गतांक से आगे:-
रमनी तो चली गयी पर जोगिंदर अब इस सोच मे था कि हरिया और भोला को जो काम सौंपा था वो उन्होंने किया या नही ।वह उसी की जांच पड़ताल करने उनके घर चला गया । दोनों दोस्तों ने उसे आश्वस्त कर दिया कि काम हो गया है ।
तभी गोपाल जो रमनी की बंदर टोली का प्रधान था वो जोगिंदर को रास्ते मे मिल गया वह हांफते हुए बोला,"जोगिंदर भैया आप कहां थे मै पूरे बागों मे देख आया ।रमनी दीदी की मां कह रही थी आप बागों मे मिलों गे।आप को चाची बुला रही है ।रमनी दीदी की ससुराल वालों के यहां लगन सगाई लेकर जाना है ।गांव के सभी बड़े जा रहे है आप को भी बुलाया है।"
जोगिंदर को ये तो था कि आज रमनी की लगन सगाई मे गांव के मोजिज लोग जाएंगे फर वो भी जाएगा ये बिल्कुल भी अंदाजा नही था।
अंधे को क्या चाहिए दो नैन । जोगिंदर फटाफट घर जा कर तैयार होकर रमनी के घर पहुंच गया ।रमनी को हल्दी लगने वाली थी नेग बस हो ही रहा था कि जल्दी से जाकर जोगिंदर ने सबसे पहले एक मुट्ठी हल्दी मज़ाक मे रमनी के मुंह पर मल दी ।सब ओर हंसी का ठहाका गूंज गया । लोगों ने तो इसे एक दोस्त का मजाक समझा पर असल मे जोगिंदर अपने नाम की हल्दी रमनी को लगाना चाहता था।इतने मे रमनी की ससुराल के लिए लोग चल दिए जोगिंदर और हम हरिया,भोला भी साथ हो लिए। जोगिंदर ने रास्ते में समझा दिया था कि आगे क्या करना है ।
जैसे ही वो रमनी की ससुराल पहुंचे तो पाया वास्तव मे लड़के वाले अमीर लोग थे ।बडा सा महलनुमा घर था उनका ।पर जब लड़का लग्न टीके के लिए आया तो जोगिंदर कां माथा ही ठनक गया ।कम से कम पैंतालीस साल का होगा। जोगिंदर की आंखें नम हो गयी । कहां तो रमनी कच्ची कली मात्र सोलहवें साल मे लगी थी और कहां ये बुढ़ा आदमी।गरीबी इंसान से क्या नही करवा देती ।बेटी को अमीर आदमी के साथ बयाहना था चाहे वो उसके बाप की उम्र का हो ।इस बेमेल विवाह से किसी का भला नहीं होता रमनी तो जीते जी मर जाती ।पर वह ऐसा कभी भी नही होने देगा । उसके जीते जी उसकी रमनी इस नर्क मे कभी नही आ सकती।
वे तीनों रमनी के होने वाले दुल्हे के पीछे कालीन फर इस तरीके से बैठ गये कि उनकी बात दुल्हे के कानों मे पड़े।आगे पंडित मंत्र पढ़ कर लग्न लिख रहा था ।तभी जोगिंदर ने भोला को इशारा किया तो वह बोलने लगा," यार बेचारा दूल्हा तो फंस गया इन लोगों के जाल मे ।अपनी बेकार ,बदमिजाज और बदतमीज लड़की इन लोगों के पल्ले बांध रहे है ।सुना है दूल्हे की माताजी बीमार है ।ये जरूर रोटी बना कर देगी ।कल मरती आज ही मार देगी । बड़ी कर्कश लड़की है ।हमे तो क्या जो भगवान की मर्जी।"
यह कहकर भोला चुप हो गया ।उसने ये जरूर निश्चित कर लिया था कि दूल्हे के कान मे सारी बात पहुंच जाए।
लगन टीका देकर रमनी के पिता और घरके लोग वापस गांव जाने लगे तो दूल्हे ने भोला को इशारा किया ।वह पास गया तो पूछा,"भाई आप लोग जो बतला रहे थे क्या वो सच है ?"
भोला हां मे इशारा करके वैसे मना करने लगा कि कही लोग ये ना समझे वो दूल्हे को भड़का रहा है और तुरंत जाकर बैलगाड़ी में बैठ गया।
इधर रमनी के होने वाले दूल्हे के मन मे खटास हो गयी ब्याह की ।वह तो पहले ही नही करना चाहता था ब्याह क्यों कि वह अपनी पहली पत्नी को भूल ही नही पा रहा था ।ये तो कुनबे वाले पीछे पड़े थे ब्याह कर लो तुम्हारी मां को कौन सम्हाले गा।वह इसलिए ब्याह कर रहा था।
जोगिंदर जो चाहता था वो काम हो गया था अब तो बस ब्याह के दिन का इंतजार था ।आज रात रमनी को मेहंदी भी लगनी थी ।वो पहले ही गोपाल को पैसे दे आया था कि तुम बाजार से मेरे नाम की मेंहदी लाकर रमनी को दे देना बाकि का काम वो अपने आप कर लेगी।
रात रमनी के घर से गीतों की आवाज आ रही थी । औरतें ढोलक की थाप पर बन्नी गा रही थी
"लाड़ो तो म्हारी सरद पूनम का चांद री ।-2
महलों के नीचे नीचे सूरमा बिकत है
ले आओ री बन्नी आंख तेरे का सिंगार रे।….
जोगिंदर का मन तो बहुत कर रहा था कि एक बार अपनी रमनी को देख आये वो उसके नाम की मेंहदी लगा कर कैसी लग रही होगी ।पर उसे पिताजी का डर सता रहा था ।अब तो जो काम होगा वो तुरंत होगा सोचने समझाने का समय अब नही था ।
जोगिंदर मन मार कर सो गया ।आधी सी रात मे फिर उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसके पलंग के पास गुस्से ओर बेचैनी से टहल रहा है ।उसने महसूस किया वो चंचला ही थी।अब वो उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी ।आज चंचला गुस्से मे थी ।उसने जोगिंदर को सोते हुए झिंझोड़ दिया और बोली,"मैंने कहां था ना मुझ से दूर मत जाना।देखो मैं देख रही थी तुम उस बाग मे अपनी दोस्त को कैसे प्यार कर रहे थे ।वो दोस्ताना कही से भी नही लग रहा था ।"
जोगिंदर को जैसे झुंझलाहट सी होने लगी थी।वह खीज कर बोला,"चंचला तुम भी ना । क्या क्या सोचती रहती हो वो मेरी अच्छी दोस्त है बस । थोड़ा परेशान थी इसलिए उसे ढांढ़स बंधा रहा था ।एक बात तुम जानती हो ?
मै तुम्हारा सूरज नही हूं ।मै जोगिंदर हूं।सूरज और जोगिंदर मे सदियों का फासला है तुम समझती क्यों नही।"
जैसे ही जोगिंदर ने ये बात कही चंचला गुस्से से भर गयी और कमरे का सामान इधर से उधर पटकने लगी ।जिसका शोर सुनकर घर मे सभी उठ गये । जोगिंदर के पिताजी को उसकी मां ने सारी बात बता दी कि किस प्रकार जोगिंदर ऊपरी हवा की फेंट मे आ गया है अब तो साक्षात नजारा दिखाई दे रहा था । जोगिंदर के पिता को चिंता होने लगी इकलौता बेटा वो भी इस हालत मे । दोनों पति पत्नी ने सुबह ही ओझा जी के पास जाने का मन बना लिया।
(क्रमशः)