इंसानियत का चेहरा है प्यार और करुणा का,
जिसमें दया और ममत्व की झलक प्रेरणा का।
यह एक ऐसा रिश्ता है जो सबको जोड़ता है,
और दिलों को ये कभी न तोड़ता मरोड़ता है।
इंसानियत की आँखें भावासिक्त अश्रुपूरित,
जो दूसरों की सुख-खुशी से न हो कलुषित।
इंसानियत के हाथ होते हमेशा मदद के लिए,
जो जरूरतमंदों को संभालते आशा के दिये।
इंसानियत की आवाज होती है ऐसी सच्चाई,
जो अन्याय के खिलाफ बोले,आज कुम्हलाई।
इंसानियत का दिल होता है साफ और स्वच्छ,
जो किसी के प्रति भेद नहीं रखे अपने लक्ष।
इंसानियत ही है जो हमें जन से इंसान बनाती ,
और हमें एक दूसरे के साथ जोड़ पुष्पित होती।
आज भौतिकता की चाह में इंसानियत खो गयी
इंसान संवेदनाशून्य, हैवानियत रग-रग घुल गयी
तो आओ, इंसानियत को अपना इसे फैलाएं,
ताकि दुनिया में प्यार और करुणांकुर समोये
संवेदनाओं की छांव में पलें सब धर्म के लोग,
भेदभाव के साए को हटाएं ,हो न कभी शोक
सहिष्णुता का जाल बुनें, एकता की शक्ति से,
हर मानव की गरिमा को, वे मान दें भक्ति से।
इंसानियत से ही इंसान का अस्तित्व है सुरक्षित,
इंसानियत के मरते ही हो जायेगा ममी संरक्षित
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी