कैसे रहूंगा मैं तेरे बिना , कैसे रहूंगा कैसे रहूंगा । कैसे रहूंगा मैं तेरे बिना , कैसे रहूंगा कैसे रहूंगा ।
तेरी याद पल पल , जो आएगी मुझको ।
इस दिल को मैं , क्या कह के कहूंगा ।
इस दिल को मैं , क्या कह के कहूंगा ।
इस दिल को मैं , क्या कह के कहूंगा ।
कैसे रहूंगा कैसे रहूंगा..
तेरी याद पल पल , जो आएगी मुझको ।
वो पल वो लम्हे , जो साथ गुजारे ।
गुलाबों की कलियां , सा चेहरा तुम्हारा ।
तेरे तन का छुआ , जो मन को लागे ।
सांसों में सामिल है , जो खुशबू तेरी ।
दिल मे बसी है , जो सूरत तेरी ।
दिल से उसे मैं , कैसे भूलूंगा ।
तेरी याद पल पल , जो आएगी मुझको ,
इस दिल को मैं क्या कह के कहूंगा ।
हाथों में मेरे , तेरा हाथ का होना ।
वो चंचल तेरे पैरों की शरारत ।
वो झुकती निगाहे , वो दिल का खोना ।
विन मेरे , तेरी वो बेचैन रातें ।
पाया मुझे फिर , तेरा खुश होना ।
इस दिल से उसे मैं , कैसे भूलूंगा ।
कैसे भूलूंगा ।
कैसे रहूंगा मैं तेरे बिना , मैं कैसे रहूंगा ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी