माँ की सरसरी नजर
रिचा अपने आप को अब बड़ा समझने लगी है ,उसको अपनी मम्मी की हर बात पर टोका टाकी बिलकुल अच्छी नहीं लगती ।
अपनी सहेलियों के सामने अपनी मां की उपस्थिति या मां का बोलना देख उसको अंदर तक झकझोर देता है ।
खुद को मेंटेन करने के नाम पर बेढंगे कपड़े छोटे टॉप और उधडी जीन्स की मांग पर मम्मा के द्वारा मना करने पर, मम्मा को दुकान पर ही चुप रहने के लिए टेढी निगाह से देखा था रिचा ने ,पर फिर भी मां ने अपनी नजर में बेढंगे कपड़े ना खरीदने दिए रिचा को ,गुस्से में रिचा ने कुछ भी ना खरीदा उस दिन।
रिचा की एक नई सहेली जिसको मां ने पहले कभी भी ना देखा था ,उससे रिचा का ज्यादा मेलजोल कुछ अजीब सा लगता । दीपा की बेटी की हर हरकत पर सरसरी नजर जरूर रहती,चाहे बेटी को अच्छा लगे या बुरा ,क्योंकि वह एक बेटी की मां है ।
रिचा की नई सहेली बारहंवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी साथ-साथ करने का कहकर एक दो बार रिचा के घर रात में भी रूक चुकी थी ,पर उसकी उपस्थिति मां को कुछ ठीक न लगती, और भी तो रिचा की सहेलियां हैं ,घर आती हैं, तो घर के अन्य सदस्यों को भी उचित सम्मान देतीे हैं ,और अपने घर के विषय में घर के लोगों के विषय में बताने में हमेशा सहज ही रहती हैं पर यह तो अपने घर के विषय में भी बताने में असहज रहती हैं, इसलिए रिचा की मां को कुछ तो अजीब लगा नई सहेली को लेकर ।
अचानक रिचा ने एक दिन अपनी मां को सूचित करने की औपचारिकता निभाते हुए कहा ,आज मैं अपनी फ्रेंड पूर्वी के साथ कंबाइन्ड नाईट स्टडी करूंगीं, तो आज मैं छुट्टी के बाद उसके साथ ही उसके घर चली जाऊंगी ,मुझे फोन करके परेशान ना करना ।
बेटी के यह तेवर देख, दीपा के पैरों के तले की जमीन खिसक गई ,तब तो चुप रही और रिचा को स्कूल जाने दिया, फिर पीछे रिचा के पापा को सभी बात बताते हुए कहा, बड़ी होती रिचा पर कुछ पाबंदियां जरूरी है ,मुझे इसकी नई सहेली कुछ अजीब सी लगती है ,आज उसके साथ ही रुकने का कह कर गई है ,रिचा के पापा को भी नाईट स्टडी के नाम पर बेटी का अपनी सहेली के घर रूकना ठीक ना लगा ,तभी दोनों ने निश्चित कर लिया कि आज छुट्टी होने से पहले ही रिचा के स्कूल पहुंचकर उसे खुद लेने जाएंगे और दोनों रिचा के स्कूल पहुंच गए ।
छुट्टी के समय रिचा अपनी नई सहेली के साथ आती दिखाई दी ,तो रिचा के पापा उसके सामने जाकर खड़े हो गए, पापा को देख हैरान रिचा ने कहा पापा आप ,पापा भी कहने लगे हां बेटा आज हमारे पूरे परिवार को बुआ ने अपने घर बुलाया है ,तो हम तुम्हें लेने आ गए ,यहीं से बुआ के घर चलेंगे ,पर पापा मैं तो पूर्वी के साथ उसके घर जाने वाली थी, नहीं पापा आप ही जाओ ,मुझे नहीं जाना मुझे आज स्टडी करनी है ,रिचा की बात सुन पापा की आवाज में तेजी आ गई ,तुमसे कहा चलो हमारेसाथ, तो हमारे साथ चलो। अपनी सहेली को मना करने लगी ,तो उसकी सहेली के मुंह से अचानक निकल गया ,पर रिचा भैया ने तो आज जन्मदिन की पार्टी रखी है, तुम अगर पार्टी में नहीं आओगी तो भैया को बुरा लगेगा।
सहेली की बात सुन जहां रिचा असहज हो गई, वहीं रिचा के पापा का गुस्सा यह बात सुनकर बढ़ गया ,एक तेज आवाज में रिचा से कहा ,चलो मेरे साथ और रिचा को अपने साथ ले आए ।रिचा ने जब आकर गाड़ी में मां को बैठा देखा तो मां को ही अपनी प्रोग्राम के डिस्टर्ब होने का जिम्मेदार माना।
रिचा पूरे रास्ते चुप रही , थोड़ा बहुत इधर उधर घूम कर दीपा से रिचा के पापा ने कहा ,दीपा चलो घर चलते हैं ,कुछ अजीब सा लग रहा है ,
तुम पूनम (रिचा की बुआ) को फोन करके कह देना, हम नहीं आ रहे हैं फिर कभी आएंगे ।
ऐसा कहकर मम्मी पापा के साथ रिचा घर आ गई। दिनभर निशा का मुंह गुस्से में फूला रहा , और रिचा के पापा के दिमाग में रिचा की सहेली पूर्वी का कहना कि भैय्या को बुरा लगेगा आसमानी बिजली की तरह कड़क कड़क अनजाने भय से डराती रही और दूसरे दिन संडे था, दीपा की संडे को जल्दी उठ कर अपने घर को अच्छे से व्यवस्थित करने की आदत है ,अपने घर के बगीचे में दीपा संडे की सुबह समय आराम से थोड़ा समय बिताती है, बाकी दिन तो सुबह का समय भागम भाग का रहता है, अखबार पढ़ रही रिचा अचानक एक ख़बर पढकर कुछ परेशान सी होकर , बगीचे में टहल रही दीपा के पास रिचा मम्मा मम्मा कहती हुई जाकर मा के गले लग कर सूबकने लगी ,क्या हुआ क्या हुआ कहकर जब मां ने पूछा, तब रिचा ने बताया ,अभी मैंने अखबार में पढ़ा की पूर्वी के भाई ने जिस होटल में पूर्वी के जन्मदिन की पार्टी रक्खी थी ,पुलिस ने उस होटल में छापा मारा ड्रग और शराब की पार्टी करते हुए बच्चों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ,उन गिरफ्तार बच्चों में पूर्वी और उसका भाई भी शामिल है कहकर रिचा की आंखें डर के कारण फैल गई थी ,और रिचा कहे जा रही थी मां तुमने ही मुझे बचाया है ,तुम्हारी सख्ती जो मुझे तो हमेशा कड़वी घूंट लगती है ,उसी सख्ती ने मुझे आज सुरक्षित किया कहकर , मां के गले में छोटे बच्चे की तरह चिपक गई, यह खबर सुन दीपा भी अनजाने भय से सहम सी गई उसकी आंखें खुली की खुली रह गई।
दीपा के मुंह से भी कोई बोल ना निकल रहे थे ,दीपा ने भी रिचा को कसकर अपनी बांहों में भींच लिया, यह सब पास में खड़े रिचा के पापा ने भी सुना और देखा तो वह भी परेशान हो वही के वही खड़े रह गए, अपनी बेटी रिचा को सामने सुरक्षित देख, दीपा की सरसरी नजर पर गर्व कर दोनों के पास आकर दोनों के सर पर प्यार और विश्वास का हाथ रक्ख भगवान की दया मान मन ही मन भगवान को याद करने लगे।