कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई
आप कहियेगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई
पास-बुक पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है
प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई
ठोकरें दे के तुझे उस ने तो समझाया बहुत
एक ठोकर का भी क्या तुझ पे असर है कोई
रात-दिन अपने इशारों पे नचाता है मुझे
मैं ने देखा तो नहीं मुझ में मगर है कोई
एक भी दिल में न उतरी, न कोई दोस्त बना
यार तू ये तो बता ये भी नज़र है कोई
प्यार से हाथ मिलाने से ही पुल बनते हैं
काट दो, काट दो गर दिल में भँवर है कोई
मौत दीवार है, दीवार के उस पार से अब
मुझ को रह रह के बुलाता है उधर है कोई
सारी दुनिया में लुटाता ही रहा प्यार अपना
कौन है, सुनते हैं, 'बेचैन-कुँवर' है कोई