चांद ही नहीं उगा आज ,
शब ए गम में ।
बड़ी मुश्किल से गुजरी है ,
आज जिंदगी तन्हाई में ।
हाल ए दिल देख कर ,
हमसे रोया न गया ।
बहुत थे अल्फ़ाज़ ए गम,
बेबस ही रहे उन्हें देख कर हम ।
आये ख्याल उनको,
न जाने कब तलक।
की हम भी है ,
उनके इंतज़ार में।
देखकर उनकी बेरुखी,
लौट आये वापस हम।
अलविदा भी फिर हमसे,
बोला न गया।
हाल ए दिल देख
कर, हमसे रोया न गया ।
✍️ज्योति प्रसाद रतूड़ी