कहूं क्या किस कदर , बसर हो रही है अब जिंदगी ।
बस कट रही है किसी तरह से , तन्हां तन्हा...!
ख्यालों में से होकर , गुजरी रही है अब जिंदगी ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी
3 अप्रैल 2024
कहूं क्या किस कदर , बसर हो रही है अब जिंदगी ।
बस कट रही है किसी तरह से , तन्हां तन्हा...!
ख्यालों में से होकर , गुजरी रही है अब जिंदगी ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी
वाह बेहद खूबसूरत लिखा है आपने सर 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें,,,🙏🙏
4 अप्रैल 2024