गतांक से आगे:-
नरेंद्र का घबराहट के मारे बुरा हाल था । आखिर जोगिंदर गया तो गया कहां? रात को तो अच्छा भला सोया था कमरे मे ।वह दौड़कर कमल और नोबीन के कमरे मे गया और उनसे सारी बात बताई ।वे चारों होस्टल में चारों ओर देखने लगे ।सभी कमरे, बाग बगीचे, स्नानघर सभी जगह देखा पर जोगिंदर कही नही मिला ।
किसी को तेरह नंबर कमरे की ओर ध्यान ही नही गया क्योंकि वह तो सदा बंद ही रहता था । लेकिन नरेंद्र को अचानक रात की बात याद आ गयी कि जोगिंदर कह रहा था कि वो लड़की पूरी कहानी जानने के लिए तेरह नंबर कमरे मे बुला रही थी ।वह बदहवास सा तेरह नंबर कमरे की ओर दौड़ा ।और उसके दरवाजे की झिरी में से झांक कर देखा तो उसे जोगिंदर का कुर्ता दिखाई दिया जैसे कोई पलंग से टेक लगाकर बैठा है ।
नरेंद्र ने तुरंत शोर मचा दिया,"मिल गया जोगिंदर, मिल गया वो रहा तेरह नंबर कमरे मे।पर हैरानी की बात ये है कि वो इस ताला लगे हुए दरवाजे के अंदर गया कैसे ?"
कमल और नोबीन और होस्टल के बहुत से लड़के उस ओर भागे । वास्तव में वो जोगिंदर ही था।उनमे से एक भागकर होस्टल के वार्डन को बुला लाया और सारी परिस्थितियों से अवगत होने के बाद वार्डन ने चोकीदार से कह कर उस कमरे का ताला तुड़वा दिया ।वे सब भाग कर अन्दर गये और जोगिंदर को देखा वो हाथ मे एक कागज को लिए सो रहा था ।उसके पैर के अंगुठे से खून निकल रहा था। नरेंद्र ने झिंझोड़कर जोगिंदर को जगाया वह हड़बड़ा कर उठा और जोर से चिल्लाया," नही ऐसा नही हो सकता।"
नरेंद्र ने उस पर पानी के छीटें डाले तो वह होश मे आया तब नरेंद्र बोला,"क्या नही हो सकता और मुझे ये बता तू इस बंद कमरे के अंदर आया कैसे ?"
नरेंद्र का दिमाग चकरा रहा था । क्यों कि ताला अभी अभी चौकीदार ने उसके आगे तोड़ा था फिर तालाबंद कमरे मे जोगिंदर कैसे पहुंचा।
जोगिंदर को जब होश आया तो उसने अपने आप को तेरह नंबर कमरे में पाया और पूछने लगा ,"मैममम यहां कैसे ?"
कमल और बाकी होस्टल के लड़के जो भीड़ लगाए बैठे थे वे भी पूछने लगे ,"हम भी तो यही पूछ रहे है कि तुम यहां कैसे?
इतनी भीड़ देखकर जोगिंदर की जबान तालू से चिपक गयी।अब उसे धीरे धीरे सारी बातें याद आ रही थी। नरेंद्र ने उसे यू चुप देखकर सब को एक तरफ किया और बोला,"भाईयों मुझे लगता है जोगिंदर पढ़ाई का ज्यादा बोझ ले रहा है शायद इसलिए ये नींद मे चल रहा है ।इसकी तबीयत थोडी खराब है ।मै इसे अपने कमरे मे ले जाता हूं ।" यह कहकर नरेंद्र ने जोगिंदर को उठाया और कमरे मे ले गया।
कमरे मे जाकर नरेंद्र ने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और बोला,"भाई अब बता ये कैसे हुआ तेरे साथ तू बंद कमरे के अंदर कैसे चला गया।"
जोगिंदर ने जो भी रात को घटित हुआ था वो सब नरेंद्र को बता दिया कैसे उसे किसी के रोने की आवाज आई वह उसका पीछा करता हुआ कमरा नं 13 मे पहुंच गया। वहां उसे रमनी का खत उस कमरे मे बिछे बिस्तर पर पड़ा दिखा ।वह हैरान रह गया कि वो वहां कैसे पहुंच गया ।
उसने किताब की सारी कहानी उसे बता दी और ये भी बता दिया कि वो लड़की और कोई नही इस महल के राजकुमार सूरज की पत्नी प्रेमिका चंचला है और उसका(जोगिंदर) का पहला जन्म ही सूरजसेन था।
इसलिए वह उसे बार बार दिखाई देती है और सुनाई देती है ।
रमनी का खत अभी भी जोगिंदर की मुठ्ठी मे फंसा पड़ा था ।जब नरेंद्र की नजर उस पर गयी तै वह बोला,"ये खत खोला किस ने ….. तुमने?"
जोगिंदर अचरज से उसे देखते हुए बोला,"ना यार ये खत भी यहां से उठाकर चंचला की आत्मा ही ले गयी थी कह रही थी इससे प्यार की खूशबू आ रही थी ।पर वो पढ़ी लिखी नही थी ना तो समझ नही पाई की खत मे क्या लिखा था।"
नरेंद्र बोला,"चल पढ़ तो सही रमनी ने क्या लिखा है चिठ्ठी मे ।वैसे वो लिखने वाली तो नही थी अगर उसने तुम्हें चिठ्ठी लिखी है तो जरूर कोई बात होंगी।"
यह कहकर नरेंद्र जोगिंदर को एकांत देकर बाहर चला गया मेस से उसके लिए नाश्ता लाने।
जोगिंदर ने पत्र पढ़ना शुरू किया।
जोगिंदर ,
कैसे हो ।तुमने वहां पहुंच कर कोई पत्र या तार कुछ भी नही भेजा ।बापू बता रहे थे कि जागीरदार साहब बड़े चिंतित हो रहे थे कि तुमने शहर जाकर कोई खबर नही की ।मै तुम से नाराज़ हूं ।मुझसे बिना मिले ही जा रहे थे वो तो मै समय पर पहुंच गयी वरना तुम चले जाते।
देखो तुम्हारे कहने से मै अब घर का काम सीखने लगी हूं ।और नुक्कड़ वाले लाला के लड़के से बतकुटी भी नही करती ।पता नही जब से तुम गये हो तुम्हारे बागों से आम तोड़ने का मन भी नही करता ।तुम कब आओगे।कल मां मामा के घर से आयी है ।मेरे लिए रिश्ता पक्का करके।पता नही क्यों मै तुम से क्यों कह रही हूं पर मेरा बिल्कुल मन नही है ये ब्याह करने का ।तुम जल्दी से आ जाओ और इस रिश्ते के लिए मां से मना करा दो।
रमनी
जोगिंदर पहले ही बेचैन था अब तो जैसे उसकी जान ही निकलने को हो गयी जब उसने ये पढ़ा कि रमनी का ब्याह पक्का हो गया है ।इतने मे नरेंद्र आ गया उसने जब पूछा की क्या लिखा है रमनी ने तो जोगिंदर की आंखों से डबाडब आंसू बहने लगे।
वह बोला,"यार चाची ने रमनी का रिश्ता पक्का कर दिया है ।ये कैसे हो सकता है रमनी किसी से शादी कैसे कर सकती है ?"
नरेंद्र झुंझलाहट भरी हंसी हंसते हुए बोला,"क्यों रमनी एक औरत नही है क्या जो किसी से शादी नही कर सकती ।रही बात तुम्हारी अगर तुम उसे जीवन भर ये ना कहोगे कि "तुम उसे अपनी जान से ज्यादा चाहते हो "
तो क्या वो इंतजार मे बुढ़ी हो जाए।नही भाई वो गांव है यहां लड़की जरा सी मुंडेर की लम्बाई से लम्बी हुई नहीं कि उसे पराये घर भेज देते है ।"
जोगिंदर बेचैनी से बोला,"क्यों वो भी तो मन ही मन मुझे चाहती है पर कहेगी नही कि प्यार करती है मुझे।अगर प्यार ना होता तो यू बदहवास भागी ना आती मुझ से मिलने ।और अब भी अपनी सगाई से खुश नही है ।"
नरेंद्र गुस्से से बोला,"तुम दोनों का कुछ नही हो सकता ।पहले आप पहले आप करते करते गाड़ी ही छूट जाएगी।"
जोगिंदर की बेचैनी को देखकर वह बोला,"तुझे क्यों फर्क पड़ रहा है ।भाड मे जाए रमनी ।कल करती आज कर ले शादी किसी से भी।"
"अबे चुप रह ।ऐसे कैसे किसी से ब्याह कर लेगी । दिलोजान से चाहता हूं मै उसे । मुझे अकेला छोड़कर कैसे चली जाएगी वो ।मै कल ही गांव जा रहा हूं ।देखता हूं चाची कैसे करती है उसका ब्याह।"
जोगिंदर ने ठान तो लिया था कि वह गांव जाकर रमनी की शादी रोकेगा और मां को कहेगा कि वो पिताजी को मनाएं इस बात के लिए ।पर उसे ये भी डर था कही चंचला जो उसे अपना पति समझती है उसकी आत्मा रमनी को कोई नुक्सान ना पहुंचा दे।
बस यही सोचते सोचते वो सारा दिन कमरे मे पड़ा रहा और अगले दिन गांव जाने का पक्का निश्चय करके वह सो गया।
(क्रमशः)