बस इक खूबसूरत सा सफर , उसमें आप और हम ।
रह गई ये आरजू भी ,दिल के किसी कोने में दफन ।
इस बेबसी में , करें तो क्या करें हम
मिलन हो तो कैसे.... ?
आएं तो आएं कैसे..?
पहरे जमाने ने , बहुत बिठाए हुए है ।
रहना मुश्किल है अब , इन अंधेरों में सनम !
बुझते हुए चिराग दिल के , जलाएं तो जलाएं कैसे ?
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी