रश्मि की ननंद गिरजा अपनी और अपने बच्चों के स्कूल की गर्मियों की छुट्टी में मायके आई हुई है ।रश्मि की ननद नीरजा पहली बार भाभी के साथ छुट्टियां बिताने आई है क्योंकि अभी दिसंबर में ही तो रश्मि और उसके भाई की शादी हुई है अभी तो सासु मां ने रश्मि को गिरजी का ही दर्जा देकर लाड प्यार में रंग रखा है। अपनी ननद के जन्मदिन पर रश्मि ने सुबह से ही कुछ कुछ अपने मनुहार उसे ननंद को प्रसन्न रखा दीदी के जन्मदिन पर सुबह उठकर एक गुलाब के फूल के साथ अपनी ननद गिरजा दीदी को चाय के साथ जन्मदिन की शुभकामनाएं दी रश्मि ने और नाश्ते में अपनी सासू मां से पूछ कर दीदी की पसंद के आलू के पराठे और बेसन का हलवा बना कर खिलाया और दीदी की पसंद गुलाबी रंग की साड़ी पहले ही मंगवा कर गिफ्ट पैक में तैयार कर देते हुए दीदी को वही साड़ी पहनने को कहा और शाम को कुछ शॉपिंग करनी है कहकर एक रेस्टोरेंट में छोटी सी पार्टी भी दी जहां रश्मि ने कुछ लोगों को पहले ही वहां बुला रखा था।
रश्मि अपनी ननद दीदी के साथ वहां सबसे बाद में पहुंची दीदी यह सब इंतजाम देखकर खुशी में अपनी आंखों की नमी को छुपाते हुए अपनी भाभी के गले लग गई और रश्मि की सासू मां भी ननंद और भाभी को गले मिलते थे अपनी खुशी को छुपाना सुखी छिपा ना सकी यह खुशी उनको अंदर तक आनंदित करने वाली थी क्योंकि उनकी बहू ने उनकी बेटी को दिल में जो बसा दिया था उसको महसूस हो रहा था कि ससुराल से आई बेटियां घर के आंगन की सीमा देखकर नहीं बल्कि अपनी जगह अपनों के दिल में देख कर खुश होती हैं ।
सच में रश्मि की सासू मां और नानक नीर्जा ने रश्मि को अपने दिल का टुकड़ा बना लिया था एक संयोग ही था कि जन्मदिन के 4 दिन बाद ही रश्मि का जन्मदिन भी था सुबह उठकर सासू मां के चरण स्पर्श कर रश्मि ने आशीर्वाद लिया और पूछा मां आज नाश्ते में क्या बनाऊं मां ने भी अखबार पढ़ते पढ़ते ही उत्तर दिया रोज सबकी पसंद का बनाती हो जरा कभी कभी अपनी पसंद का भी बना लिया करो कहीं और सबकी पसंद के चक्कर में अपनी पसंद ही ना भूल जाओ और पास में बैठी नीरजा से कहा आज तेरी भाभी अपनी पसंद से कुछ बनाकर हम सबको खिलाएगी हमें भी पता चले सुबह-सुबह चाय के साथ गरमागरम मूंग की दाल के चीले और मूंग की दाल का हलवा कैसा लगता है ।
रश्मि हैरान हो सोचने लगी मां ने मेरी पसंद कैसे जान ली और दाल भी भीगी नहीं है,इतनी जल्दी कैसे सो सकता है सोच कर रसोई में देखा था किसी विषय रखी है और हल्वा भी बना कर रखा हुआ है, यह सब देखकर रश्मि को बहुत ही ज्यादा प्रसन्नता हुई तभी दरवाजे पर कोरियर वाले ने रश्मि के नाम से फूलों का गुलदस्ता एक ग्रीटिंग कार्ड के साथ उस पर हैप्पी बर्थडे के अलावा कुछ भी न लिखा था ,रश्मि को दिया ।फूलों का गुलदस्ता और प्यारा सा कार्ड पाकर प्रसन्न पश्म को कार्ड पर नाम पढ़ने की उत्सुकता ने उसे थोड़ा परेशान कर दिया, और रही सही कसर पूरी कर दी ,उसके फोन ने, सुबह से ही उसका फोन नहीं मिल रहा था ।उसको कितना इंतजार था कि शादी के बाद उसके पहले बर्थडे पर सभी उसको शुभकामनाएं देगें, पर रश्मि सोचने लगी पता नहीं किस किस ने फोन किया होगा, मेरा फोन आखिर गया तो गया कहां। दीदी से पूछा तो दीदी बोले किसी को फोन करना हो ,तो भाभी मेरे फोन से फोन कर लो।
रश्मि का मायका और ससुराल दोनों एक ही शहर में होने के कारण ,आपस में ज्यादा दूरी कभी महसूस नहीं हुई रश्मि को, पर आज अपने जन्मदिन पर रश्मि अपनों के फोन का इंतजार सुबह से ही कर रही थी ,और उसकी ननद ने शरारत से उसका फोन छुपा दिया और जो भी कोई फोन आता उस पर एक निश्चित रेस्टोरेंट बुक करके सब को शाम को आमंत्रित कर लिया, और रश्मि के ही अंदाज में कुछ शॉपिंग करनी है ,भाभी आज बाजार में, ऐसा कह कर उसे भी एक होटल में ले गई ,जहां पर उसके सारे रिश्तेदार उस को जन्मदिन की बधाई देने के लिए, इकट्ठे हुए थे ।रश्मि ने यह सब देखा तो खुशी के मारे दीदी से आंखों ही आंखों से पूछा ,यह सब तो दीदी ने बस इतना ही कहा ,मेरे जन्मदिन पर आपके द्वारा दिए गए गिफ्ट, का रिटर्न गिफ्ट सच में आज रश्मि का यह ससुराल में मनाया गया पहला जन्मदिन उसके लिए हमेशा यादगार बन गया।