ममता आंटी
मम्मी पापा ने मेरा नाम मुकुल रक्खा, पर मैं तो ममता आन्टी का मिट्ठू हूं आज तक ।
ममता आन्टी को मैंने कह रक्खा है ,मेरे को हमेशा मिट्ठू कहकर ही बुलाएं, जब कभी वह मुकुल कहकर बुलातीं है तो अजनबीपन महसूस करता हूँ ।
मेरे मम्मी पापा ने हम दोनों भाइयों की परवरिश पर बहुत पैसा लगाया । मेरे मम्मी पापा को सोसायटी सिम्बल बनने का जुनून सवार था ।मेरे पापा शहर के मशहूर विजनेशमैन थे और मेरी मम्मी अपने पेशे को समर्पित एक मशहूर वकील थीं,दोनों ही अपने काम व्यवसाय को पूर्णतः समर्पित । बच्चे अपनी मम्मी के हाथों के बने खाने की तारीफ़ करते पर, मैं वेवजह उदास होता मेरे मम्मी पापा के पास पैसा ,ओहदा, बडी बडी गाडियां ,आलीशान बंगला सबकुछ था, सिवाय हमदोनों भाइयों के लिए समय को छोड़कर ।
पापा हरपल अपने बिजनेस को और आगे, और आगे ले जाने के लिए दिल, दिमाग, शरीर के साथ हमेशा आगे सबसे आगे की धुन लिए भागते रहे, और मम्मी को भी शहर का सबसे बड़ा वकील बनने के लिए रातदिन मेहनत करनी होती । महंगे महंगे खिलौनों, कपड़ों को ही हमारी जरूरत समझा जाता, शहर के सबसे बड़े स्कूल में पापा ने हम दोनों भाइयों का एडिमिशन करवाया, यह उनके लिए हाई सोसायटी सिम्बल की बात थी और साथ ही साथ स्कूल के लिए भी स्टैंडर्ड की बात होती कि बड़े बडे विजनिशमैन के बच्चे उनके स्कूल में पढते हैं ।
हमें सब कुछ मिलता पर न मिलता मम्मी पापा के साथ इन्ज्बॉय करने वाला क्रीम टाइम ,साथ के बच्चे अपनी मम्मी पापा के साथ पार्क में घूमने जाते, क्लास में बच्चे अपनी मम्मी के हाथों बने खाने की तारीफ़ करते, पर मैं बेवजह मुस्कुराने की कोशिश करता स्कूल की पी टी एम में जाने से ज्यादा मम्मी का क्लायन्ट की केस स्टडी करना होता और पापा का बिजनेस मीटिंग एटैन्ड करना होता ।
हम दोनों भाइयों की परवरिश ममता आन्टी ने की,ममताआन्टी की ममता के साथ समय और हम बडे होने लगे ।जैसे जैसे हम बडे हो रहे थे, हमारी जरूरत के हिसाब से हमें महंगे महंगे गैजेट मिलते जा रहे थे, बडी से बडी जरूरत हमारी पैसों की कमी से पूरी न हो पाई हो ऐसा कुछ भी याद नहीं ,पर मम्मी पापा आप का समय, साथ और लगाव इतना मंहगा था कि आपकी सारी दौलत से भी न खरीद सके,।
मम्मी पापा ने अपने आप ही सपना देख लिया कि एक बेटा बडे होकर पापा की तरह बहुत बड़ा बिजनेसमैन बनेगा और दूसरा मम्मी की तरह सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर मम्मी पापा का नाम रोशन करेंगे
पापा को कभी कभी फैमिली ट्रिप पर जाने की याद आती तो वह भी बिजनेस टूर ही रहता । विदेश में जाकर महंगे महंगे होटल में हमें ठहराना और स्वयं को आंनलाइन मीटिंग में विजी रखना ।पापा की चाहत रहती हम अपने दोस्तों के बीच अपनी विदेश यात्रा का वर्णन करें और सबकी नजरों में विशेष दर्जा प्राप्त करें ।
कभी कभी अपनों के साथ की इतनी तलब होती कि सबकुछ फीका फीका लगता ।सामने वाले की रिश्तों की समर्द्धी हमें असहाय होने का अहसास कराती, उसी तरह दूर से आती पारिवारिक रिश्तों की खिलखिलाहट की आवाज़ भी भीड में हमे बौना सा बना देती ।
मम्मी पापा जब आप अपने अपने घरों से अपना भविष्य बनाने निकले थे तब आपने सोचा भी न होगा कि आपकी महत्वाकांक्षा आपको हमारे लिए आसमान का सितारा बना देगी और आपको पाने के लिए हम हमेशा उछलते ही रहेंगें ।
ममता आन्टी को हम दोनों भाइयों की देखभाल के लिए जो आपने सैलरी दी और उसके बदले जो ममता आन्टी ने हम दोनों भाइयों को दिया उसका हम लगान भी नहीं चुका सकते ।बुखार होने पर रात भर मेरे सिरहाने बैठना, मेरी पसन्द नापसन्द की भावनाओं का बारीकी से ध्यान रखना, नींद न आने पर परियों की, राजा महाराजा की और धार्मिक कहानियां सुनाना, ,,,स्कूल के लिए हम दोनों भाइयों को तैयार करके स्कूल बस में समय पर बैठा कर आना और दोपहर में धूप में खड़ी होकर हमारा इन्तजार करना, आते ही हमारा लंच बाक्स देखना और लंच बाक्स में खाना होनेपर परेशानी के भाव माथे पर झलकना और हंसते हंसते तुरन्त मेरी पसन्द का गरमागरम खाना बनाकर अपने हाथों से हमें खाना खिलाना, क्या यह सब हम भूल सकते हैं ।
जैसे बगीचे की देखभाल माली करता है और पके फलों का स्वाद और फूलों की सुगन्ध की प्रशंसा मालिक के हिस्से आती है ।हम दोनों भाइयों की परवरिश भी ममता आन्टी ने माली की तरह की उन्होंने अपनी ममता से हमको सींचा है ।
पैरों में दर्द होने पर भी हमको शाम को पार्क में घूमाने ले जाती और हमारे साथ फुटबॉल खेलतीं हम दोनों भाइयों के एग्जाम दिनों में हमारे साथ देर रात तक जागना ,किस तरह से मैं यह सब भूल जाऊं, कैसे स्वीकार करूं कि ममता आन्टी ने एक अच्छे वेतन के लिए यह सब किया ।
एक अच्छा वेतन देकर आप अपना मनपसंद काम करा सकते हैं पर किसी की भावनाएं नहीं खरीद सकते ।
ममता आन्टी ने अपनी सारी भावनाओं की परिधि में हमारी परवरिश की ।बडों को नमस्ते करना और सम्मान करना, अपने व्यवहार से सब लोगों के बीच अपनी पहचान बनाना ,यह सब ममता आन्टी ने सिखाया ।
आपका सम्मान करना हम दोनों भाइयों का कर्तव्य है, पर दिल में ममता आन्टी ही हैं ,ममता आन्टी को खुश रखना मेरा धर्म है और आपकी अच्छे से सेवा करना मेरा फर्ज है और मैं अपने धर्म का पालन करते हुए फर्ज भी निभाऊंगा ।
भइया और भाभी आप की तरह ही इक्नामिकल स्टेटस फॉलो कर रहे हैं भइया भी आपकी तरह सुपर मैन बनना चाहते हैं, पर मैं आपकी परम्परा से हटकर चल पड़ा हूं ।अब मैं वह सब पाना चाहता हूँ जिसकी दबी हुई चाहत से बचपन से ही विहीन हूँ, आपके साथ के लिए मैं बचपन से ही झटपटा रहा हूँ ,रिटायरमेन्ट के बाद आपको अपना समय मुझे देना होगा, आपके साथ से मैं अपने जीवन में सतरंगी रंग भरना चाहता हूँ अपनी नई शुरुआत अपने मम्मी पापा के प्यार की छाँव में करना चाहता हूँ, मम्मी पापा आप आ रहें हैं न मेरे साथ, सच्ची सच्ची बताए देता हूँ आपको भी बहुत अच्छा लगेगा ।
मैंने देखा है ममता आन्टी के बच्चों को, जब आन्टी हम दोनों भाइयों के काम पूरा करने के बाद ,अपने बच्चो के पास जाती तो उनके बच्चे वैसे ही चहकते जैसे चिडिया के बच्चे दाना चोंच में लेकर आती हुई मां चिडिया का स्वागत चहचहाहट के साथ करते हैं ,।ममता आन्टी भी बच्चों का आलिंगन करके हमेशा आनन्द को आत्मसात कर हमेशा उर्जा वान रहती।
जया शर्मा