कहूं क्या इस दर्द ए हाल में ,
अब अल्फाजों ने जुबां से , रुखसत ले ली ।
आ करीब कुछ और हमारे ,
वक्त न जाने कब हमें , खामोश कर दे ।।
ठहर कुछ देर और ऐ जिंदगी ,
कुछ देर और उन्हें मैं , गले से लगा तो लूं ।।
जी भर के जी लूं ,कुछ और अपने जी संग ।
इन शबनमी आंखों से उन्हें मैं, जी भर के देख तो लूं ।।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी