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पुश्तैनी हवेली

20 नवम्बर 2023

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पुश्तैनी हवेली 

ब्यूटी पार्लर से लौटी छोटी बहू को देखते ही, आगन में चारपाई पर बैठी, सासु कल्याणी ने बोलना शुरू कर दिया, अपने चेहरे को चमकाने की कितनी फिक्र है हमारी बहू को, जब देखो ब्यूटी पार्लर में ही पावेगी।
शक्ल तो वही रहेगी ,वह तो बदलने से ही रही। बहू लीला ने भी हंसकर जवाब दिया ,मांजी आप ही कहते हो सजी संवरी बहू से ही घर में रौनक आती है ,मांजी शाम को सुगना बुआ के घर कुआं पूजन में जाना है, चलो आपका भी मेकअप करवा लाऊं ।
सासु  कल्याणी को बहू की बात सुन हंसी भी आई, पर हंसी दबाकर बहू की डांट लगाना शुरु कर दिया,मैं कोई तेरे उम्र की हूं जो  तू मेरे साथ हंसी मजाक करे, आज संदीप को बताऊंगी तेरी बात, ।
बहू भी अपने कमरे में चली गई बहु  अभी कमरे में पहुंची ही थी, कि सासु कल्याणी की आवाज गूंज उठी ,बहू लीला कोई चटख रंग की साड़ी ला, मुझे भी तैयार होना है ।
बहू चटख हरे रंग की साड़ी लाई और माजी से बोली ,लो यह वाली साड़ी पहन लो आप, सब के बीच में आप ही चमकोगी,  और  हां सुनो मांजी अाकर मेरे से अपनी नजर उतरवा लेना, कहीं नजर खाकर  चारपाई न पकड़ लो।सासू कल्याणी को पहनने और ओढने का  शौक बचपन से ही रहा ,बचपन में  मां कल्याणी की दादी कहा करती मेरी पोती का दूल्हा बहुत बड़ी हवेली वाला होगा मेरी पोती को रानी बनाकर रखेगा ।
सासु कल्याणी दोपहर में फुर्सत में बैठतीं तो बहू लीला को पास बिठाकर अपने बचपन के किस्से सुनाती और बहू लीला की बात  भी बड़े चाव से सुनती ।
मां कल्याणी बताती कि जब उनके दादा मेरा रिश्ता तय करके घर वापस आए ,तो उन्होंने दादा से यही पहला प्रश्न किया, क्या मेरे राजकुमार की बड़ी हवेली है। 
घर के सभी लोग मेरी बात सुनकर हंसें और दादा ने मुझ छोटी सी को गोद में उठाकर समझाया था ,उनकी हवेली गांव की सबसे बड़ी हवेली है ,खूब पैसे वाले हैं ,दूर-दूर तक मशहूर है उनका नाम , वहां जाकर राज करेगी मेरी लाडो कल्याणी ,
बहू लीला भी सासु कल्याणी के भोलेपन पर हंसी ना रोक  सकी, और बोली, सच्ची में सासू मां ।जब आप ब्याह कर बडी हवेली में आई होगी तो बडी खुश हुई होगी 
,सासू मां तो सच में अपने बचपन में पहुंच जाती ,और बडे चाव से अपनी बातें सुनाया करतीं 
बहुत बड़ा घर, भरा पूरा कुनबा नौकर चाकर ,सासू मां मुझे बड़े प्यार से रखतीं, घर के और छोटे बालकों के साथ खेलने  भेज देती,  जब मैं थोड़ी थोड़ी बड़ी होने लगी ,तो रोटी बनाते समय रसोई में अपने पास बैठाने लगी थी मेरी सासू मां ।
मैं भी ध्यान से देखती रहती ,कभी रसोई के कामों को, कभी सासू मां को और कभी-कभी  रसोई  में ही सो जाती ।
फिर थोड़े दिनों बाद मेरी सासू मां रसोई में अपने साथ बैठाते हुए कहती , सबसे बाद में मेरी लाडो कल्याणी मेरे लिए दो रोटी बनाएगी ,और मैं जब उनके लिए रोटी बनाती तो बड़ा खुश होकर खातों, जैसी भी बनती टेढी ,गोल चौकोर, मां बड़ा खुश होकर खातीं,मुझे सासु मां की बहुत याद आती है ।
भरा पूरा परिवार रहता था इस हवेली में ।दूर-दूर तक हमारे खेत खलिहान थे ।रिश्तेदारों का भी खूब मन लगता था यहां आकर नौकर चाकर भी अपने अपने काम करके घर परिवार वालों की तरह रहते, धीरे धीरे सब बिखरने लगा, सब अपना अपना हिस्सा ले अलग अलग होने लगे, खेत के टुकडे टुकड़े होने लगे और बंटने लगे ,पर यह हवेली मेरे दादसरे ने तेरे ससुर के नाम कर दी ,तो यह बच गई ।
मैंने अपने के खेत भी बचाकर रक्खे हैं ,पर मैं भी छह बच्चों की मां  हूं ,पर डरती हूं किसी दिन मेरी हवेली और खेतों के  भी टुकड़े ना हो जाए ,अभी तो मेरे सभी बच्चे नौकरी के चक्कर में बाहर हैं, पर पता नहीं कब किसके दिमाग में बंटवारे का कीडा रेंग जाए, 
मेरी हवेली में मेरी यादें बसती हैं, मेरी पुरखों का आशीर्वाद बसता है ,हमारे घरों के बच्चों के बचपन की यादें हर कोने में बसी है ,घर की बहू बेटियों से सपने वाली हमारी पुरखों की हवेली को  लाडो बंटने मत देना मेरी  लाडो बहू लीला ,कहते-कहते मां कल्याणी की आवाज भारी हो चुकी थी और आंखों को  बहाव रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था, एक बार तो सासु मां की ऐसी आवाज सुन लीला भी दुखी हो रोना चाह रही थी ,पर तुरंत ही अपने को संभाल कर माहौल को बदलने के लिए बोली लो मांजी आप के आंसू जरा सी बात पर निकल पड़े, चलो अब आप मेरा जलवा देखो ,कुछ बात बन जाए तो उसे मेरा उपकार मान लेना आप भी क्या याद रखोगे कितनी सुगढ बहू आपको किस्मत से मिली ,मांजी भी हैरान हो अब शांत होने की कोशिश करने लगी।  दूसरे दिन सुबह सुबह बहू लीला का शोर शुरू हो गया ,मांजी मेरे बस की नहीं इतनी बड़ी हवेली में अकेले साफ सफाई करना और करवाना , सब तो अपने आराम से हैं,और मैं अकेली जान शाम को सब के कमरे में जोत बाती करती घुमूं, घर में अंधेरा भी तो ना रख सकूं ।
अगले महीने दिवाली पर जब सब घर आए तो पूरी हवेली की मरम्मत की बात कर लेना आप, आप की ही जिम्मेदारी नहीं है मरम्मत करवाने की ।
सास कल्याणी  बहू की बातों को सुन के बीच में बोली  तेरी यह बकबक खत्म हो जाए तो मैं दो घड़ी भगवान का नाम भी ले लूं ।

दूसरे दिन घबराई बहू लीला ,सासू मां कल्याणी के कमरे में आई मांजी मांजी कहते कहते सांस फूल रही थी, क्या हो गया तेरे को, क्यों घबरा रही है  मां कल्याणी ने पूछा, ,मांजी आप अपनी सासू मां के किस्से कल सुना रही थी ना आप की सासू मां का नाम जशोदा था ,ना आज उन्होंने मुझ  सोती को जगा दिया, पर मैं डर गई उन्होंने मुझसे कहा कि अगर इस हवेली और हमारे खेतों में कोई भी अपना हिस्सा अलग करेगा, उसको मैं अपने साथ ले जाऊंगीं,और उसका सबकुछ खत्म कर दूंगीं, वो बोल रही थीं
मेरी इस पुरखों की  हवेली में दीवार नहीं खड़ी होनी चाहिए ।
डरी हुई बहू को सास कल्याणी ने कहा ,ना बेटा मेरी सासू मां तो बहुत सीधी-सादी थी, वह किसी को ना डरा सके तेरा बहम होगा ।
लीला ने भी धीरे धीरे बोलना शुरू किया ना मांजी 
दादी जी डरा नहीं रही थीं वह तो हवेली के हिस्से ना होने का कह रही थीं,ठीक है कहकर बहू को शान्त कराया और बहू की बात सुनकर थोडा घबरा भी गईं और घबराई बहू के बारे में अपने सासू  सभी बच्चों के पास खबर करवाने को कहा और सासू मां कल्याणी के सभी बच्चे छुट्टी का इंतजाम कर बच्चों सहित आ गए ।
कल्याणी जी ने जब अपने बच्चों को बहू के सपने  की बात बताई तो सभी एक बार घबरा गए ,फिर धीरे-धीरे आपस में बातचीत करके इस बात पर पहुंचे ,कि दादी जी ने हवेली और  जमीनों के बंटवारे होने पर ही नुकसान पहुंचाएगीं ऐसा कहा है ,वैसे डरने की कोई बात नहीं है ।।
जब सब इकट्ठे होकर बातचीत कर रहे थे, सभी ने महसूस किया जो सुख एक साथ में है ,वह सुख खरीदा नहीं जा सकता धीरे-धीरे बातचीत के द्वारा सभी भाइयों ने सोचना शुरू कर दिया कि शहर में अपना सभी काम समेट कर ,गांव में आकर साथ-साथ रहेंगे ,अपनी इस हवेली को फिर से तीज त्योहारों के साथ-साथ सदा के लिए गुलजार करेंगे ।
इस हवेली में हमारे पुरखों का आशीर्वाद है ,अब हम सब उनके आशीर्वाद की छत्रछाया में ही रहेंगे ।
आज हवेली का हर कोना कोना खुशी में डूबा हुआ था, हर कोने में सोंधी सोंधी मिठास भरी खुशबू  उठ रही थी ।
आधी रात में सासु कल्याणी के कमरे में ,बहू लीला  धीरे  धीरे से पहुंची और देखा मांजी के चेहरे पर खुशी छाई हुई है और अभी वह जाग रही है ,देखते ही बहू लीला धीरे से बोली ,कल्याणी मैं तेरी सास का बोल रही हूं ,अभी तक सोई नहीं ,अचानक मां कल्याणी अपनी सासू मां कीआवाज सुनकर, चौंक गई और खड़ी हो गई ,और बहु लीला को सामने देख नाराज हो गई मेरे साथ ठिठोली कर रही थी,नहीं मैं देख रही थी ,आप अपनी सासू मां से अब भी डरते हो ,कि नहीं और हां आप कह रही थी आप की सासू मां बहुत सीधी-सादी  थीं, तो आप  तो डर गई, अब सासू मा कल्याणी को भी लीला का यह खेल समझ में आ गया था ,सासू मां ने अपनी हवेली में लौटी रौनक को हमेशा के लिए सजाने वाली बहू लीला को गले लगाकर बहुत-बहुत आशीर्वाद दिया।।।।
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