समझ से चल ए राहगीर
एक तेरा ही हक नहीं
सभी का यही पर है मुकाम
दुसरे का क्यो छीनना
जब तुम्हारे लिए दिया है।
वो समझ गहरा विकसित कर
कोई जीव तुम्हारा भोजन बने
क्या तुम भी किसी का भोजन हो
हो सकता है ऐसा जरा सोचो ।
एक छोटे से टुकड़े पर लड़ पड़े
लकीर के दोनो ओर तन पड़े
मिसाइल तोप गोला जल उठे
सभी का कफन दो गज जमीन एक है।
हम कौन और क्या है?
क्या हम इन्सान हैं?
इन्सान हैं तो इंसानियत का क्या।
इतने जंगल उजाड़े क्यो
जीव जंतु विलुप्त हुए क्यो?
save tree🌲save earth🌏&save life💖