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हमसफ़र

1 मई 2022

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जागती आंखों में सज रहे ख्वाब
अब रातों में जागना अच्छा लगता है
ख्वाबों बसी है उसके लिए चाहत बेहिसाब
उसके ख्यालों में गुम रह कर रातें बिताना
अच्छा लगता है

मैं ना जानू ये बात
वो होगा मेरी तकदीर का नूर
या हो जायेगा मुझसे वो दूर
मगर दुआ में उसे ही मांगना
अच्छा लगता है

ना जानू जीवन में मिलेगी
उसकी साझेदारी
क्या पता सुख दुखी राहों में
होगी भी हिस्सेदारी
मगर उसे अपना सोचना अच्छा
लगता है

इस प्यार को मिलेगा इकरार
या मिले चाहत को इनकार
मगर ये प्यारा अहसास
अच्छा लगता है

ना जानू वो होगा मेरा हमसफ़र
या बीते ये जिंदगी का तन्हा सफर
वो हो जाए मेरा ख्वाब ये सजाना
अच्छा लगता है

ना जानू वो होगा मेरा प्यार
या कोई और होगा उसका हकदार
मगर उसे अपना कहना
अच्छा लगता है

दिल बड़ा समझाया
जाने किस किस तरीके से
बहलाया
शायद भी चाहे उसकी का
इख्तियार
धड़कन को रहता उसी का इंतजार
वो बन मेरे हमसफर में प्यार
ये अहसास अच्छा लगता है


Dr.k. S .Chandel

Dr.k. S .Chandel

बहुत ही सुन्दर रचना है । मै भी साहित्य पर लिखता हूँ । साहित्य उन्माद नाम से मेरी पुस्तक शब्द इन पर है । उनका अवलोकन कर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देने की कृपा करियेगा इससे लेखक को संबल मिलता है ।

30 जुलाई 2022

भारती

भारती

बेहतरीन रचना 👌🏻👌🏻

1 मई 2022

2
रचनाएँ
हमसफ़र
5.0
प्यारी सी जिंदगी खुशियों की जब हो बहार हमसफ़र तू बने और संग हो तेरा प्यार लड़ लेंगे हम चाहे जो हो गम साथ मेरे तू रहे जो बनकर हमदम आने वाला होगा खुशनुमा जिंदगी का सफ़र तू साथ चले थामकर हाथ मेरे हमसफ़र हमसफ़र ऐसा मिल जाए प्रीत में राधा के श्याम सा साथ निभाए सीता के राम सा सफर जिंदगी का हसीन हो जाए

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