वो मेरे आंसू थे , जो छलक गए
अंखियों के झरोखों से ।
आह...!
आई किसी की याद आज ,
सच कई दिनों से ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी ।
23 अप्रैल 2024
वो मेरे आंसू थे , जो छलक गए
अंखियों के झरोखों से ।
आह...!
आई किसी की याद आज ,
सच कई दिनों से ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी ।