यनु भी क्या शरील पर ,
बिति ग्याई कि ,
जिणों को मोह जू त्यारू ,भंग ह्वे ग्याई ।
अभी त उमर बाळापन मान ,
थोडा ही उबे होई ।
क्या दिखि क्या लाई गाडी ,
अभी बाबा !
जु ई ज्वानि सि , मन भोरै ग्याई ।
अभी लठ्याला उ लो छन , ताणी भौना ।
जु अपणा दिन अब , ग्रेस मा छ जिणा ।
अभी त तुमारी , दुनियादरी भी शुरू नि होई ।
अर तुम अभी बटि हार ,किले छ मनणा ।
हिकमत जोड़ी रखा दौं ,
मिललू बाटु जरूर , एक दिन दिक्यान
बस यू वक्त बुरू जु छ , ये तैं जाण दियां दौं ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी