गतांक से आगे:-
जोगिंदर किताब पढ़ते पढते जैसे उसी दुनिया मे चला गया था लेकिन ये क्या वो इस महल के विषय मे जो कहानी पढ़ रहा था जो अब उसका होस्टल था ।जिसमे उसे बड़े ही अजीब अजीब अनुभव हो रहे थे।वो कहानी तो आधी ही थी मतलब उस मे आगे के पन्ने फटे हुए थे। जोगिंदर को बड़ी बेचैनी हो रही थी कि आखिर चंचला के साथ आगे क्या हुआ । वहां तक तो किताब में लिखा था कि राजकुमार की लाश राजमहल मे राजा पदमसेन ले आये थे लेकिन चंचला को इस विषय में कुछ नही पता था ।
सुबह के चार बजने वाले थे। जोगिंदर की पलके नींद से बोझिल हो गयी थी।वह सो गया । नरेंद्र अभी सो ही रहा था । जो बात सोचता सोचता वो सोया था वही बात जैसे वो सपने मे भी सोच रहा था तभी उसकी नजर तेरह नंबर कमरे पर पड़ी तो देखा वही लाल जोड़े वाली लड़की खड़ी थी और उदास आंखों से उसे देख रही थी ।इतने मे उसने हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया ।जब जोगिंदर उसके पास गया तो वह होले से बोली,"क्यों बेचैन हो? किताब मे पूरी कहानी नही मिली ना ।"
जोगिंदर ने ना मे सिर हिलाया तो वह बोली,"पूरी कहानी जाननी है तो कल रात इसी कक्ष के पास आ जाना।"
जोगिंदर देखता ही रह गया वो लड़की जैसे दरवाजे से गायब हो गयी थी।
सुबह आठ बजे नरेंद्र उसे जगा रहा था क्योंकि वह क्लास अटेंड करने जा रहा था जोगिंदर की नौ बजे की क्लास थी नरेंद्र को ऐसा लगा कही वह चला जाए और यह पीछे से सोता ही रह जाए। क्यों कि रात मे एक बार जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा था वह बेड पर बैठा किताब पढ़ रहा था । उसने उसे टोका भी था कि सो जा पर शायद वह क़िताब मे इतना मग्न था कि उसने सुना ही नही
जोगिंदर एक दम हड़बड़ा कर उठा और पूछा,"क्या टाइम हो गया?"
नरेंद्र गुस्से मे बोला,"टाइम तो जब बताऊं जब तुझे कोई होश हो ।भाई मेरे आठ बज गये है अभी तक तू उठा भी नही । फ्रेश होकर अभी नाश्ता भी करना है । क्या नौ बजे की क्लास अटेंड कर लेगा?"
जोगिंदर बोला,"हैहं मै इतनी देर सोता रहा ।चल तू चल मै तैयार होकर कालेज पहुंचता हूं ।"
नरेंद्र तो चला गया जोगिंदर जल्दी से फ्रेश होकर मेस मे नाश्ता लेने गया वहां से खा पी कर वह कालेज के लिए रवाना हो गया।
पता नही आज जोगिंदर को बड़ा हल्का महसूस हो रहा था पर मां पिताजी की भी बहुत याद आ रही थी । क्या पता चाचा लोग कोई षड्यंत्र ना रच रहे हो ।उसे शहर आये भी तो बहुत दिन हो गये थे ।वह इंस्पेक्टर साहब को बोल तो आया था देखो । भगवान करे सब ठीक हो ।और रमनी ना जाने उसके बगैर वो कैसे रह रही होगी। चाची तो जब वो गांव मे था तभी उसके लिए रिश्ते ढूंढ रही थी कही पीछे से रिश्ता ना पक्का करदे ।मै कैसे रहूंगा रमनी के बगैर ।बस यही सब कुछ सोचते सोचते वो ना जाने कब कालेज पहुंच गया ।उसने मन बना लिया था कि आज कालेज से आते समय वो टेलीग्राम करके हालचाल ज़रूर पूछेगा सबका।
जोगिंदर का सारा दिन कालेज मे बड़ा व्यस्त रहा ।वह पढ़ाई मे ध्यान देने लगा था ।वह भी सोचने लगा था कि वो किस काम के लिए शहर आया था और किस काम मे उलझ गया ।वह तो सब कुछ भुलता जा रहा था।अब उसने दिल कड़ा कर लिया कि और भी तो लड़के है होस्टल में ।वो ही क्यों इतना उलझा है इस बात मे ।वैसे सभी को पता है यहां पर कुछ तो अजीब है पर कोई भी मेरी तरह इसमे नही उलझा जैसे मै।
बस यही सब सोचते सोचते जोगिंदर डाकखाने पहुंच गया और वहां उसने अपने पिताजी से हालचाल पूछने के लिए टेलीग्राम कर दिया और फिर होस्टल आ गया । नरेंद्र पहले ही आ चुका था वह कमल और नोबीन के कमरे मे बैठा गप्पे हांक रहा था जोगिंदर की ही बात चल रही थी कि वो किस तरह से गांव का हीरो था लड़कियां जान देती थी उस पर । लेकिन हमारा हीरो सिर्फ एक पर जान देता था नाम है "रमनी" पर पठ्ठा कभी भी उससे ये नही बोला कि वो उसे चाहता है ।और रमनी भी बराबर की थोक थी वह भी इसे चिढ़ाने के लिए और दूसरे कक्षा के लड़कों से बात करती थी ।हमारा हीरो जलभुन कर राख हो जाता था
ना जाने कैसा प्यार है दोनों मे ।एक दूसरे को जताएं गे भी नही कि प्यार करते है एक दूसरे से और बिछुडने पर जान निकलती है दोनों की।
नरेंद्र ये बातें कर ही रहा था कि इतने मे जोगिंदर आ गया । जोगिंदर अंदर कमरे मे घुसते हुए बोला ,"ये किसका प्रशंसा पत्र पढ़ रहा है तू।"
नरेंद्र उसे देखकर हंसते हुए बोला ,"तेरा और किसका और हां रमनी की चिठ्ठी आयी है वही टेबल पर रखी है ।जा खाना भी वही रखा है खा ले । नरेन्द्र फिर से बातों मे मस्त हो गया ।
जोगिंदर फटाफट कमरे मे गया । वहां रमनी की चिठ्ठी मेज पर रखी थी।उसने उसे हाथ मे लिया तो ऐसा लगा जैसे रमनी ने होले से उसका हाथ पकड़ा हो।
जोगिंदर पहले नहाने धोने चला गया उसने सोचा कि पहले फ्रेश हो लूं फिर अराम से बैठकर अपनी रमनी की चिठ्ठी पढूंगा।वह जैसे ही नहा कर आया तो क्या देखता है रमनी की चिठ्ठी वहां टेबल पर से गायब थी ।उसे बड़ा गुस्सा आया ये नरेंद्र भी ना कभी भी कैसे भी मजाक कर लेता है उसे अच्छे से पता है मै रमनी को…..
वह गुस्से मे ही कमल और नोबीन के कमरे मे चला गया और नरेंद्र से पूछने लगा ,"यार तुम्हारा दिमाग सही है के नही तुमने रमनी की चिठ्ठी क्यों छुपाई।"
अब चौंकने की बारी नरेंद्र की थी वह एकदम से बोला,"दिमाग तुम्हारा खराब है जब से तुम आये हो मै यहां से हिला भी नही फिर चिठ्ठी छुपाने वाली बात कहां से आ गयी क्यों भाईयों मै यहां से हिला हूं?"
जब नरेंद्र ने ये बात कही तो जोगिंदर के शब्द हलक मे ही फंस गये
"फिर रमनी की चिठ्ठी गयी कहां???
(क्रमशः)