यादों के झरोखों से आज, तेरी याद चली आई है ।
ऐ मेरे बचपन तू , अब तो लौट आ ।
कई बहार आई और गुजर गई , इस रंगीन जमाने में ।
बे रंग सी जिंदगी है अब हमारी , सदियों की तन्हाई है ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी
12 जून 2024
यादों के झरोखों से आज, तेरी याद चली आई है ।
ऐ मेरे बचपन तू , अब तो लौट आ ।
कई बहार आई और गुजर गई , इस रंगीन जमाने में ।
बे रंग सी जिंदगी है अब हमारी , सदियों की तन्हाई है ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी