गलियों गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे
बहरों के घर गाते गाते इक-तारा दम तोड़ न दे
ऊँचे पर्वत से उतरी है प्यास बुझाने धरती की
अंगारों पर चलते चलते जल-धारा दम तोड़ न दे
चंदा का क्या वो तो अपनी राहें रोज़ बदलता है
अपने वचनों पर दृढ रह कर ध्रुव-तारा दम तोड़ न दे
मुमकिन हो तो दूर ही रखना दिल की आग को आँसू से
पानी की बाँहों में आ कर अंगारा दम तोड़ न दे
आँधी आँधी में अब फिर से भेज न मन के पंछी को
माना पहले बच आया है दोबारा दम तोड़ न दे
केवल उजियारा रहता तो नींद न मिलती आँखों को
मेरे बचपन का साथी ये अँधियारा दम तोड़ न दे
घर-घर जा कर बाँट रहा है चिट्ठी जो मुस्कानों की
देखो मेरे आँसू का ये हरकारा दम तोड़ न दे
कितनी मुश्किल से बच पाया आँधी से ये नीड़ 'कुँवर'
अब तो बिजली की बारिश हैं बेचारा दम तोड़ न दे