गतांक से आगे:-
जोगिंदर हैरान रह गया अगर नरेंद्र का ये काम नही है तो फिर चिठ्ठी गयी कहां।वह जब कालेज से आया था तो उसने देखी ही थी मेज पर रखी थी फिर अचानक से कहां गायब हो गयी जब वह नहा कर आया।
वह बड़े अनमने मन से अपने कमरे मे लौट आया और एक बार फिर से उसने सारे कमरे को छान मारा पर उसका कही नामोनिशान नही था।वह बेमन से खाना खाने बैठा ।वह सोच रहा था कि वह पहले ही पढ़ लेता तो ठीक रहता । क्या पता हवा से उड़कर कहां चली गयी ।
उसे बार बार रमनी की याद आ रही थी ज़रूर कोई घटना घटी होगी उसके साथ तभी उसकी चिठ्ठी आई है ।उसका भी मन बार बार भारी हो रहा था ऐसे लग रहा था जैसे रमनी उससे दूर जा रही है ।वैसे भी जब वह गांव से शहर आ रहा था तो कैसे पनीली आंखों से देख रही थी ,कितनी देर तक बस के साथ दौड़ती रही थी पगली ,गिर जाती तो…. जोगिंदर ने सोचते हुए अपनी भर आई आंखों को साफ किया।
उसने थोड़ा बहुत खाकर प्लेट एक तरफ रख दी। वह आज राहत महसूस कर रहा था टेलीग्राम करके जबसे गांव से आया था उसने अपने राजी खुशी पहुंचना का टेलीग्राम भी नही किया था व्यर्थ की बातों मे उलझ गया था शायद वह ज्यादा ही सिरियस हो गया था या उसने मन मे एक काल्पनिक दुनिया बना ली थी ।वो ये सब सोच ही रहा था कि नरेंद्र आ गया कमरे मे और बोला,"क्यूं भाई मिला रमनी का खत ?"
जोगिंदर झल्ला कर बोला,"भगवान जाने धरती निगल गयी या आसमान ।मै नहाने गया तो यही रखा था जब आया तो गायब ।"
नरेंद्र बोला,"हो सकता है हवा मे उड़ गया हो चल होस्टल मे ढूंढते है इस बहाने थोड़ी सैर भी हो जाएगी।"
जोगिंदर भी थोड़ा हल्का होना चाहता था रमनी की चिठ्ठी गुम होने से उसे बड़ा दुःख हो रहा था। दोनों कमरे को ताला लगाकर घुमने निकल गये ।जाते समय कमल ओर नोबीन को भी साथ ले लिया।
कमल हंसते हुए जोगिंदर से बोला,"और यार कैसा चल रहा है पढ़ाई वडाई।मन लग गया कालेज मे ।यार ये फिजिक्स के प्रोफेसर सही ढंग से नहीं समझाते । मुझे जरा भी समझ में नही आता।"
जोगिंदर भी हंसते हुए बोला,"हां थोड़ा तुतलाकर बोलते है वैसे जो नोट्स देते है भाईसाहब बड़े ही काम के होते है ।"
वो सब ये सब बातें भी करते जा रहे थे और रमनी की चिठ्ठी भी ढूंढते जा रहे थे पर पूरे होस्टल में कही भी नही मिली । दोनों मायूस हो कर अपने कमरे मे लौट आये रात का खाना भी वो लोग मैस से खा कर ही आये थे ।कमरे मे आकर नरेंद्र बोला,"यार कमाल ही हो गया आखिर चिठ्ठी गयी कहां ।ऐसा भी नही कि किसी ने मज़ाक ही किया हो वैसे भी वो चिठ्ठी किसी के क्या काम की होगी।"
जोगिंदर भी हां मे हां मिलाने लगा।
जोगिंदर और नरेंद्र थोड़ी देर अपनी अपनी टेबल पर बैठकर पढ़ें फिर नरेंद्र बोला,"क्या बात आज तू अपनी किताब नही पढ़ रहा?"
जोगिंदर का ध्यान उस ओर से पूरी तरह से हट चुका था लेकिन नरेंद्र ने किताब की बात करके उसे फिर से याद दिला दिया वह बोला,"यार तुझे बताता हूं तो तू मेरी बात हंसी मे उड़ा देता है ।तुझे पता है इस किताब मे इस होस्टल मतलब इस महल के विषय में भी एक कहानी है । मैंने तुझे बताया था ना कि मै लाइब्रेरी मे जब क्लास लगने की प्रतीक्षा कर रहा था तब मैने यहां क्या घटित हुआ था वो कहानी पढ़ी थी बस शुरू ही की थी मैने तभी क्लास का टाइम हो गया मै जैसे ही किताब बंद करके क्लास जाने लगा तो मेरे कान मे किसी ने कहा,"पूरी कहानी पढ़ना।"
फिर कल जब मै कहानी पढ़ रहा था तो कहानी पूरी है ही नही उसके कुछ पन्ने फटे हुए थे । मुझे सारी रात बेचैनी रही कि आगे कहानी क्या होगी इसी बेचैनी में मैं सुबह चार बजे सोया तो सपने मे क्या देखता हूं जो लड़की मुझे दियों के पास दिखाई दी थी वही लड़की कमरा नं 13 के दरवाजे पर खड़ी है और मुझे बुलाकर कहती है ,नही मिली ना पूरी कहानी ,पूरी कहानी जाननी है तो आज रात को यही मिलना।
भाई नरेन्द्र मुझे तो डर लग रहा है क्या पता क्या अला बला है जो मेरे ही पीछे पड़ी है और किसी को वो दिखाई भी नही दे रही।"
नरेंद्र वैसे तो अंदर से खुश ही था क्योंकि वह जोगिंदर के चाचा लोगों को ये वादा करके आया था कि वह उसे शहर मे उलझा कर रखेगा । लेकिन यहां तो काम अपने आप ही हो रहा था । लेकिन अब जोगिंदर ये कह रहा था कि वह इन बातों पर ध्यान नही देगा तो नरेंद्र को मामला बिगड़ता दिखाई दिया वह बोला,"यार एक बात देख अगर वो तुझे दिखाई दे रही है मतलब वह तुझ से कुछ चाहती है ओर उसने अभी तक तुझे कोई नुक्सान भी नही पहुंचाया इसका मतलब वो जो कोई भी है एक अच्छे दिल की है ।अगर वो तुझे दिख रही है तो उसकी बात सुनने मे कोई हर्ज नही है।"
नरेंद्र ने जोगिंदर को समझाते हुए कहा। जोगिंदर को भी यही लग रहा था काफी दिनों से कि वो लड़की बार बार मेरे सपने मे तो कभी उसकी आवाज मुझे सुनाई देती है तो एक दिन मै पूछ ही लूं कि वो मुझ से क्या चाहती है।जो बार बार मेरे करीब आती है ।
वह मन मे ये धार कर सो गया कि आज अगर वो दिखाई दी तो जरूर पूछेगा कि वह कौन है ?
धीरे धीरे रात गहराती जा रही थी ।रात के करीब बारह या एक का समय हुआ होगा तभी जोगिंदर को किसी औरत के रोने की आवाज सुनाई दी ।उसे वो आवाज़ जानी पहचानी सी लगी । आवाज लगातार आ रही थी ।वह रोते रोते बार बार कोई नाम ले रही थी जो अस्पष्ट सा था । जोगिंदर बार बार सोच रहा था कि ये ऐसा रोना कहां सुना था फिर याद आया ओओओ हां ये तो मैंने सपने मे सुनी थी गांव मे जब मे दोपहर को खाना खाकर लेटा था।वह जैसे उस आवाज की ओर खींचा चला जा रहा था उसे ये पता ही नही चला कि कब मे से वह अपने कमरे का दरवाजा खोल कर गलियारे मे आ चुका था और धीरे धीरे आवाज़ की दिशा की ओर बढ़ रहा था आवाज तेरह नंबर कमरे से आ रही थी ।वह जैसे ही उसके आगे आकर खड़ा हुआ। दरवाजा एक झटके से खुला और जोगिंदर हैरान रह गया जो उसने कमरे मे देखा।
(क्रमशः)