यहाँ काफ़िला इतना हैं। क्या मैं समझू और क्या समझाऊ। ये काफ़िला रोज एक नया रास्ता ढूढँता हैं। और अगले ही दिन फिर चल देता है कहाँ से आता है और कहाँ जाता है। ये कोई नहीं जानता ये काफ़िला ऐसे क्या और कब तक ऐसे ही चलता रहेगा । मैने एक बार उन में से एक
सच्ची मुस्कुराहट और सच्ची खुशी को बयां करता एक छोटा सा सच्चा किस्सा....।
लोफर........ क्लास में एक तुम ही थी जिसकी हर अदा मुझे बेहद खूबसूरत लगती थी । तुमसे बात करने के लिए कई बार सोचा परंतु हिम्मत न हुई। मैं ही क्या तुमपे तो बहुत लड़के मरते थे । लड़के तुम्हें यूनिवर्सिटी का हिटलर कहते थे। वो तो शुक्र है तुम्हारी सहेली क
देवभूमि उत्तराखंड मेरे ज़हन में रचती बसती है|
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्रारंभिक जीवन: अब्दुल कलाम जी का जन्म तमिलनाडु में रामेश्वरम के तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता का नाम जैनलाब्दीन (Father's Name) था जो पेशे से नावों को किराये पर देने और बेचने का काम करते थे। कलाम ज
ये किताब जिंदगी के अनुभवों का एक साझा संकलन है जहां के कई हिंदी के दिग्गज लेखकों ने अपने अनुभवों को साझा किया है ।
यह कविता केरल कि निवासी बिजु.एस ने लिखा गया है. हमारे देश की सुंदरता और वीर योद्धाओं कि वर्णन है.भारत कि पवित्र धार्मिक सुधारकों कि विवरण हैं महान भारत (कविता ,विजु.एस,केरला) —----------- मेरी भूमि शुद्ध और दयालु है इसमें हमारा देश
ये कहानी एक भाई बहन की है, जिसमें उनके माता-पिता बचपन में ही गुजर गये हैं और वो लङका भी अपंग है लेकिन बाद में वह लङका अपनी मेहनत से अपनी जिंदगी बदल देता है, लेकिन कैसे आइये जानते है ।।
गैरो को गले लगाने वालो अपनो की दर्द भी सनझ लो पत्थर की पुजने वालो माता पिता को गले लगा लो उनकी अंतर्मन क्या कह रही अपनी दिलो से समझ लो दिल की तम्मना से सेवा की रतन जड लो साक्षात भगवान तेरे घर में रो रहे उनके उपकार को भुल न जाना यारो खुशी की लहर
एक दिव्यांग व्यक्ति का कोई नहीं होता है
इस दुनिया की नजरो से बच के हमें रहना है पर्वत और पहाडो से सबसे हमें कहना है ! यादो की बरसात से हमे आज भींगना है मेरे किमत की किस्मत भाग्य हमें निखरना है ! पत्थर से लुढकना सिखो हवा के साथ चलना सिखो पानी की धारो से सिखो सिर्फ आगे बढना है ! क
इस पुस्तक में आपको कई महापुरुषों का जीवन और उनसे जुड़ी कई प्रसिद्ध घटनाओ को पढ़ सकते हैं
एक ऐसे मनुष्य की कहानी जो कहानी बताने के लिए जिंदा नही है, एक एक्सिडेन्ट में उसकी मृत्यु के पश्चात उसके साथ हुई घटनाओं का वर्णन
तुम मेरे हो इश्क की सारी दीवानगी को पर कर देने वाली कहानी तुम मेरे हो ।
एक सामाजिक व मनोरंजक किस्म का व्यंग्यात्मक लहजे में आपके सामने पेश होने जा रही है यह छोटी सी कहानी "बाबू चंदन "। जो चंदन की जिंदगी की किस्सों के सााथ-साथ उस मोड़ पर पहुँँचती है, जहाँ एक पल के लिए चंदन ठगा सा रह जाता है जिसकी अभी नयी-नवेली शादी हुई है
याद आते है आपको ? वो बचपन के दिन जब हमारा व्यक्तित्व हमारे मां बाप और हम बना रहे होते हैं । हम शब्द मैने इसलिये प्रयोग किया क्योकि मिट्टी के बरतन के निर्माण मे मिट्टी का भी अपना योगदान होता है । मुझे तो आजकल रह रहकर याद आते हैं । तो चलते हैं बचपन की
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी मे 19 नवम्बर 1835 को हुआ।इनके पिता मोरोपंत ताम्बे चिकनाजी के आश्रित थे।इनके माता का नाम भागीरथी बाई था। रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मनु बाई था,मनु की उम्र मात्र 4 साल ही थी जब उनकी माताजी का निधन हो गया था और इसके बाद
जीवन की ढलने लगी सांझ उमर घट गई डगर कट गई जीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थ शब्द हुए व्यर्थ शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीत बिखरा संगीत ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ। जीवन की ढलने लगी सांझ।