सरल नहीं वो राह रही जो मेरे भाग्य में आयी
लगे भले मिथ्या तुमको मेरे हिस्से की सच्चाई
निज कन्धों का भार करूँ साझा किससे बतलाओ
संभव हो तो एक बार अपना स्वरुप दिखलाओ
माना की नहीं अर्जुन हूँ मैं पर तुम तो कृष्ण ही होना
हो सके प्रभु तो बस इतनी मुझ पर भी कृपा कर दो न........