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अधिग्रहण अंतिम क़िश्त।

4 मार्च 2022

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अधिग्रहण  अंतिम क़िश्त 

( अब तक-- रामबगस ने पटवारी को धमका कर कहा की तुम आज ही मेरे कहे अनुसार रिपोर्ट  बनाओ)

इस जमीन के  अधिग्रहण के समय जमीन मालिक उस नागपुर में था अतः तीन महीनों तक बात दबी रही । कुँज गोड़ ने न जमीन बेची है न ही उसे फूटी कौड़ी भी अपने जमीन के एवज में मिली है । अतः जमीन की रजिस्ट्री कैन्सल कर जमीन , वापस उसके मालिक कुंज बिहारी गोंड के नाम करना कानून सम्मत होगा । ये काम आज के बदले कल हुआ तो तुम और तुम्हारे परिवार की खैर नहीं

 । " सुदामा पटवारी ने लगभग काँपते हुए कहा- आपका हुक्म सर आँखों पर । अगले दिन तहसीलदार गोकुल मोरे को पकड़कर लाया गया । और बीस बेंदूकधारियों के बीच बड़े प्यार से समझाया गया कि कुँज गोंड़  की जमीन की रजिस्ट्री हेतु प्रकरण पटवारी के मार्फत आपके टेबल पर पहुँच चुका है । तुरन्त इस पर सहमति बना कर रजिस्ट्री कैन्सल करने हेतु नोट शीट रजिस्ट्रार को, कलेक्टर को,संबंधित न्यायालय में जहाँ कुँज का प्रकरण चल रहा है वहाँ जमा करो । ये तुम्हारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है । हम इस प्रकरण में कुछ ना नुकुर नहीं सुनना चाहते । उधर दुर्ग न्यायालय में जैसे ही रजिस्ट्री कैन्सल संबंधित रिपोर्ट पहुँची तो न्यायालय ने भी कुँज के हक़ में आदेश पारित कर दिया ।
 फैक्ट्री मालिक आर के सिंग को भी रामबगस ने फोन से धमकाया। अगर अपनी और अपने परिवार की सलामती चाहते हो तो जैसा हम कह रहे हैं वैसा करो । आर के सिंग ने अपनी समस्या सभी विधायकों और शहर के सासंद को बतायी तो सबने हाथ खड़े कर दिये । सिंग जी को अगले दिन रात दस बजे गंडई लाया गया और उन्हें गंडई से साल्हे ले जाया गया । । साल्हे में रामबगस ने सिंग से  स्टाम्प पेपर्स पर यह लिखवाया , चूंकि उक्त फैक्ट्री की जमीन कुँज बिहारी गोंड़ की है और इस फैक्ट्री का निर्माण मेरे द्वारा किया गया है । लेकिन कुँज को आज तक उसकी जमीन के बदले एक पैसा भी नहीं मिला है । अतः अपनी इस फैक्ट्री का तीस प्रतिशत मालिकाना हक कुँज गोंड़ को खुशी खुशी देता हूँ । और पिछले पन्द्रह साल से चूँकि उस जमीन का मैं मुफ़्त उपयोग कर रहा हूँ । अतः 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष के हिसाब से 15 लाख रूपये दस दिनों के अंदर देने का वायदा करता हूँ । 
तीसरे कदम के रूप में रामबगस की टीम द्वारा धर्मपुरा में वासुदेव को मारने वाले भिलाई गैंग का पता लगाकर हर उस को शख्स को चुन - चुन कर मारने का फ़ैसला किया, जो उस वारदात में  शामिल थे । साथ ही उनके साथ आये दो पुलिस वालों की लाश भी ग्राम साल्हे लाने का फ़ैसला लिया गया । जिसके लिये दस दिनों बाद धावा बोलने का निर्णय लिया गया।

आज धर्मपुरा की फैक्ट्री सिंग साहब और कुँज बिहारी गोंड़ के नेतृत्व में खूब फल फूल रही है । कंपनी का काम और लाभ पिछले दो वर्षों में पच्चास प्रतिशत बढ़ चुका है । धर्मपुरा गाँव के कम से कम सौ बाशिन्दे इस फैक्ट्री में कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं । साथ ही यहां एक और फैक्ट्री लगाने का सामुहिक निर्णय लिया गया।। यह फैक्ट्री पहली वाली फेक्ट्री से चार गुना बड़ी होगी । इस हेतु लगभग पचास एकड़ ज़मीन की ज़रूरत होगी । प्रति एकड़ लगभग बीस लाख रूपये का मुआवज़ा किसानों को दिया जायेगा । एक खास बात इस प्रोजेक्ट में यह है कि किसानों को मुआवजे की रकम नगद न मिलकर उन्हें ज़मीन की कीमत के अनुरूप फैक्ट्री का कुछ प्रतिशत  मालिकाना हक मिलेगा।  वे सभी इस फैक्ट्री के मालिक भी होंगे । 

एक साल बाद , आज दूसरी फेक्ट्री का उदघाटन हो रहा है । गाँव में हर्षोउल्लास का माहौल है । बस्ती के बीचों - बीच मैदान पर एक बड़ा सा मंच बना है । मंच पर आर के सिंग और कुन्ज गोड़ विराजमान है । आज गाँव के उन किसानों को शेयर होल्डर सर्टिफिकेट वितरित किये जायेंगे जिनकी जमीन फैक्ट्री में समाहित हुई है । मैदान में आज इस गाँव का पूर्व पटवारी सुदामा देवांगन और पूर्व तहसील दार मोरे भी उपस्थित हैं। उन दौनों ने भी इस फैक्ट्री के सौ - सौ शेयर खरीद रखे हैं  । अभी मंच से आरके सिंग जी का उद्बोधन खत्म हुआ है , लोग  मुख्यअतिथि का इंतज़ार कर रहें हैं । इतने में एक सफ़ेद एम्बेसेडर कार मंच के दाएँ  किनारे पर रूकती है । सिंग जी और कुँज मुख्य अतिथि के स्वागत में कार के सामने खड़े हो जाते है । कार का दरवाजा खुलता है और मुख्य अतिथि जी का पर्दापण होता है । वहां उपास्थित सभी लोग मुख्य अतिथि के स्वागत में खड़े हो जाते हैं। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और कोई नहीं , फैक्ट्री के संचालन की नई राह दिखाने वाले आदरणीय रामबगस जी है । रामबगस जी अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कह रहे हैं कि हम विकास के कतई खिलाफ़ नहीं है लेकिन हम चाहते हैं विकास संतुलित हो। । विकास में हर शख्स की अपनी क्षमता और मेहनत के अनुरुपकी भागीदारी हो। विकास सिर्फ़ आर्थिक रूप से सक्षम लोगों का ही हो ये हमें कतई मंजूर नहीं । गाँव वालों को साथ लेकर सामूहिक व सहकारिता की पद्धति से काम करें तो सबको इससे लाभ मिलेगा उद्योगपतियों को भी और किसानों - मज़दूरों को भी । इसके अलावा और कोई भी तरीका हमें मंज़ूर नहीं । हमारे जीते जी कोई शख्स और कोई भी अन्य तरीका अपनाता है तो हम पुरजोर विरोध करेंगे । हम प्रशासन से भी लड़ने तैय्यार हैं । हमको प्रशासन को झुकाना भी आता है । इतना कहकर इस नारे के साथ वे अपना भाषण बंद करते हैं । "

हमारा विचार केवल सहकार,
अन्य तरीका हमें नहीं स्वीकार " 

*जय भारत , जय छत्तीसगढ़ , जय किसान संगठन* 
जय किसान संगठन के नारों से सारा आकाश गूंज पड़ता है । 
आज ग्राम धर्मपुरा प्रदेश का आदर्श गाँव है । छत्तीसगढ़ सरकार ने इस गाँव को आदर्श गाँव का तमगा दिया है । साथ ही सरकार ने वहाँ एक छोटा सा पॉवर प्लांट लगाकर फैक्ट्री की विद्युत सप्लाई की गारंटी भी ली है । यहाँ के किसानों का आर्थिक स्तर औरों की तुलना में ऊँचा हो चुका है । गाँव में एक हायर सेकेण्डरी स्कूल खुल चुका है । आर के सिंग जी भी इसी गाँव में रहने लगे हैं । नित्य आस - पास के गाँव वाले यहाँ सिंग जी और कुँज जी से सलाह लेने आते है । दोनों से वे गुजारिश भी करते हैं कि हमारे गाँव के लिये भी आप कुछ कीजिये । आज हमें ये कहने में ज़रा भी हिचक नहीं है कि ग्रामीण विकास के पैमाने पर आज समस्त छत्तीसगढ़ के कोई रोल मॉडल हैं तो सिर्फ़ " कुँज गोड़ और आर के सिंग ।

( समाप्त )
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अधिग्रहण
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ग्राम धर्मपुरा के एक मेहनतकस किसान की खुद की कमाई हुई खेती की जमीन को उसका छोटा भाई गांव के सरपंच व पटवारी के साथ मिलकर एक सरकारी प्रोजेक्ट के तहत एक कंपनी को कानूनी रूप से अधिग्रहीत करवा देता है और खुद बड़ा भाई बनाकर सारा पैसा उठाकर हजमा कर लेता है। उसके बाद उसके बड़े भाई को वह ज़मीन वापस मिल पाती है या नहीं यह भविष्य के गर्त में छिपा है।
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