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माँ का बैंक बैलेंस

20 नवम्बर 2023

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मां मैंने आपको तीस हज़ार पापा से किसी तरह लेकर घर में ऐसी लगवाने को दिए थे, पर यह क्या ,आपने अपने घर में बर्तन धोने वाली को उसके बेटे के इलाज के लिए दे दिए,
आपकी यह समाज सेवा हमारे लिए सर दर्द बनती जा रही है ,जरा देखो रघु चाचा को कितने आलीशान बंगले में रहते हैं ,सारी सुख सुख सुविधाएं हैं उनके पास, बैंक बैलेंस भी अच्छा खासा है ।
पिताजी की चाचा से तनख्वाह  ज्यादा होने पर भी हम वहीं के वहीं हैं , आप मुझे जरा एक बात बताना ,भविष्य के लिए क्या जोड़ रखा है ,अखिल बाहर से आकर एक सांस में मां से बोले जा रहा था।
  सुनीता सवाल सुन मन में छिपीे शांति ले चुप ही रही, इतना सब कुछ सुन लेने के बाद भी वह कभी परेशान न होती ।
  अपने कामों से सुनीता को शांति मिलती ।अभी पिछले दिनों पड़ोस में रहने वाले जग्गू चाचा के बेटे को शहर में आईटीआई में एडमिशन करवाने के लिए और शहर में रहने के लिए पैसों की जरूरत आ पड़ी ,इंतजाम हो जाएगा ,इसी आशा में जग्गू ने आखिरी दिन तक किसी को नहीं बताया ,तब अचानक सुनीता को पता चला तो अपनी बेटी की स्कूटी के लिए रखे पैसे ,निकाल कर तुरंत  जग्गू चाचा को बेटे के साथ शहर में भेजा। पता था सुनैना नाराज होगी पर किसी के भविष्य से बड़ी इच्छा पूर्ति नहीं ।
  बेटा कभी कभी सोचता हमेशा हम दोनों भाई बहनों से मां बचपन में कहती थी, मैं कभी तुम दोनों को हारता नहीं देख सकती ,बचपन में अपने साथ खेलती हुई मां को याद कर अखिल अपने बचपन में पहुंच मुस्कुराने लगा ,
  एक बार जब वह सुनैना के साथ लूडो खेल रहा था, सुनैना के बार बार जीतने पर ,जब वह रोने लगा तो मां ने पूछा ,तो बताया कि सुनैना बार-बार जीतकर मुझे हरा देती है ,तो मां ने वायदा किया था, मैं तेरे को कभी हारने  नहीं दूंगी ,और सुनैना की जगह मेरे साथ खुद खेलने लगी और जब ताली बजाकर मैंने अपने आप को विजेता बनने का शोर मचाया ,तब गले लगाकर कितना प्यार किया था ।
मां का लाड प्यार सब याद है, अखिल को, पर अपनी इच्छाओं के  पंख कुचलना उसको रास नहीं आता ।
अखिल के सभी दोस्तों का रहन सहन बहुत हाई फाई है पर उसके कमरे में तो ए सी भी नहीं है ।
अखिल को याद आता है ,आठवीं कक्षा में नई किताब लिए बिना उसने स्कूल जाने से मना कर दिया था, क्योंकि उसकी नई किताबों के पैसे ,मां ने सुखपाल चाचा के बेटे के एडमिशन को दे दिए और अखिल को दीदी की पुरानी किताबों से पढ़ना पड़ा ।
धीरे-धीरे इच्छाओं को मार मार कर ,दोनों भाई बहन बड़े होने लगे ।
मां की समाजसेवा तो कम ना हुई पर अब वह थकने लगी है ।धन्नो चाची बीमार हैं और उनके बेटे बाहर है ,चाची के बीमार होने की खबर से ,अपनी बीमारी भूल लेकर गई डॉक्टर के पास चाची को ,चाची ने बहुत-बहुत आशीर्वाद दिए।
   समय बढ़ता जा रहा था , एक बहुत अच्छी कंपनी से अखिल के इंटरव्यू के लिए अखिल को बैंगलोर जाना था पर समय कम होने के कारण ,तत्काल हवाई यात्रा की टिकट के लिए पैसों के इंतजाम के बारे में सोच अखिल परेशान हो उठा, मां से मांगने के बारे में सोचना ही फालतू का लगा अखिल को ।
   इस जॉब से अपने सारे सपने पूरे होते लगे अखिल को । मां की दूसरों की सहायता करने की भावना ने ,अखिल और सुनैना को संघर्षशील जरूर बना दिया था ,पर सामने रघु चाचा की चमक दमक देख  मन के किसी कोने में अजीब सी संकीर्णता जागती रहती।
     सुनैना की शादी के लिए कुछ भी ना जुड़ा था सुनीता के पास ।
     स्कूल में टीचर होने के साथ-साथ सुनैना कंपटीशन की भी तैयारी कर रही थी ,पर अपनी बिरादरी में शादी के लि२ए दान दहेज की चिंता  अखिल की मां को सताने लगी थी। अखिल के पिता ने अपनी ईमानदारी और कर्मठता से अपने को और परिवार को सींचा  था ,शांत स्वभाव और ध्यान से  सबको सुनने की आदत के कारण सबके प्रिय तो बन गये ,पर हमारे समाज में आदमी पैसों से सहायता उसकी ही  करता है, जिससे पैसों की उम्मीद हो,  अपनी कर्मठता भरी  नौकरी में बैंक बैलेंस ना बना सके, संतोष बाबू।
     बिरादरी की शादियों में दान दहेज में सोना और दिखावे का बोलबाला होता है ।
     लड़की की शादी में लड़की की योग्यता नहीं ,बैंक बैलेंस  चाहिए होता है ।अखिल के पिता संतोष बाबू को  समझ में आने लगा था।
      बेटी के विवाह की चिंता में सुनीता कुछ बीमार सी रहने लगी ।
      एक दिन जब  जग्गू चाचा चाचा मंदिर में अखिल को मिले और पूछने लगे घर परिवार के बारे में और अखिल के जॉब के बारे  में ,तब अखिल ने चाचा को अपने मन को हल्का करने के लिए सब कुछ बताया,
      अचानक अपने फोन पर बैंगलोर की टिकट को देखकैर अखिल हैरान रह गया, फ्लाइट को पकड़ने के लिए उसके पास बहुत कम समय था , घर आकर जल्दी से अपनी डॉक्यूमेंट की फाइल उठाकर,और इंटरव्यू के लिए कपडो और जरूरी सामान की पैकिंग कर ,और मां को जल्दी से सफर के खाने की पैकिंग करने को कहा, मां जल्दी से पराठे और अचार ही रख दो, जल्दी से फ्लाइट पकड़नी है और हां दो चार पराठे ज्यादा ही रखना,  नया शहर है बहुत जल्दी है ,मां फ्लाइट की टिकट सुन ,हैरान जरूर हुयी,जल्दी-जल्दी कर के मां ने परांठे और अचार रास्ते के खाने के लिए पैक कर दिए ।
      अखिल ने जल्दी-जल्दी मां पापा के पैर छुए आशीर्वाद लेकर अपना सामान ले ,टैक्सी से एयरपोर्ट पहुंचा ,और  फ्लाइट से बैंगलोर पहुंचा ।
      एयरपोर्ट पर बाहर आकर देखा उसके नाम और फोन नंबर की प्लेट लिए एक व्यक्ति उसका इंतजार कर रहा था , पूछने पर उसने बताया जिस कंपनी में आप इंटरव्यू देने जा रहे हैं  वहां के मालिक ने  आपके लिए गाड़ी भेजी है ,नए  शहर में किसी पर विश्वास करना आसान ना थ,  पर फिर भी इस जॉब से उसके सभी सपने जो जुड़े थे और उसके पास खोने के लिए कुछ भी ना था,  इसलिए कुछ भी ज्यादा सोचे बिना गाड़ी में बैठ गया ,नियत दूरी तय कर गाड़ी से अखिल कंपनी में पहुंचा।
वहां उसका स्वागत कंपनी के मालिक  ने ही किया, हैरान था अखिल,कम्पनी के मालिक के  साथ नाश्ता करने में बड़ा गर्व महसूस कर रहा था। अचानक कम्पनी के मालिक ने कहा ,
सर ! चलिए आपको आपकी सीट तक ले चलूं ,सर  शब्द को सुनकर अखिल हैरान हो गया ।
       अखिल की हैरानी बढ़ती जा रही थी , कम्पनी के मालिक ने अपने आलीशान ऑफिस की अपनी कुर्सी पर बैठने के लिए अखिल को कहा ,नहीं सर अखिल के मुंह से निकला ।
       कम्पनी के मालिक ने अपनी आंखों की नमी को पोछते  हुए कहा  ,, अखिलभैया आपने पहचाना नहीं यह जो सब आप देख रहे हैं ,यह आपकी मां के दया धर्म का ही परिणाम है ।
       आपकी बहन के स्कूटर  को खरीदने के लिए रखे पैसों को ,जग्गू चाचा के बेटे के लिए यानी मेरे एडमिशन के लिए जो मांजी  ने पैसे दिए थे यह मैं उसी का ब्याज दे रहा हूं,
       मां की ममता को तो मैं नहीं लौटा सकता, पर उन पैसों का ब्याज  तो लौटा ही सकता हूं,
       यहां आकर आईआईटी करके ,मैंने कुछ ईमानदार साथियों की मदद से एक फैक्ट्री खोली ,और गांव के बेरोजगार लड़के लड़कियों की लगन और मेहनत से यह फैक्ट्री चमक उठी।
        यह वह बेरोजगार हैं, जिनके पास डिग्री थी और काम को अपनी लगन से चमकाने का जज्बा था ,पर अनुभव की कमी से इनको बड़ी कंपनियां काम नहीं देती थी और काम पर रखती तो उचित तनख्वाह न देती  , तो मैंने इन कारीगरों को इनकी मेहनत का पूरा पैसा सम्मान के लिए साथ दिया तो, इन सब की मेहनत और मां-बाप की आशीर्वाद से इस फेक्ट्री के माल की डिमांड बढ़ती गई ,जिसका परिणाम आपके सामने हैं ,
        यह आपकी मां का बैंक बैलेंस है जो मैं आपको ब्याज के साथ आपको  सौंप रहा हूं और हां मैं  आपके मां पिताजी से आपकी बहन का हाथ मांगना चाहता हूँ,
आपकी बहन के स्कूटी खरीदने के लिए रक्खे गए पैसों से आपकी बहन के सपने को छिन्न-भिन्न कर मैंने आगे बढ़ने के लिए कदम बढ़ाए ,मैं आपकी बहन को सुख सौभाग्य दे सकूं तो यह मेरा सौभाग्य होगा ।
मां की ममता का कर्ज तो कभी मैं चुका ही नहीं सकता ,पर मां की ममता की छांव में रहने की तो याचना कर ही सकता हूँ ।
अखिल हैरान और स्तब्ध हो सब सुन रहा था ,आंखों से बहते आंसू मां के चरणों तक पहुंचने को आतुर हो रहे थे। मां के बैंक बैलेंस को संभालने के लिए कंपकपाते हाथों से प्रभु के स्मरण में जोड़कर ऐसी माँ हर जन्म देने के लिए याचना करने लगा और मां की गोद में  लीन होने के लिए छोटा बच्चा बन जाना चाह रहा था।


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रचनाएँ
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