में गम को मिटा दे वो खूबसूरत पुड़िया।।

ये दुनिया भी जादुई दुनिया से कम नही है जहां इन्सान के कर्मो के खेल से रोज खिलाता है भगवान जैसे एक मदारी अपनी डूगडूगी से जानवर को नचाता है ठीक उसी प्रकार भगवान अपनी जादुई छड़ी से कर्मो के अनुसार किसी को

प्रेम ही इंसान को इंसान बनाता है |प्रेम ही हैवान को इंसान बनाता है |प्रेम ही दुश्मन को दोस्त बनाता है |एक भक्त का प्रेम होता है ईश्वर से |एक बच्चे का प्रेम होता है अपनी मां से |पर क्या आज के युग में म

जैसा की हम सभी जानते है की आज के समय में जनसंख्या काफी बड़ा मुद्दा बन चुका है जिस पर अगर लगाम नही लगी तो बहुत कुछ विकराल स्थिति देखने को मिलेगी भारत में बढ़ती जनसंख्या के बावजूद ही रोजगार की कमी भी बनी

शीर्षक ---बच्चे उड़ने दो हवाओं में हमें भी,जीने दो कुछ पल हमें भी,मत लगाओ बंदिशे मुझ पर,मेरी मासूमियत पर,लौट के वो पल नही आयेंगे।करने दो कुछ शेतानियाँ हमें भी,चाह कर भी नही आएंगे वो पल,बचपन के

हम हर साल चौदह नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती के उपलक्ष्य में बाल दिवस मनाया जाता है बालक पण्डित जवाहर लाल नेहरु को चाचा नेहरु कहकर भी बुलाते थे व पंडित जवाहर लाल नेहरु जी भी बच्चों से बहुत अ

हर दो साल बाद आयोजित होता है टी 20विश्वकप जिसमें की कई देशों की टीम भाग लेती हैं और अपने प्रदर्शन के अनुसार जीतती व हारती है लेकिन बात करे भारत की तो भारत की इस वर्ष 2022 में करारी हार जो की इंग्लैंड

भ्रष्टाचार तो यहां जैसे बन चूका हर एक के लिए शिष्टाचार,निदान यहीं की अपने अंदर जगाओ देशहित के संस्कार।।

इस देश में आजादी से पहले और आजाद के बाद तक भ्रस्टाचार एक ऐसा मुद्दा रहा है जो की आज तक किसी से भी नही सुलझा है वो इसलिये की देश को चलाने वाले से लेकर के और छोटे बड़े सभी कर्मचारी जहां तक जिस विभाग में

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,शीर्षक --शिक्षा का मोलशिक्षा का मोल होता है,अगर शिक्षा दिल से मिले तो,वो शिक्षा कहला जाती है,दुनिया में अनमोल है।शिक्षा तो हर कोई पाता है,मगर खुद से जीतता है,कोई कोई ही है।बड़ी बड़ी डिग्रियां पाकर भी,ल

जैसा की हम सभी जानते है की शिक्षा के बिना इस धरती पर कुछ भी संभव नही हैं किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिये शिक्षा बहुत जरुरी है हम चाहे किसी के भी उपलक्ष्य में या जयंती में शिक्षा दिवस मनाये किन्तु

जातिवाद और धर्म भेदभाव का भाव है सबसे बड़ी विकृती,इससे कभी भी ना बढ़ पाती हमारे समाज की महान संस्कृती।।

शीर्षक--जातिवाद और धर्म की जंजीर इंसानियत का फैला दो पैगाम,दुनिया में होगा इसका अच्छा परिणाम,जातिवाद और धर्म के भेदभाव को,भूल कर खुद को दे दो इनाम।न हवाओं पर लिखा है जाति और धर्म,न खून पे लिखा

ईश्वर ने इस धरती को रचा है और जाहिर सी बात है की जब धरती को रचा है तो बनाने वाले ने इंसान को भी बनाया है वो इसलिये की इन्सान दो पैर का बुद्धिजीवी प्राणी हैं जिसके पास दिमाग है ईश्वर की यह बहुत सुन्दर

शीर्षक ---आरक्षण की बेड़ियाँ आरक्षण के नाम पर,आरक्षण के तलवार से,मत छीनो सबका,प्रतिभाओं का अधिकार।लड़ना छोड़ो जिंदगी में,पढ़ना सीखो जिंदगी में,बिना रुके जिंदगी में,बढ़ना सीखो हर घड़ी।जहाँ ज्ञान होगा,वह

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गये संविधान का एक अभिन्न अंग है आरक्षण जो यह तय करता है की गरीबी रेखा या फिर गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के स्कूल,कॉलेज  व सरकारी नौकरियों में आरक्षण फैसला

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गये संविधान का एक अभिन्न अंग है आरक्षण जो यह तय करता है की गरीबी रेखा या फिर गरीबी रेखा से नीचे आने वाले लोगों के स्कूल,कॉलेज  व सरकारी नौकरियों में आरक्षण फैसला

सबसे पहले तो देश में कोई भी परिवर्तन लाया जावे या उस पर अम्ल किया जावे तो सबसे पहले तो उस पर राजनीति नही होनी चाहिये अगर किसी भी योजना या परिवर्तन पर नेता राजनीति करेंगे तो वह योजना या परिवर्तन भले ही

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