जागती आंखों में सज रहे ख्वाब
अब रातों में जागना अच्छा लगता है
ख्वाबों बसी है उसके लिए चाहत बेहिसाब
उसके ख्यालों में गुम रह कर रातें बिताना
अच्छा लगता है
मैं ना जानू ये बात
वो होगा मेरी तकदीर का नूर
या हो जायेगा मुझसे वो दूर
मगर दुआ में उसे ही मांगना
अच्छा लगता है
ना जानू जीवन में मिलेगी
उसकी साझेदारी
क्या पता सुख दुखी राहों में
होगी भी हिस्सेदारी
मगर उसे अपना सोचना अच्छा
लगता है
इस प्यार को मिलेगा इकरार
या मिले चाहत को इनकार
मगर ये प्यारा अहसास
अच्छा लगता है
ना जानू वो होगा मेरा हमसफ़र
या बीते ये जिंदगी का तन्हा सफर
वो हो जाए मेरा ख्वाब ये सजाना
अच्छा लगता है
ना जानू वो होगा मेरा प्यार
या कोई और होगा उसका हकदार
मगर उसे अपना कहना
अच्छा लगता है
दिल बड़ा समझाया
जाने किस किस तरीके से
बहलाया
शायद भी चाहे उसकी का
इख्तियार
धड़कन को रहता उसी का इंतजार
वो बन मेरे हमसफर में प्यार
ये अहसास अच्छा लगता है