ये जरूरी नहीं है कि हमें सिख सिर्फ विद्यालयों में शिक्षकों के द्वारा ही मिले , कई बार हमें जिंदगी में आयी मुस्किलों से भी मिल जाती हैं ।
ऐसा ही कुछ सुधीर जी के साथ भी हुआ है ।
सुधीर जी अपनी बेटी राधिका की शादी को लेकर हमेशा चिंतित रहा करते थे । वो पेशे से एक सरकारी टिचर थे । वो अपने परिवार के साथ एक छोटे से घर में रहा करते थे । सुधीर जी के परिवार में उनकों लेकर कुल पाँच सदस्य रहा करते थे । वो उनकी पत्नी जया जी और तीन बच्चें ।
जिसमें से एक बेटी और दो बेटे थे । बेटी बड़ी थी दोनों लड़कों से । बेटी की M . A . कम्पलीट हो चुकी थी , और अब वो एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के साथ खुद भी अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी थी , क्योकि वो प्रोफेसर बनना चाहती थी ।
सुधिर जी की बेटी राधिका अब 25 साल की हो गई थी और वो उसकी शादी जल्दी ही कर देना चाहते थे । वो अपने कार्यकाल में हीं अपने तीनों बच्चों को पढ़ा - लिखा कर और उनके पैरों पर खड़ा कर के , उनकी शादी भी कर देना चाहते थे ।
सुधीर जी को जब भी स्कूल से छुट्टीयां मिलती थी , वो कहीं - ना - कहीं लड़का देखने चले जाया करते थे क्योंकि वो अपनी बेटी की शादी एक अच्छे परिवार में एक कामयाब लड़का से करना चाहते थे , ताकि उनकी बेटी की आगे का जीवन सुख और शांति से गुजर सके । वैसे हर माँ - बाप का यही सपना होता है ... की उनकी बेटी को अच्छा घर - वर मिले ।
सुधीर जी अपनी एकलौती बेटी राधिका की शादी के लिए एक अच्छा परिवार और सुयोग्य वर कई सालों से डूढ रहे थे । लड़का और परिवार तो बहुत मिला , लेकिन उन्हें अपनी बेटी राधिका के लिए पसंद नहीं आता था , कही परिवार अच्छा मिल रहा था तो लड़का नहीं , लड़का अच्छा मिल रहा था तो उसकी नौकरी पसंद नहीं आती थी और कहीं पर संयोग्य से दोनों ही अच्छा मिल जा रहा था , तो लड़के की कुण्डली नहीं मिलती थी या लड़के वालों की दहेज की मांग बहुत ज्यादा हो जाती थी । लागतार कई सालों तक ये सिलसिला चलता रहा । बहुत भाग दौड़ करने पर सुधिर जी को एक लड़का पसंद आया और वो अपनी बेटी राधिका की शादी उस लड़के से तैय कर दिये । ये नहीं था कि सुधीर जी बिना दहेज की शादी कर रहे थे । वो मजबूर थे , इस शादी को करने के लिए । बड़ी मुश्किल से यह घर परिवार और लड़का उन्हें पसंद आया था , बिल्कुल वैसे जैसे सुधीर जी चाहते थे , अपनी बेटी के लिए |
बिना दहेज के शादी के लिए तो , बहुत से लड़के वाले सुधीर जी से बोले कि आप अपनी बेटी की शादी मेरे बेटे से कर दीजिए । हम दहेज बिल्कुल भी नहीं लेंगे , मुझे सिर्फ आपकी बेटी चाहिए , लेकिन सुधीर जी को उनलोगों का ये प्रस्ताव अच्छा नहीं लगता था , क्योंकि उन्हें कभी लड़के वालों का घर परिवार अच्छा नहीं लगता था , तो कभी लड़का । इस वजह से वो अब मजबूरी में अपनी बेटी राधिका की शादी भारी देहेज दे कर रहे थे ।
इस दहेज के चक्कर में उन्हें लोन लेने पड़े । लोन लेने में भी बहुत परेशानी हुई क्योंकि सुधीर जी के पास ज्यादा प्रॉपर्टी नहीं थी । सुधीर जी को परेशान देखकर उनकी जो कुछ अच्छे रिश्तेदार थे , उनको लोन दिलाने में मदद किये । लड़की वाले को दहेज में कैश के साथ - साथ एक कार की भी मांग थी । इस वजह से सुधीर जी को कार के शो - रूम में भी बहुत बार चक्कर लगाने पड़े । बड़ी मशक्कत के बाद कार पसंद आई ।
क्रमश: