छोटी-छोटी बातों पर नीता अपनी जिठानी से बहस करने लगतीे,फिर जिठानी को थोड़ी देर में मना भी लेती।
दोनों जब बहस कर रही होती ,तो सासू मां सबसे कहती,कौन पड़े उनके झगड़े में अभी भिडी पड़ी है लग रहा है पता नहीं क्या कर बैठे और अभी दोनों एक साथ बैठी मिलेगी। दोनों को लड़े बिना भी चैन नहीं और एक-दूसरे के बिना रह भी नहीं सकतीं।
नीता के जेठ जी सुबह सो कर उठे ,रसोई में बहस जारी थी, सुबोध भैया पूछ बैठे मां क्या हो रहा है आज ,मां समझाती क्यों नहीं इन दोनों को, मां बोली हां गई थी समझाने बेटा खुद समझ कर आ गई ।
छोटी बहू नीता का कहना है ,कि जब तक पर बहस दो लोगों के बीच रहती है ,सुलझने की गुंजाइश होती है तीसरे के समझाने से तो एक सुखी और दूसरा दुखी ,हमारा यूं ही है अभी सब ठीक हो जाएगा ।
सच्ची में थोड़ी देर में नीता सबके लिए चाय बना कर ले आयी, सबको देकर और दो कपों में अपने लिए और जेठानी रुकमणी के लिए, लेकर चाय रसोई से मिले कमरे में ले जाकर ,जिठानी को आवाज देने लगी,जिज्जी चाय ठंडी पीनी है क्या, मैं तो पीना शुरु कर रही हूं
आप के चक्कर में ,मैं अपनी चाय ठंडी क्यों करूं ।
सास ने अपने बड़े बेटे सुबोध से कहा , देख ले अब यह वही दोनों है ,अभी पहले वाली ।
आज कुछ बहस लंबी खिंच गई रविवार को छुट्टी में घर के दोनों बेटे, बच्चों को लेकर घुमाने ले गए ।
वापसी आने पर किचन से आती आवाज सुन, छोटे बेटे रमेश ने मां से पूछा आज कौन सा मधुर संगीत छेढ़ रखा है दोनों ने ।
आज की बहस का मुद्दा बना संडे को दोपहर में बनने वाला लंच।
दोनों ने ही रात में बिना सलाह किए तैयारी कर ली ,एक ने छोले भिगो दिए ,तो दूसरीे ने राजमा ।अब एक चीज ही बनेगी ।दोनों ने ही बच्चों से वायदा कर रखा था ,संडे को उनकी पसंद का खाना बनाने का ।बच्चों को राजमा चावल और छोले पूरी दोनों ही पसंद हैं ।अब बहस को शांत करने के लिए नीता जी ने सलाह दी ,अभी तो छोलों को उबाल कर ,प्याज टमाटर ,मसाले डालकर नीबू निचोड़ कर सबके लिए नाश्ते में चाट बना लेते हैं ,और जीजी तुम्हें भी तो चाट पसंद है ही ,और दोपहर में राजमा चावल बना लेना आप ,चलो जीजी आप जीती और मैं हारी।
मामला आज तो जल्दी से सुलटा लिया नीता ने बाहर से सुन रही नीता की सास ने अपने बेटे को हंसते हुए कहा। दशहरे की छुट्टियों के बाद स्कूल जाने के लिए बच्चे तैयार हुए ,पर नीता की जिठानी आज उठी ही नहीं ,नीता अकेली काम करती जाए ,कभी सोचती,जीजी आज भी तो बच्चों की छुट्टी नहीं समझ रही ,नीता ने सभी बच्चों को अकेले ही तैयार करके ,नाश्ता खिलाकर ,लंच पैक करके स्कूल भेज दिया ।बच्चों को भेजने के बाद सब के लिए चाय बनाने से पहले ,जीजी के कमरे में गई कि देखूं कि जीजी आज भी तो छुट्टी नहीं मना रही , जीजी तो देर तक सोती ही नहीं है ,हैरानी के साथ कुछ छटपटाहट लिए नीता जेठानी रुकमणी के कमरे में गई , और जीजी, जीजी कहकर आवाज दी जेठानी को ,और जीजी को बिस्तर पर लेटी देख जगाने की सोच, जैसे ही जीजी कहकर जिठानी को छुआ तो बुखार में तपते हुए जेठानी को पाया ।
अपनी जीजी को तुरंत ही थर्मामीटर लगाकर नीता ने देखा ,तो बुखार 103 डिग्री था, सोचने लगी हमारी जीजी भी बस, क्या बताएं भैया जी को भी नहीं बताया होगा, इतनी तप रही हैं,भैया जी बिना देखे सुबह की सैर पर निकल लिए। तुरंत जेठानी का मुंह धुलाकर और एक दो बिस्कुट खिलाकर दवा दी ।ठंडे पानी की पट्टियां रखनी शुरू करदी नीता ने ।जीजी को ठंड देकर बुखार आ रहा था ,जेठानी पट्टियों के लिए मना करने लगी ,पर नीता तो बुखार उतारने के लिए जरूरी है ,कहकर पट्टियां रखती रही , बुखार कुछ कुछ हल्का होने लगा एक घंटा लग गया नीता को पट्टियों द्वारा बुखार को 100 डिग्री तक लाने के लिए ।
उसके बाद सब के लिए चाय बनाई बुखार को लेकर ,सभी लोग चिंतित होने लगे।सासू मां ने बड़े बेटे से कहा आजकल तरह-तरह के बुखार फैल रहे हैं, डॉक्टर को दिखाकर दवाई दिलवा कर ला ।
डॉक्टर के पास जा रही जीजी के साथ जाने के लिए नीता भी तैयार हो गई।
डॉक्टर ने कुछ टेस्ट लिख दिए ,और कुछ दवाई लिख दी। वहीं पर टेस्ट के लिए बल्ड का सेंपल दे दिया ,रिपोर्ट दूसरे दिन मिलनी थी ,कुछ दवाई लेकर सभी घर आ गए ।नीेता ने अपनीे जीजी के आराम की पूरी व्यवस्था की, घर के सभी कामों के साथ, और बच्चों को ध्यान के साथ एक नजर हमेशा अपनी जीजी की जरूरत पर रखती ।
दूसरे दिन आई रिपोर्ट में जीजी को टाइफाइड की शिकायत सामने आई ,जिससे नीता की जीजी को बहुत कमजोरी आ गई थी ,डॉक्टर ने दवा तो छह सात दिन की ही दी, और छह सात दिन तक समय पर दवाई देने का जिम्मा नीता ने अपने पास ही रखा ।
नीता अपनी जीजी को थोड़ी थोड़ी देर में ,थोड़ा थोड़ा ,हल्का हल्का कुछ खाने को देती रहती। छह-सात दिन में दवाई से बुखार तो उतर गया ,नीता की जीजी को कमजोरी बहुत आ गई नीता अपनी जीजी को बेड पर से उठने भी ना देती ,हल्का खाना बताया है सब ने ,भूखे नहीं रखना ,ऐसा कहकर जीजी की इच्छा ना होती खाने की तो भी नीता अपने हाथों से खिलाती। ज़ीजी कभी कहती पड़े पड़े थक जाती हूं ,कुछ काम कर लूं तो नीता का कहना यही रहता ,जिंदगी भर काम ही तो करना है ,अभी तो आराम कर लो ।
नीता की देखभाल से जीजी धीरे धीरे ठीक होने लगी, नीता नहीं चाहती थी उसकी जीजी किसी भी काम का बोझ लें, पूरा ध्यान रखती ।
घर के काम के साथ बार-बार जीजी के पास आती रहती, और पूछती रहती जीजी कुछ चाहिए तो नहीं, हां अभी दूध ला रही हूं ,मुनक्का रक्खे थे खाए कि नहीं ,दूध के थोड़ा सा कुछ बना लाऊं नीता की देखभाल से और लगाव से जीजी ठीक होने लगी तो नीता कहती थोड़ा बाहर आकर सब के साथ बैठा करो।
मुझे भी आकर बैठने लगी धीरे-धीरे जीजी कहती नहीं था तू मेरा कितना ध्यान रखते हैं और घर वाले भी सब कहते मेरी बड़ी सेवा की, नीता की सेवा से ही जीजी,जल्दी ठीक हो गई। दौरानी जिठानी हो तो ऐसे ही सास भी आशीष देती ,तुम दोनों का प्रेम हमेशा ऐसा ही बना रहे ।
1 दिन जीजी बोली नीता तूने मेरी कितनी सेवा की है तो नीता बोली जीजी कभी मैं बीमार पड़ूं,तो मेरी भी ऐसे ही सेवा कर देना ,जीजी,बोली मैं तो तेरी कभी भी सेवा नहीं करूंगीं ,नीता बोली क्यों जीजी ,जेठानी ने भी हंसकर कहा बीमार पड़े मेरे दुश्मन मैं कभी अपनी प्यारी बहन को बीमार पड़ने ही नहीं दूंगी ।
नीता बोली थी कि मेरी कोई बहन नहीं तुम तो मेरी सच्ची वाली बड़ी वाली बहन हो, मुझको हमेशा ऐसे ही प्यार से डांटते रहना पर मैं आप से बहस करना कभी नहीं छोड़ने वाली।