मेरे ख्यालों ने आज मुझे, सकून की वो रातें दी है ।
रहा मैं संग उनके , हसीन पलों की वो बातें दी है ।
मेरे ख्यालों ने आज मुझे , सकून की वो रातें दी है ।
रहा मैं संग उनके , हमसफ़र बनकर ।
वो बिछौना मेरे मन का , वो हसीं शरारतें दी है ।
मेरे ख्यालों ने आज मुझे, सकून की वो रातें दी है ।
रहे मदहोश हम दोनों , जाम ए खुमार ए मोहब्बत में ।
नाजुक सी पंखुड़िया गुलाब की ,
उनके होठों ने मुझे, वो खुमारी दी है ।
उतरा नही है नशा ए इश्क , उनके हुश्न का ।
उनके हुश्न ने मुझे वो , आशिकी दी है ।
मेरे ख्यालों ने आज मुझे , सकून की वो राते दी है ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी