श्रीसूरदासजी हिन्दी-साहित्य-गगन के सूर्य तो हैं ही, बाल-वर्णन के क्षेत्र में भी सम्राट हैं-यह बात सर्वमान्य है। उसके दिव्य नेत्रों के सम्मुख उनके श्यामसुन्दर नित्य क्रीड़ा करते हैं। सूर कल्पना नहीं करते, वे तो देखते हैं और वर्णन करते हैं। इसीलिये
Us Nazar Ne Kya Se Kya Bana Diya Read more
Osho hi Osho Read more
परमात्मा अज्ञात नहीं है, यही धर्म और विज्ञान का भेद है। धर्म कहता है: जगत में तीन तरह की बातें हैं- ज्ञात, जो जान लिया गयाऋ अज्ञात, जो जान लिया जाएगा और अज्ञेय, जो न जाना गया है और न जाना जाएगा। विज्ञान कहता है: जगत में सिर्फ दो ही चीजें हैं - ज्ञात
आती जाती लहरों की तरह भावनाएं भी उमड़ती घुमड़ती रहतीं हैं और जो भावनाएं शब्द बन लेखनी द्वारा उकेरा जाएं तथा जन मानस के हृदय को स्पर्श करें। जनमानस द्वारा दिया गया प्यार ही हम लेखकों का सुख सागर है जिसमें गोता लगा नया सृजन निकलता है।
Osho Shishya Ki Daastan Kavita Ki Juban Read more
Dhyan Prem Ki Chao Mein Read more
Jeevan Ke Rang Osho Ke Sang Read more
जीवन-संगीतः 1942-2018 यह बात ध्यान देने की है कि यह बोध मेरे द्वारा किसी उपाय या चेष्टा से नहीं, बल्कि स्वयं उस सत्ता के वात्सल्य मय गुण के कारण, उसी की इच्छा से हो सका है। शायद इसी को सद्गुरू कृपा कहते हैं। (डायरी नं.-21 से साभार). Read more
पास्ट लाइफ रिग्रेशन एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से हम खुद को सम्मोहित करते हैं और खुद को अपने पिछले जन्मों में ले जाते हैं !या दुसरो को सम्मोहित करके उसे उसके पिछले जन्मों में ले जाते हैं !जो लोग पुनर्जन्म में नहीं मानते हैं उनके लिए प्रक्रिया क
अपने अस्तित्व की खोज में एक कदम बढ़ने का आनंद
अपने उपन्यास "देवकी का बेटा" में राघव जी ने जननायक श्रीकृष्ण का चरित्र ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। इस उपन्यास में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के साथ संबद्ध अनेकानेक अलौकिक घटनाओं को लेखक ने वैज्ञानिक कसौटी पर रखकर उन सबका संगत अर्थ दिया है। लेखक
इन प्रवचनों में महावीर वाणी की व्याख्या करते हुए ओशो ने साधना जगत से जुड़े गूढ़ सूत्रों को समसामयिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इन सूत्रों में सम्मिलित हैं--समय और मृत्यु का अंतरबोध, अलिप्तता और अनासक्ति का भावबोध, मुमुक्षा के चार बीज, छह लेश्याएं: चेतन
इस किताब में संवाद के माध्यम से जीवन जीने का बेहतरीन समाधान किया गया है साथ ही धर्म दर्शन के विषयों पर प्रकाश डालते हुए क्या होना चाहिए क्या नही होना चाहिए इस तरह की शंका का समाधान किया गया है। एक आस्था ही इतना बड़ा सम्बल है कि मनुष्य अपनी घोर प्रतिकू