सबसे पहले हम एक भ्रांति का निवारण जरूरी समझते हैं, लोगों का यह कहना है देवनागरी भाषा को कंप्यूटर की भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। पहले तो हम
यह जान ले कि
मानवीय भाषा और मशीन की भाषा में कोई तादात्म्य नहीं
होता।
दूसरे यह
भी समझ लें कि कंप्यूटर की भाषा में क्या है, केवल देवनागरी के फार्मूला को ही
लिया गया है, हलंत , स्वर और व्यंजन का कॉन्बिनेशन है।
संस्कृत के
फॉन्ट devnagarifonts.net
से मिल सकते
है ।
कंप्यूटर पर
हिन्दी सक्रिय करने के लिए राजभाषा विभाग की
साइट पर हिन्दी टूल्स पर जाकर
विंडोज के लिए यथा
जरूरत hindiindicinput2, 32bits
folder से set up exe फ़ाइल download कीजिए /
रन करें या bhashaindia.com से
इसे लीजिए
वर्तमान में हम कोरोना परजीवी महामारी के संकट से जूझ रहे हैं यह जरूरी हो गया है कि
शैक्षिक कार्य ऑनलाइन हो और इसी वजह से शैक्षणिक पाठ प्रजेंट किए जा रहे , उसी
श्रंखला में मैं आपको बताने जा रहा हूं, हम तकनीकी विषयों में और गतिमान ढंग से हिंदी
में दस्तावेज कैसे तैयार करें ।
इन पंक्तियों के लेखक को एक बार भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में
एक अंतरराष्ट्रीय संगठन आर आई एस ( विकसित देशों की अनुसंधान और सूचना प्रणाली) , इंडिया हैबीटेट सेंटर से फोन आया कि संगठन की वार्षिक रिपोर्ट का 10 दिन के अंदर 100 पृष्ठों का अनुवाद करना है , मैंने इस पर हामी भरी ,
यद्यपि मैं उन दिनों राष्ट्रीय बाल भवन में हिंदी प्रभारी का काम देख रहा था। मुझे उसी दिन उनकी रिपोर्ट
मुद्रित और सॉफ्ट कॉपी मिल गई ,लेकिन जब मैंने वह सॉफ्ट कॉपी घर लगाई कंप्यूटर पर, वह इच्छित फोन्ट नहीं थे, मुझे इस की समस्याओं की व्यवहार्यता पर ध्यान आया ,
प्रयत्न करने पर बाजार से वह फोंट भी मिल गया और तब मेरा काम 2 दिन बाद शुरू हो सका। दफ्तर के कामकाज से अलग व्यवसायी कामकाज में भी अन्य , अन्यान्य बाधाएं हैं। हमें समझना होगा। तब व्यवसायी अनुभव मेरे
पास नहीं था ।
जहां तक बात हिंदी में डिक्टेशन देने की है , अधिकारी कर्मचारी अथवा
कोई भी व्यक्ति ऐसा समझता है की मशीन पर ही जाकर टाइप करना है तो आज वह बात नहीं
रह गई है , 1स्पीच नोट या 2 स्पीच टेक्स्टर अपने मोबाइल पर डाउनलोड करें ,मोबाइल पर ही
डिक्टेशन दें दस्तावेज आपको हिंदी अंग्रेजी अथवा चाही गई भाषा में जिसे आप इच्छा
अनुसार आप चाहे उसी समय किसी दूसरे को ई-मेल अथवा व्हाट्सएप आदि के द्वारा भेज
सकते हैं इसी में आगे आप चित्र ग्राफ छोड़ सकते ।श्रुतलेखन साफ्टवेयर ,
जो राजभाषा साइट
पर है, वह
हिन्दी में डिकटेसन लेता
है ।
लेकिन इससे भी आप बुक नहीं बना सकते क्योंकि डीटीपी साफ्टवेयर इस को सपोर्ट नहीं करते अब हम इससे भी महत्वपूर्ण बात की ओर बढ़ रहे हैं एमएस वर्ड में कागज बनाते समय प्रायः जो समस्या है वह फोंट की अधिकांश है फोंट की समस्या इस कदर चुनौतीपूर्ण है कि समाचार पत्रों के फोन्ट अलग किस्म / प्रकार के हैं मंदिरों और मठों के fonts ( फौन्ट ) बिल्कुल स्पष्ट व अलग ( संस्कृत ) प्रकार के हैं भारतीय बाजार में प्रकाशक और अन्य उनके फोन्ट अलग है सभी फॉन्टस का एक जगह मिल पाना भी बहुत मुश्किल काम है ।
आइए इस समस्या से निपट सकते हैं इस पर हम विचार करें भारत सरकार ने यूनीकोड , मंगल फोंट को मान्यता प्रदान की है और मंगल फोंट यूनिकोड के नाम से भी जाना जाता है । एक साइट का नाम है india typing.Com इस साइट से आप उपलब्ध फॉन्टस में से किसी भी फॉन्ट को अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल या अन्य डिवाइस पर डाउनलोड कर सकते हैं जब आप किसी डाक्यूमेंट को खोल रहे होते हैं और वह खुल नहीं रहता , डब्बे अथवा प्रश्नवाचक चिन्ह आते तो समझ लीजिए कि आपके कंप्यूटर पर वह फोंट नहीं है जिसमें कि वह दस्तावेज टाइप हुआ ,बनाया गया इसके अलावा एक अन्य साइट है आईएलडीसी गॉव इन ।
इस साइट से भी आप फोन्ट ले सकते हैं।
एक अन्य
साइट है जिसका नाम है http://pratibhaas.blogspot.com/2008/03/blog-post_28.html इस साइट से भी आप फोंट को डाउनलोड कर सकते हैं डाउनलोड
करने का सीधा तरीका यह है क्या आप कंप्यूटर के सेटिंग में कंट्रोल पैनल से होते
हुए फॉन्टस के फोल्डर में उस फोन्ट को पेस्ट कर दै ।
मुद्रण अथवा पब्लिशिंग जब किसी दस्तावेज या एक दस्तावेजों को पुस्तक रूप में अथवा जेबी पुस्तिका के रूप में बनाना होता है तब समस्या आड़े आती है
इसका मुख्य
कारण यह है कि अथवा अन्य पुस्तक बनाने वाले सॉफ्टवेयर में मंगल को यथावत स्वीकार
करने की कंपैटिबिलिटी नहीं है क्षमता नहीं
एमएस
सॉफ्टवेयर , एडोब पेजमेकर, इन –डिजाइन व डीटीपी पर
फोंट भी दो प्रकार के होते हैं ओपन टाइप ( डिजिटल )और ट्रूटाइप , सोर्स और ग्लिफ के आधार पर यह विभाजित होते हैं , इस तरह संस्कृत
के एक फॉन्ट पर
विचार : Sakal Bharati is a Unicode based Open Type font which
includes 13 scripts in one font i.e. Assamese, Bengali, Devanagari, Gujarati,
Kannada Malayalam, Meetei Mayek, Oriya, Ol Chiki, Punjabi, Telugu, Tamil &
Urdu. It is a Monothick font wherein the Glyphs have equal thickness of the
horizontal and vertical stems. The Font has same X height for all 13 scripts,
which caters to almost all the 22 scheduled languages of India. It is a single
font having more than 3698 glyphs. The glyphs across the languages are designed
to have matching styles including English.
By making use of this font, website and/or
application designing for Indian languages is greatly simplified.
यूनीकोड : मंगल , अपराजिता , एम एस देवनागरी एरीयल ,
गैर - यूनीकोड : कृतिदेव , सिद्धान्त आदि
उस हालत में पेजमेकर अथवा ऐसा ही
प्लेटफार्म कृतिदेव मे सामग्री
होने की पूर्व आकांक्षा अर्थात प्री -रिक्विजिट मांगता है। अब यह समस्या होती है
कि दस्तावेज पहले फिर मंगल में बनाया ही क्यों है और इस समस्या के समुचित समाधान
के लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या कोई
ऐसा पब्लिशिंग सॉफ्टवेयर ( पेज मेकर , एम
एस पब्लिशर ,in- design ( इन
डिजाइन) मे एसा कौन सा है, जो मंगल फोंट को
भी सामग्री स्वीकार करता हो ?
एडोब यूनीकोड को सपोर्ट नहीं करता ,
1. The best way is using latex (miktex if you
use windows). It is easy. Sanskrit 2003 (Unicode फॉन्ट प्रयोग करके किताब
की सेटिंग की जा
सकती है
You may type the
matter in word (ms-word or open office or libre office provides word). Then the
settings can be done in latex. Even some word to latex conversion is available.
2. The second way is
using ms-publisher. It is somehow similar to pagemaker or indesign. But not
used commercially. I have not seen people using publisher for dtp (usually
books, thesis etc.)
3. If you use linux
platform there is a software scribus. Not very popular.
अनुवाद:
(हिन्दी से
अंग्रेजी , अंग्रेजी से हिन्दी )
सबसे महत्वपूर्ण बात हमारी ऐसे सॉफ्टवेयर की है जो हमें तत्काल ही
किसी सामग्री का अंग्रेजी से हिंदी अथवा हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद दे सकें।
सी डेक के मंत्र आदि प्रयोग कर्ताओ ने सफल नहीं बताए है
यद्यपि निजी क्षेत्र का गूगल ट्रांसलेट एक इनीशिएटिव है, पहल है यदि आप बारंबार और ईमेल के
जरिए अनुवाद हर करते रहे सरवर पर रखी मशीन एक बार सुधारे गए अनुवाद को दूसरी बार
गलती नहीं करने देती है । निजी पहल
पर एक और अनुवाद साफ्टवेयर www.matecat.com काम
का उपयोगी यंत्र है
जो किस तरह
का अनुवाद है
विधिक अभियांत्रिकी चिकित्सा
का प्रकार पूछकर
आगे कार्य निष्पादन
करता है ।
सीडैक में जो भी , TDIL, मंत्र आदि सॉफ्टवेयर बनाए हैं यद्यपि वे काफी हद
तक अनुवाद कर तो देते है , गूगल ट्रान्सलेट की ही तरह मानवीय संपादन की आवश्यकता बहुत जरूरी
है।
इस महामारी के समय , विद्यालयों में शिक्षा का कार्य बहुत प्रभावित हुआ है नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी( www.ndl.gov.in ) के सहयोग से उमंग एप बनाया है जो www.umang.gov.in से डाउनलोड हो सकेगा साहित्य की जानकारी के लिए www.hindikunj.com व www.hindisamay.org पठनीय हें ।
आज के
परिवेश में क्षेत्रीय भाषाओ के बीच
आपसी इंटरफ़ेस बहुत
आवश्यक है ।
I attach a file
designed in latex. It is in book form. The font used is). It is a bi-yearly
literary magazine. Since, I am the sub-editor I use latex for setting the
magazine.
वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात्
पीताम्बरादरुणबिम्बफलाधरोष्ठात्।
पूर्णेन्दुसुन्दरमुखादरविन्दनेत्रात्
कृष्णात्परं किमपि तत्त्वमहं न जाने।।
इस लेख के रचयिता श्री के. पी. शर्मा जी है||