इंसानियत इंसान की पहचान है !
इंसानियत होने से वह इंसान है !!
इंसानियत जिसमें नहीं इंसान क्या !
इंसान होकर भी पशु के समान है !!
१
आज करुणा प्रेम गायब हो गये !
मन के सारे भाव शायद सो गये !!
कुटिलता अपने चरम पर आज है !
दास बर्बरता के अब सब हो गये !!
खो गया अब ईश का वरदान है !
इंसानियत इंसान की पहचान है !!
२
खो गयी इंसानियत अब लग रहा !
द्वेष ईर्ष्या का है मेला लग रहा !!
नारियां जो पूजी जाती थीं कभी !
नित्य मानव आज उनको ठग रहा !!
जागकर भी सो रहा इंसान है !
इंसानियत इंसान की पहचान है !!
३
जो कभी इंसान का रक्षक बना !
आज वह इन्सान ही भक्षक बना !!
सोंच लो यदि जाग न पाये अभी !
तो फंसोगे विषमताओं में सभी !!
प्रेम "अर्जुन" ईश का वरदान है !
इंसानियत इंसान की पहचान है !!