तेरी कातिल आंखें है , यह लोग कहते है ।
इक बार इधर तो देखो ,ये हुस्न ए बाहर ।
हम इन आंखों से, कत्ल होना चाहते है ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी
29 अप्रैल 2024
तेरी कातिल आंखें है , यह लोग कहते है ।
इक बार इधर तो देखो ,ये हुस्न ए बाहर ।
हम इन आंखों से, कत्ल होना चाहते है ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी