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हर पल हर लम्हा

25 सितम्बर 2021

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हर पल हर लम्हा हम जीते रहे किसी की खुशी के लिए ।
पर उसी ने एक लम्हे ही हमें मार दिया किसी और की खुशी के लिए ।

टूटते रहे ,बिखरते रहे हर पल हर लम्हा हम  किसी की खुशी के लिए ।
पर उसी ने पूरी तरहां तोड़ दिया हमे अपनी खुशी के लिए ।
जिसके लिए हम रब से मुस्कान मांगते रहे ।
उसी ने आंखो में हमारी आंसूओ का सैलाब भर दिया 

अपनी खुशी के लिए ।
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रचनाएँ
तुम बिन क्या हम 2
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कुछ दिन बाद- लक्ष्मी की शादी बड़ी धूम धाम से हुई ,,,जिससे रानू बहुत खुश थी पर वहीं  लक्ष्मी के मन में एक अनजान डर था ,,,,जो शायद वो खुद नहीं समझ पा रही थी क्या है और क्यों है । इधर रानू शादी के बाद बहुत खुश थी की चलो शादी तो अच्छे से हो गई अब लक्ष्मी कुछ नही कर पाएगी ,,,,, कुछ दिन अच्छे से बीत गए एक दिन आचनक रानू लक्ष्मी को देखते हुए  : देख बेटा तेरी सास तो है नहीं,,,, तो अब सारी जीमेंदारी  तुम्हे ही निभानी है । अब तेरे ससुर का भी फोन आया है कि,,,, हम चार साल तक रुक नहीं सकते तो जल्द से जल्द गोना कर दो,,,,रानू ने अपनी बात पर विराम लगाते हुए कहा तो लक्ष्मी परेशान हो गई बात सुन कर लक्ष्मी : पर मां आपने तो कहा था कि गोना चार साल बाद दोगी लेकिन अब अचानक से । रेनू : हां बेटा पर मुझे क्या पता था कि,,, वो लोग अपनी बात से पलट जाएंगे शादी होते ही और वैसे भी बिटिया गोना तो करना ही है ,,,आज भी ओर चार साल बाद भी जब शादी हो गई है ,,,, सोचा अभी कर दुं अब तुम्हारी शादी हो चुकी है तुम्हे घर तो नहीं बिठा सकती ,,,, तुम तो जानती अगर मुझे पता होता की वो लोग ऐसा करेगे तो, मै कभी हां   नहीं करती  तुम्हारी शादी के लिए पर मुझे लगा अच्छे लोग है तो ,,,,, कल तेरा  गोना है तो सब तयारी कर ले  तू जो चाहिए  ले  जा ,,,,तेरा ही है  सब कुछ रानू ने घड़ियाली आंसू बहाते हुए कहा ,,,,वैसे भी तुम तो जानती ही हो मैने कभी कहां खुद के बारे में सोचा है बेटा । रानू कुछ देर रुक कर बोली: सुन लक्ष्मी   इन पेपर पर साइन कर देना, सोने से पहले कुछ एफ डी है तेरी जरूरत पड़ेगी उनसे पैसे निकलने के लिए क्युकी जो खर्चा शादी पर हुआ है उसकी देनदारी अभी बाकी है लाडो। लक्ष्मी  शांत सी : बिल्कुल मां । लक्ष्मी को अपनी सारी उम्मीदों पर पानी पड़ता दिख रहा था ।कहां तो उसने सोचा था कि चार साल बहुत होंगे उसके लिए पर उसे तो चार दिन भी नहीं मिले उड़ान भरने के लिए उसके साथ इस तरह होगा सोचा नहीं था ।उसके पंखों को निकलने से पहले ही काट दिए जायेंगे । इधर रानू  खुशी के मारे पागल हुई जा रही थी कि ,लक्ष्मी के साथ अब प्यार का नाटक ख़तम करने का टाइम आ गया है और एक दो एफ डी दे कर सारी प्रॉपर्टी मेरी हो जायगी वैसे भी उतने पैसे तो मैने उसके ससुर से लक्ष्मी की कीमत ले ही ली है ।। बेटा लक्ष्मी मैने गाड़ी बुक कर  दी थी तो आती ही होगी, तो तेयार हो जाओ  साड़ी पहन कर । मां क्या वहां से कोई नहीं आएगा लेने लक्ष्मी ने उदास मन से कहा । रेनू: बेटा देख बड़े लोग है ,, बड़ा व्यापार है तो  थोड़ा बिज़ी होंगे ,वो लोग  । लक्ष्मी के मन में न जाने क्यों एक टीस सी उठी और मन ही मन में कराह उठी उफ्फफ्फ। लक्ष्मी चुप चाप जा कर गाड़ी में बैठ गई ,,,, उसका मन कर रहा था की सब कुछ छोड़ छाड़ कर कही भाग जाए ,,, पर कहां ,,,, उसका दिल दिमाग ,, सुन पड़ चुका था ,,,, जब लक्ष्मी ससुराल पहुंची तो वहां का नजारा देख दंग रह गई क्योंकि घर में उसका स्वागत करने वाला कोई भी नहीं था खाली घर के अलावा ,,,, लक्ष्मी काफी देर तक दरवाजे पर खड़ी रही .... तभी  दूर से एक छोटी बच्ची दौड़ते हुए आई । मामी आप आ गई मामा बता कर गए थे मुझे की आज तुम्हारी मामी आने वाले है,,, छोटी सी बच्ची ने लक्ष्मी को संबोधित करते हुए कहा ,,, मै अभी आई ,,, मामी,,,, बड़े मासूमियत से बोल कर वो लड़की अंदर की ओर चल दी अपने  ,छोटे छोटे हाथो मे वो बच्ची कभी चावल लाती तो कभी आलता ले कर आई,,,, वो लड़की इतनी मासूम थी की लक्ष्मी बस एक टक उसे देखे जा रही थी । लक्ष्मी क्या मै तुम्हारी मदद कर सकती हूं  । छोटी बच्ची ने बड़े प्यार ओर मासूमियत से लक्ष्मी को देखते हुए ,,,नहीं,,,, में सिर हिला दिया ,,,, मामी मै आपकी आरती उतार दूं ,, उचके बाद आप सब करना जो आपका मन करे। लक्ष्मी : अच्छा ये बताओ बेटा की तुम्हारे मामा और मम्मी पापा कहा है । लक्ष्मी ने  उस बच्ची से अपना सवाल  पूछा। मेरे मम्मी पापा पता नहीं कहा है पर मामा अभी ऑफिस गए है छाम को आयेगे ठीक है मामी । लक्ष्मी अच्छा तुम्हारा नाम क्या है ,:मेरा नाम कंचन है और मै इसी घर मै ननु और संजय मामू के साथ रहती हूं ठीक है बुधु । ओके लक्ष्मी ने कंचन को गौर से देखा कि उसके बाल ढंग से बने हुए नहीं है और नाही उसके कपड़े लक्ष्मी अच्छा बेटा चलो जब तक मामू आए तब तक हम आपके बाल  बना देते है और सुंदर से कपड़े भी डाल देती हूं। कंचन तो चलो मामी मेरे साथ चलो मेरे कमरे में।लक्ष्मी ने देखा कि कंचन का कमरा बहुत ही सुन्दर है उसने उसमे से कंचन कि अलमारी खोली तो सब अस्त व्यस्त था ।लक्ष्मी और कंचन ने मिल कर अलमारी को ठीक किया लक्ष्मी ने देख की कंचन के कुछ कपड़े बहुत छोटे है तो कुछ बड़े लक्ष्मी ने बड़े प्यार से कंचन एक बात बताओ कि क्या आपकी अलमारी कोई नहीं सेट करता । कंचन : नहीं मामी पहले तो नेनी करती थी, पर वो मुझे मारती बहूत थी। कंचन ने हाथ का निशन दिखाते हुए कहा पर जब मामू को पता लगा तो उनो ने उसे घर से निकाल दिया अब कभी कभी मामू और ननू मिल कर करते है या मै ही कर देती हूं । लक्ष्मी को अब अपना बचपन याद आने लगा मा के जाने बाद रानू मां भी तो उस से घर का कितना काम करवाती थी काम सीखाने के बहाने उसने कभी ध्यान ही नहीं किया था ,इस बात पर, यादों से निकलते हुए लक्ष्मी ने कंचन को गुड़िया की तरह तैयार कर दिया और रसोई में जा कर देखा मैग्गी बनी थी ,,,,कंचन के लिए ,,, लक्ष्मी ने  वो मेगी फेक कर अच्छे से खाना बनाया कंचन को खिलाया के तभी डोर बैल बजी ।कंचन मै देखती हूं मामी आप अभी बैठो यहीं  । कंचन बहुत सुंदर लग रही हो किसने तैयार किया मेरी परी को दुलारते हुए ,,, सामने खड़े लड़के ने कहा ,,,, मामू मुझे ना आज मामी ने तैयार किया है सुंदर लग रही हूं ना । संजय लक्ष्मी को देखते हुए बहुत सुंदर तैयार किया है , जाओ मेरे लिए पानी ले कर आओ बेटा। लक्ष्मी मै लाती हूं ।संजय नहीं कंचन लाएगी और थैंक्स । एक नजर लक्ष्मी पर डालते हुए संजय ने कहा ओर सोफे पर पसर गया । लक्ष्मी -थैंक्स  किस लिए , संजय : वो कंचन के लिए। लक्ष्मी :   कोई  बात नहीं वैसे भी मै बोर हो रही थी तो फिर भी थैंक्स कैसा । दरासल आज कंचन काफी दिनों बाद खुश दिखी है लक्ष्मी मतलब ये की मेरे और पापा के ऑफिस जाने के बाद वो अकेला फील करती थी,,,, नेनी भी हमारे जाने के बाद उससे रुड़लि बेहेव  करती थी । बहुत मारती थी उसे संजय ने अपनी बात को पूरा करते हुए कहा और एक नजर लक्ष्मी को देखते हुए  ,अच्छा चलो खाना खा लो वैसे भी दुपहर का लंच टाइम है तो पर घर पर खाना बना नहीं है तो, चलो तुम भी रेडी हो जाओ और बाहर ही खाना खा लेते है । लक्ष्मी : नहीं मैने खाना बना दिया है, लगा देती हूं आप इतना हाथ मुंह धो लीजिए ,,, तभी कंचन अच्छा तुम दोनों खना खाओ मै अभी आई मामी ,, कंचन ने बाहर जाते हुए कहा ,,,,

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