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फूल को ख़ार बनाने पे तुली है दुनिया

19 अगस्त 2022

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फूल को ख़ार बनाने पे तुली है दुनिया,

सबको अंगार बनाने पे तुली है दुनिया ।


मैं महकती हुई मिटटी हूँ किसी आँगन की,

मुझको दीवार बनाने पे तुली है दुनिया ।


हमने लोहे को गलाकर जो खिलौने ढाले,

उनको हथियार बनाने पे तुली है दुनिया ।


जिन पे लफ़्ज़ों की नुमाइश के सिवा कुछ भी नहीं,

उनको फ़नकार बनाने पे तुली है दुनिया ।


क्या मुझे ज़ख़्म नए दे के अभी जी न भरा,

क्यों मुझे यार बनाने पे तुली है दुनिया ।


मैं किसी फूल की पंखुरी पे पड़ी शबनम हूँ,

मुझको अंगार बनाने पे तुली है दुनिया ।


नन्हे बच्चों से 'कुँअर ' छीन के भोला बचपन,

उनको हुशियार बनाने पे तुली है दुनिया ।

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रचनाएँ
डॉ. कुँवर बेचैन जी की ग़ज़लें
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हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की गज़ल के मिजाज़ में बदलाव आया है, वह पूरे उपमहाद्वीप में इसके उद्बोधन से स्पष्ट है। इधर जीवन की विसंगतियों पर तंज़ करती गज़लें आम हो चली हैं, हालांकि बहुतायत में रचनाकर अब भी पारंपरिक मालो-असबाब को एहतियात से सँजो कर रखने में लगे हैं। मैं मानता हूँ कि गज़ल एक ऐसी शमा है जिसकी मीठी लौ में दहक के कई प्रतिभाएँ भस्म हो गईं। देखने में सहज लगने वाली गज़ल उतनी सहज नहीं है जितनी कि आमूमन कोई भी रचनाकार समझ लेता है। इस की सादगी के चक्कर में लिपट कर कई रचनाकार तबाह हो चुके हैं-बेबहर हो गए हैं। गज़ल केवल रदीफ़ और काफिया मिलाना ही नहीं है। गज़ल का हर शेर, अशआर दूर की कौड़ी लाता है। जिस गज़ल में यह “दूर की कौड़ी” नहीं रहेगी वह रचना कुछ भी हो पर गज़ल नहीं हो सकती। हिंदुस्तान में गज़ल को जब हिन्दी के धरातल पर उतारा गया तो इसे मुकम्मिल सराहना मिली। अकबर इलाहाबादी, जिगर, साहिर, मजरूह, निदा, बेकल, शकील के साथ-साथ राजेन्द्र धवन, नीरज सरीखे रचनाकारों ने सहज हिन्दी-उर्दू शब्दों के साथ फिल्मी गीतों में इसे पिरोकर, जनता के होठों पर इसे चस्पा कर दिया। डॉ कुँवर बेचैन कुँवर साहब की रचनाओं की भी यही विशेषता है कि वे स्व-स्फूर्त होती हैं, उनमें जटिलता की गांठें नहीं रहतीं। किन्तु, बहुत अधिक लिखने की चाह में शायद मिजाज़ की प्रफुल्लता पर बन आती है। कुँवर जी इतने सशक्त और बड़े हस्ताक्षर हैं कि हमें उनसे सदैव उत्कृष्टता की ही आशा रहती है, उनके मानदंड का स्तर बहुत ऊंचा है।
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ये लफ्ज़ आईने हैं मत इन्हें उछाल के चल

19 अगस्त 2022
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ये लफ़्ज़ आईने हैं मत इन्हें उछाल के चल, अदब की राह मिली है तो देखभाल के चल । कहे जो तुझसे उसे सुन, अमल भी कर उस पर, ग़ज़ल की बात है उसको न ऐसे टाल के चल । सभी के काम में आएँगे वक़्त पड़ने पर,

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अब आग के लिबास को

19 अगस्त 2022
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अब आग के लिबास को ज़्यादा न दाबिए, सुलगी हुई कपास को ज़्यादा न दाबिए । ऐसा न हो कि उँगलियाँ घायल पड़ी मिलें, चटके हुए गिलास को ज़्यादा न दाबिए । चुभकर कहीं बना ही न दे घाव पाँव में, पैरों तले

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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया

19 अगस्त 2022
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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया सूखा पुराना ज़ख्म नए को जगह मिली स्वागत नए का

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मौत तो आनी है तो फिर मौत का क्यों डर रखूँ

19 अगस्त 2022
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मौत तो आनी है तो फिर मौत का क्यों डर रखूँ जिन्दगी आ, तेरे क़दमों पर मैं अपना सर रखूँ जिसमें माँ और बाप की सेवा का शुभ संकल्प हो चाहता हूँ मैं भी काँधे पर वही काँवर रखूँ हाँ, मुझे उड़ना है लेकि

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अपनी सियाह पीठ छुपाता है आईना

19 अगस्त 2022
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अपनी सियाह पीठ छुपाता है आईना सबको हमारे दाग दिखाता है आईना इसका न कोई दीन, न ईमान ना धरम इस हाथ से उस हाथ में जाता है आईना खाई ज़रा-सी चोट तो टुकड़ों में बँट गया हमको भी अपनी शक्ल में लाता ह

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बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो

19 अगस्त 2022
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बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो, बस एक तुम पे नज़र है हमारे साथ रहो । हम आज ऐसे किसी ज़िन्दगी के मोड़ पे हैं, न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो । तुम्हें ही छाँव समझकर हम आ गए हैं इधर, तुम्हारी

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दिलों में नफ़रतें हैं अब, मुहब्बतों का क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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दिलों में नफ़रतें हैं अब, मुहब्बतों का क्या हुआ, जो थीं तेरे ज़मीर की अब उन छतों का क्या हुआ ? बगल में फ़ाइलें लिए कहाँ चले किधर चले, छुपे थे जो किताब में अब उन ख़तों का क्या हुआ ? ज़रा-ज़रा-स

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फूल को ख़ार बनाने पे तुली है दुनिया

19 अगस्त 2022
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फूल को ख़ार बनाने पे तुली है दुनिया, सबको अंगार बनाने पे तुली है दुनिया । मैं महकती हुई मिटटी हूँ किसी आँगन की, मुझको दीवार बनाने पे तुली है दुनिया । हमने लोहे को गलाकर जो खिलौने ढाले, उनको ह

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हम कहाँ रुस्वा हुए रुसवाइयों को क्या ख़बर

19 अगस्त 2022
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हम कहाँ रुस्वा हुए रुसवाइयों को क्या ख़बर, डूबकर उबरे न क्यूँ गहराइयों को क्या ख़बर । ज़ख़्म क्यों गहरे हुए होते रहे होते गए, जिस्म से बिछुड़ी हुई परछाइयों को क्या ख़बर । क्यों तड़पती ही रहीं

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हम बहुत रोए किसी त्यौहार से रहकर अलग

19 अगस्त 2022
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हम बहुत रोए किसी त्यौहार से रहकर अलग, जी सका है कौन अपने प्यार से रहकर अलग । चाहे कोई हो उसे कुछ तो सहारा चाहिए, सज सकी तस्वीर कब दीवार से रहकर अलग । क़त्ल केवल क़त्ल और इसके सिवा कुछ भी नहीं,

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गलियों गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे

19 अगस्त 2022
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गलियों-गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे, बहरों के घर गाते-गाते इकतारा दम तोड़ न दे । ऊँचे पर्वत से उतरी है प्यास बुझाने धरती की, अंगारों पर चलते-चलते जलधारा दम तोड़ न दे । चन्दा का क्

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उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे

19 अगस्त 2022
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उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे राह में छोड़ गया राह पे लाया था जिसे उसने पोंछे ही नहीं अश्क़ मेरी आँखों से मैंने खुद रोके बहुत देर हँसाया था जिसे बस उसी दिन से ख़फ़ा है वो मेरा इक चेह

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शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम

19 अगस्त 2022
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शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम चाहे महफ़िल में रहूं चाहे

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वही मैंने किया जो दिल में ठाना

19 अगस्त 2022
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वही मैंने किया जो दिल में ठाना भले ही कुछ कहे सारा ज़माना जो आंसू दुनिया की ख़ातिर बहे हैं उन्ही की बूँद में सागर समाना लुटाओ जितना, उतनी ही बढ़ेगी मुहब्बत है ही इक ऐसा ख़जाना जलेगा तो करे

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कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई

19 अगस्त 2022
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कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई आप कहिएगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई 'पास-बुक' पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई ठोकरें दे के तुझे उसने तो समझाया बहुत एक ठो

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हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये

19 अगस्त 2022
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हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिये एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जायेंगे धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये आपको ऊँचे जो उठना है तो आंसू की तरह दिल से आँखो

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जितने भी मयखाने हैं

19 अगस्त 2022
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जितने भी मयखाने हैं सब तेरे दीवाने हैं तेरे चितवन के आगे सारे तीर पुराने हैं शमा बुझी उनसे पहले हैरत में परवाने हैं जिन्हें न पढ़ पाए हम खुद हम ऐसे अफ़साने हैं कैसे खुद को ढूँढोगे हर

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ख़ुशी में खुश हुए, तो ग़म में घबराना ही पड़ता है

19 अगस्त 2022
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ख़ुशी में खुश हुए, तो ग़म में घबराना ही पड़ता है, जिए कितना ही कोई, फिर भी मर जाना ही पड़ता है मिलन की ठंडकों के बाद बिछुड़न की जलन भी है, कि नदिया में नहाकर रेत पर आना ही पड़ता है ये माना उम्

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गगन में जब अपना सितारा न देखा

19 अगस्त 2022
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गगन में जब अपना सितारा न देखा, तो जीने का कोई सहारा न देखा नज़र है, मगर वो नज़र क्या कि जिसने, खुद अपनी नज़र का नज़ारा न देखा भले वो डुबाए, उबारे कि हमने, भंवर देख ली तो किनारा न देखा वो ब

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राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की

19 अगस्त 2022
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राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की, यूं दिल से मेरे आपके भी दिल ने बात की फिर धड़कनों ने धड़कनों की बात को सुना, यूं चुप्पियों में रह के भी महफ़िल ने बात की हैरत में सिर्फ मैं ही नहीं,

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मैं देह का पर्दा हूँ, मैं खुद को हटा लूं क्या

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मयखाना तेरी आँखें, मय जाम में ढालूं क्या, हैं होंठ तेरे अमृत, मैं प्यास बुझा लूं क्या अब नींद भी आँखों से, ये पूछ के आती है, आने से ज़रा पहले, कुछ ख़्वाब सजा लूं क्या तस्वीर तेरी माना, बोली है

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घिरा रहता हूँ मैं भी आजकल अनगिन विचारों में

19 अगस्त 2022
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घिरा रहता हूँ मैं भी आजकल अनगिन विचारों में कि जैसे इक अकेला चाँद इन लाखों सितारों में किसे मालूम था वो वक़्त भी आ जाएगा इक दिन कि खुद ही बाग़वां अंगार रख देंगे बहारों में नदी तो है समंदर की,

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सुनो अब यूँ ही चलने दो, न कोई शर्त बांधो

19 अगस्त 2022
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सुनो अब यूँ ही चलने दो, न कोई शर्त बांधो, मुझे गिर कर संभलने दो, न कोई शर्त बांधो पतंगें तो उडेंगी ही, वो पुरवा हो कि पछवा, हवा को रुख़ बदलने दो, न कोई शर्त बांधो सुबह को क्या पता पूजाघरों के

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वो दिन हमको कितने सुहाने लगेंगे

19 अगस्त 2022
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वो दिन हमको कितने सुहाने लगेंगे, तेरे दर पे जब आने जाने लगेंगे कोई जब तुम्हें ध्यान से देख लेगा, उसे चाँद सूरज पुराने लगेंगे रहूं मैं मुहब्बत की इक बूँद बनकर, तो सागर भी मुझमें नहाने लगेंगे

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अगर हम अपने दिल को अपना इक चाकर बना लेते

19 अगस्त 2022
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अगर हम अपने दिल को अपना इक चाकर बना लेते तो अपनी ज़िदंगी को और भी बेहतर बना लेते ये काग़ज़ पर बनी चिड़िया भले ही उड़ नहीं पाती मगर तुम कुछ तो उसके बाज़ुओं में पर बना लेते अलग रहते हुए भी सबसे

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ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक

19 अगस्त 2022
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ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक चाँदनी चार क‍़दम, धूप चली मीलों तक प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली

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मैं दिल हूँ और इस दिल का पता आपकी आँखें

19 अगस्त 2022
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मैं दिल हूँ और इस दिल का पता आपकी आँखें है अब मेरी मंज़िल का पता आपकी आँखें। हर शख्स की मुश्किल का पता आपकी आँखें इस हुस्न की महफ़िल का पता आपकी आँखें। दर्पण में जिन्हें आप भी खुद देखना चाहें

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एक तेरे नाम की ही पुस्तकें पढ़ते रहे

19 अगस्त 2022
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एक तेरे नाम की ही पुस्तकें पढ़ते रहे इस तरह भी मंदिरों की सीढ़ियाँ चढ़ते रहे। वक़्त तस्वीरें चुराता ही रहा हम भी मगर नित नयी तस्वीर दिल के 'फ्रेम' में मढ़ते रहे। एक या दो की नहीं, है ये कई जन्

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प्यासे होठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी

19 अगस्त 2022
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प्यासे होठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी हमने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू जी। फिर कोई काला सपना था पलकों के दरवाजों पर हमने यूं ही डर के मारे आँख न खोली बाबू जी। भूले से भी तीर चला मत दे

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फूल से लिपटी हुई ये तितलियाँ अच्छी लगीं

19 अगस्त 2022
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दुलहिनों के भाल-चिपकी बेंदियाँ अच्छी लगीं फूल से लिपटी हुई ये तितलियाँ अच्छी लगीं। आज तेरा नाम जैसे ही लिया वो रुक गईं आज सच पूछो तो अपनी हिचकियाँ अच्छी लगीं। जब से मैं गिनने लगा इन पर तेरे आन

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जिस रात पूर्णिमा में नहा लेगी चांदनी

19 अगस्त 2022
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जिस रात पूर्णिमा में नहा लेगी चांदनी पानी को सागरों से उछालेगी चांदनी। उन्मुक्त कुन्तलों की नशीली सी छाँव में सो भी गया तो मुझको जगा लेगी चांदनी। सोचा न था कि मैक़दे से खींचकर मुझे मंदिर की स

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सच्चा फ़क़ीर आज तक बूढ़ा नहीं हुआ

19 अगस्त 2022
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सच्चा फ़क़ीर आज तक बूढ़ा नहीं हुआ देखो कबीर आज तक बूढ़ा नहीं हुआ। 'रांझे' की वो जो सच्ची मुहब्बत के साथ है वह नाम 'हीर' आज तक बूढ़ा नहीं हुआ। इस दिल पे मेरे तुमने जो छोड़ा था पहली बार नज़रों

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औरों के भी ग़म में ज़रा रो लूँ तो सुबह हो

19 अगस्त 2022
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औरों के भी ग़म में ज़रा रो लूँ तो सुबह हो दामन पे लगे दाग़ों को धो लूँ तो सुबह हो। कुछ दिन से मेरे दिल में नई चाह जगी है सर रख के तेरी गोद में सो लूँ तो सुबह हो। पर बाँध के बैठा हूँ नशेमन में

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आँखों में भर के प्यार का पानी ग़ज़ल कही

19 अगस्त 2022
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आँखों में भर के प्यार का पानी ग़ज़ल कही हमने नये सिरे से पुरानी ग़ज़ल कही। लिक्खा जो देखा उसकी हथेली पे अपना नाम हमने हथेली चूम ली, यानी ग़ज़ल कही। कितना कहा खुलेंगे ग़ज़ल कह के सारे राज़ पर

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आँखें हूँ अगर मैं, तो मेरा तू ही ख़्वाब है

19 अगस्त 2022
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आँखें हूँ अगर मैं, तो मेरा तू ही ख़्वाब है मैं प्रश्न अगर हूँ, तो मेरा तू ज़वाब है। मैं क्यूँ न पढूं रोज़ नई चाह से तुझे तू घर में मेरे एक भजन की किताब है। खुश्बू भी, तेरा रंग भी मुझमें भरा हु

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कभी चलता हुआ चंदा कभी तारा बताता है

19 अगस्त 2022
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कभी चलता हुआ चंदा कभी तारा बताता है ज़माना ठीक है जो मुझको बंजारा बताता है। तुम्हारा क्या, तुम अपनी नींद की ये गोलियां खाओ है गहरी नींद क्या, यह तो थका-हारा बताता है। सँवारा वक़्त ने उसको, कि

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जो डर जाते हैं डर जाने से पहले

19 अगस्त 2022
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जो डर जाते हैं डर जाने से पहले वो मर जाते हैं मर जाने से पहले। बहुत सम्मान था इन आंसुओं का नज़र से यूँ उतर जाने से पहले। पता भी है कि पिंजरे में परिंदा बहुत तड़पा था पर जाने से पहले। फिर उ

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तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है

19 अगस्त 2022
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तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है कि जैसे याद की खुश्बू किसी हिचकी से आती है। कहाँ से और आएगी अक़ीदत की वो सच्चाई जो जूठे बेर वाली सरफिरी शबरी से आती है। बदन से तेरे आती है मुझे ऐ माँ

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सारा जग तुझको कहे, है मो'तबर काफ़ी नही

19 अगस्त 2022
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 सारा जग तुझको कहे, है मो'तबर काफ़ी नहीं अपनी क़ीमत भी बता केवल हुनर काफ़ी नहीं। गिनतियों में नाम तेरा आये गर ये चाह है साथ इक-दो अंक रख केवल सिफ़र काफ़ी नहीं। तेरे दिल में है अगर आकाश छूने की

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देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ

19 अगस्त 2022
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देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ नींद मेरी आँखों में आते ही जल जाती है क्यूँ। हाथ में 'शाकुंतलम' है और मन में प्रश्न है याद की मछली अंगूठी को निगल जाती है क्यूँ। ऐ मुहब्बत, तू तो मेरे मन

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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना

19 अगस्त 2022
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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा अब के

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इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे

19 अगस्त 2022
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इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे  ज़िंदगी देख कोई बात अधूरी न रहे  बादलों की तरह आए हो तो खुल कर बरसो  देखो इस बार की बरसात अधूरी न रहे  मेरा हर अश्क चला आया बराती बन कर  जिस से ये दर्द की

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साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया

19 अगस्त 2022
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साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया  दिल मोम का था फिर भी पिघलने नहीं दिया  हाथों की ओट दे के जला लीं हथेलियाँ  ऐ शम्अ' तुझ को हम ने मचलने नहीं दिया  दुनिया ने बहुत चाहा कि दिल जानवर बने  मै

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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ  तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ  चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो है  मुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ  बदले में तुझ को दे तो गए भूक और प्यास  मु

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दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए

19 अगस्त 2022
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दो-चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए  सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए  रहते हमारे पास तो ये टूटते ज़रूर  अच्छा किया जो अपने सपने चुरा लिए  चाहा था एक फूल ने तड़पें उसी के पास  हम ने ख़ुशी से

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करो हम को न शर्मिंदा बढ़ो आगे कहीं बाबा

19 अगस्त 2022
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करो हम को न शर्मिंदा बढ़ो आगे कहीं बाबा  हमारे पास आँसू के सिवा कुछ भी नहीं बाबा  कटोरा ही नहीं है हाथ में बस फ़र्क़ इतना है  जहाँ बैठे हुए हो तुम खड़े हम भी वहीं बाबा  तुम्हारी ही तरह हम भी र

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इस वक़्त अपने तेवर पूरे शबाब पर हैं

19 अगस्त 2022
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इस वक़्त अपने तेवर पूरे शबाब पर हैं  सारे जहाँ से कह दो हम इंक़लाब पर हैं  हम को हमारी नींदें अब छू नहीं सकेंगी  जिस तक न नींद पहुँचे उस एक ख़्वाब पर हैं  उन क़ातिलों के चेहरे अब तो उघारियेगा 

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वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई

19 अगस्त 2022
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वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई  याद तेरी चोर थी नींदें चुरा कर ले गई  ज़िंदगी की डाइरी में एक ही तो गीत था  कोई मीठी धुन उसे भी गुनगुना कर ले गई  सर्दियों की गुनगुनी सी धूप के एहसास त

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आँखों में जो हमारी ये जालों के दाग़ हैं

19 अगस्त 2022
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आँखों में जो हमारी ये जालों के दाग़ हैं  ये तो हमारे अपने ख़यालों के दाग़ हैं  मेरी हथेलियों पे जो मेहंदी से रच गए  ये आँसुओं में भीगे रुमालों के दाग़ हैं  बाहर निकल के जिस्म से जाऊँ तो किस तर

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हम से मत पूछो कि इक वो चीज़ क्या दोनों में है

19 अगस्त 2022
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हम से मत पूछो कि इक वो चीज़ क्या दोनों में है  जो मिलाता है हमें वो फ़ासला दोनों में है  उस के मिलने की ख़ुशी हो या बिछड़ जाने का ग़म  होश रहता ही नहीं ऐसा नशा दोनों में है  उस की आँखें कान है

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उम्र-भर कुछ इस तरह हम जागते सोते रहे

19 अगस्त 2022
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उम्र-भर कुछ इस तरह हम जागते सोते रहे  भीड़ में हँसते रहे तन्हाई में रोते रहे  रौशनी की थी कहाँ फ़ुर्सत जो वो ये सोचती  कैसे कैसे उस की ख़ातिर हम हवन होते रहे  धूप की फ़सलें उगेंगी ये हमें मा'ल

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गगन में जब अपना सितारा न देखा

19 अगस्त 2022
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गगन में जब अपना सितारा न देखा  तो जीने का कोई सहारा न देखा  नज़र है, मगर वो नज़र क्या कि जिस ने  ख़ुद अपनी नज़र का नज़ारा न देखा  भले वो डुबाए उभारे कि हम ने  भँवर देख ली तो किनारा न देखा 

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प्यासे होंटों से जब कोई झील न बोली बाबू-जी

19 अगस्त 2022
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प्यासे होंटों से जब कोई झील न बोली बाबू-जी हम ने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू-जी फिर कोई काला सपना था पलकों के दरवाज़ों पर हम ने यूँ ही डर के मारे आँख न खोली बाबू-जी भूले से जाने-अनजाने वा

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साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा

19 अगस्त 2022
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साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा  यूँ तो सब कुछ भूल गया मैं पर तेरा घर याद रहा  यूँ भी कोई मिलना है जो मिलने की घड़ियों में भी  मिलने से पहले इस ज़ालिम दुनिया का डर याद रहा  वर्ना

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गलियों गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे

19 अगस्त 2022
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गलियों गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे बहरों के घर गाते गाते इक-तारा दम तोड़ न दे ऊँचे पर्वत से उतरी है प्यास बुझाने धरती की अंगारों पर चलते चलते जल-धारा दम तोड़ न दे चंदा का क्या वो

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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया

19 अगस्त 2022
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चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया  पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया  जागा रहा तो मैं ने नए काम कर लिए  ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया  सूखा पुराना ज़ख़्म नए को जगह मिली  स्वागत

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कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई

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कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई  आप कहियेगा सफ़र ये भी सफ़र है कोई  पास-बुक पर तो नज़र है कि कहाँ रक्खी है  प्यार के ख़त का पता है न ख़बर है कोई  ठोकरें दे के तुझे उस ने तो समझाया बहुत 

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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना

19 अगस्त 2022
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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना  जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना  कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया  मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना  आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा 

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जब मेरे घर के पास कहीं भी नगर न था

19 अगस्त 2022
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जब मेरे घर के पास कहीं भी नगर न था  तो इस तरह का राह में लुटने का डर न था  जंगल में जंगलों की तरह का सफ़र न था  सूरत में आदमी की कोई जानवर न था  आँसू सा गिर के आँख से मैं सोचता रहा  इतना तो अ

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तुम्हारे जिस्म जब जब धूप में काले पड़े होंगे

19 अगस्त 2022
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तुम्हारे जिस्म जब जब धूप में काले पड़े होंगे  हमारी भी ग़ज़ल के पाँव में छाले पड़े होंगे  अगर आँखों पे गहरी नींद के ताले पड़े होंगे  तो कुछ ख़्वाबों को अपनी जान के लाले पड़े होंगे  कि जिन की स

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आँखों से जब ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए

19 अगस्त 2022
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आँखों से जब ये ख़्वाब सुनहरे उतर गए  हम दिल में अपने और भी गहरे उतर गए  साँपों ने मन की बीन को काटा है इस तरह  थे उस के पास जितने भी लहरे उतर गए  लाए हैं वो ही आग के मोती बटोर कर  जो आँसुओं क

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बढ़ रही है दिल की धड़कन आँधियों धीरे चलो

19 अगस्त 2022
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बढ़ रही है दिल की धड़कन आँधियों धीरे चलो  फिर कोई टूटे न दर्पन आँधियों धीरे चलो  ये चमन सारा का सारा आज-कल ख़तरे में है  हर तरफ़ है आग दुश्मन आँधियों धीरे चलो  एक युग के बा'द बादल का नया आँचल

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ख़ुद को नज़र के सामने ला कर ग़ज़ल कहो

19 अगस्त 2022
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ख़ुद को नज़र के सामने ला कर ग़ज़ल कहो  इस दिल में कोई दर्द बिठा कर ग़ज़ल कहो  अब तक तो मय-कदों पे ही तुम ने ग़ज़ल कही  होंटों से अब ये जाम हटा कर ग़ज़ल कहो  महफ़िल में आज शम्अ' जलाने के दिन गए

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साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा

19 अगस्त 2022
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साँसों की टूटी सरगम में इक मीठा स्वर याद रहा  यूँ तो सब कुछ भूल गया मैं पर तेरा घर याद रहा  यूँ भी कोई मिलना है जो मिलने की घड़ियों में भी  मिलने से पहले इस ज़ालिम दुनिया का डर याद रहा  वर्ना

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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ  तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ  चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो है  मुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ  बदले में तुझ को दे तो गए भूक और प्यास  मु

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साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया

19 अगस्त 2022
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साँचे में हम ने और के ढलने नहीं दिया  दिल मोम का था फिर भी पिघलने नहीं दिया  हाथों की ओट दे के जला लीं हथेलियाँ  ऐ शम्अ' तुझ को हम ने मचलने नहीं दिया  दुनिया ने बहुत चाहा कि दिल जानवर बने  मै

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इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे

19 अगस्त 2022
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इस तरह मिल कि मुलाक़ात अधूरी न रहे  ज़िंदगी देख कोई बात अधूरी न रहे  बादलों की तरह आए हो तो खुल कर बरसो  देखो इस बार की बरसात अधूरी न रहे  मेरा हर अश्क चला आया बराती बन कर  जिस से ये दर्द की

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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना

19 अगस्त 2022
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दिल पे मुश्किल है बहुत दिल की कहानी लिखना  जैसे बहते हुए पानी पे हो पानी लिखना  कोई उलझन ही रही होगी जो वो भूल गया  मेरे हिस्से में कोई शाम सुहानी लिखना  आते जाते हुए मौसम से अलग रह के ज़रा 

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वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई

19 अगस्त 2022
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वो मिरी रातें मिरी आँखों में आ कर ले गई  याद तेरी चोर थी नींदें चुरा कर ले गई  ज़िंदगी की डाइरी में एक ही तो गीत था  कोई मीठी धुन उसे भी गुनगुना कर ले गई  सर्दियों की गुनगुनी सी धूप के एहसास त

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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ

19 अगस्त 2022
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कोई नहीं है देखने वाला तो क्या हुआ  तेरी तरफ़ नहीं है उजाला तो क्या हुआ  चारों तरफ़ हवाओं में उस की महक तो है  मुरझा रही है साँस की माला तो क्या हुआ  बदले में तुझ को दे तो गए भूक और प्यास  मु

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