गतांक से आगे:-
दोनों जल्द से जल्द होस्टल पहुंच जाना चाहते थे। क्यों कि आज पहला दिन था हास्टल मे ।वो अपनी छवि खराब नही करना चाहते थे वार्डन के आगे।
जोगिंदर ने वार्डन से दो घंटे की महोलत मांगीं थी दो घंटे पूरे होने वाले थे। दोनों ने अपनी एंट्री की और अपने कमरे की ओर बढ़ चले। रास्ते मे कमल और नोबीन का कमरा पड़ता था जोगिंदर एक बारगी ठिठका उनके कमरे के आगे। क्यों कि जोगिंदर को नये नये दोस्त बनाने मे मजा आता था ।उसने झांक कर देखा नोबिन बैठा कोई किताब पढ़ रहा है ।वे दोनों अंदर चले गये। उन्हें देखकर नोबीन ने किताब बंद कर दी और बोला,"और मोशाय ले आये सामान ।"
तभी नरेंद्र बोला,"और क्या।इसे दो चार चीजें वहां गांव मे नही मिली थी वही लेने गया था।"
जोगिंदर की नजर उसकी किताब पर पड़ी उसने देखा वह महलों का विवरण था शायद ।उसकी उत्सुकता जागी उसने पूछ ही लिया,"ये क्या पढ़ रहे हो?"
नोबीन ने किताब को उठाकर उल्टा पुल्टा किया और बोला,"यार ये लाइब्रेरी मे पड़ी थी मेरी नजर पड़ गयी इसपर तो मै ले आया। मैंने तो अभी अभी पढ़नी शुरू की है ।शायद उज्जैन के महलों और राजघरानों का जिक्र है इसमे।"
नोबीन को शायद किताब समझ मे नही आयी थी । जोगिंदर ने देखा किताब पर लिखा था "उज्जैन के महल और उसके राजघराने"
जोगिंदर को किताब मजेदार लगी उसने नोबीन से कहा,"अगर तुम बुरा ना मानों तो इसे आज मै ले जाऊं अपने कमरे मे ।मै यहां के महलों के विषय मे जानने के लिए उत्सुक हूं मुझे ये राजघराने , महलों के रहस्य पढ़ने मे मजा आता है ।"
नोबीन बोला,"हां हां ले जाओ मोशाय ये भी कोई पूछने की बात है मै तो वैसे भी कल इसे लौटाने वाला था।"
इतने मे कमल भी तौलिया लपेटे गीले बालों को झाड़ता आ गया और उन दोनों को देखकर बोला ,"और आ गये तुम लोग बाजार से ।"
दोनों ने हां मे सिर हिलाया।तभी कमल खीजते हुए बोला,"यार पहले नंबर लगा लो तो ठीक है वरना स्नानघर मे लम्बी लाइन लग जाती है ।अब इतनी गर्मी है इंसान का मन तो करता ही है वो नहा कर फ्रेश हो जाए।"
"और सुनाओ कैसा रहा पहला दिन ।यार तुम्हें वही कमरा मिला और कमरा नहीं था होस्टल में?"
नरेंद्र जो काफी समय से चुप बैठा उनके कमरे का जायजा ले रहा था वह तपाक से बोला,"क्या करें एक ही कमरा बाकि रह गया था इस लिए लेना पड़ा ।माना थोड़ा अलग सा पड़ जाता है पर आस पास काफी शांति है ।"
कमल हंसते हुए बोला,"शांति तो होगी ही ना ।पास मे भूत जो रहते है।"
जोगिंदर एकदम से चौंकते हुए बोला,"क्या मतलब है तुम्हारा?"
कमल कंधे उचकाते हुए बोला,"भाई हम क्या पूरा होस्टल कहता है कि तुम्हारे साथ वाला जो कमरा बंद पड़ा है उसमे भूत रहते है।"
नरेंद्र चिढ़ते हुए बोला,"लोग भी ना क्या क्या बातें बनाते रहते है एक अच्छे बिचछे कमरे को भूतहा बना दिया है ।चाहे इस महल के राजघराने का सामना ही रखा हो इसमे पर लोग इसे भूत ही कहेंगे ।मै नही मानता इन बातों को।"
"कोई बात नही भाई मत मानों ।हमने भी कौन सा देखा है वो तो सभी कहते है कि इसके साथ वाले कमरे मे कोई रह नहीं पाता ,जो कमरा बंद पड़ा है।"
जोगिंदर को ये बात थोड़ा खटक गयी ।वह और नरेंद्र किताब लेकर अपने कमरे मे आ गये।
वास्तव मे वो कमरा बहुत शांत था सारे होस्टल का शोरगुल जैसे गायब सा हो जाता था उस कमरे मे आते ही ।वैसे पढ़ाई के लिए यह बहुत ही अच्छा माहोल था।
नरेंद्र चिढ़ते हुए बोला,"यार लोग भी ना किसी को खुश देखकर राजी नही है अब तू ही बता कितना शांत वातावरण है अपने कमरे के आसपास।"
जोगिंदर शंकित होकर बोला,"यार आग बिना धुंआ नही उठता । कोई ना कोई बात तो है यहां नही तो मुझे उस लड़की का इसी तेरह नंबर कमरे मे दिखाई देना और वह रो रही थी ।ऐसा लग रहा था जैसे कुछ कहना चाहती है ।वो रात को भी मेरे सपने मे आई थी और मुझे "सूरज नाम से बुलाकर उठा रही थी ।अभी रास्ते मे भी वो मुझे ऐसे लगा जैसे कोई कह रहा हो "उधर चलों ना ।"
अब नरेंद्र के पास इसका कोई उतर नही था । दोनों ने रात का खाना खाया और अपने कमरें मे आ गये। जोगिंदर को बड़ी बेचैनी हो रही थी वह ये देखना चाह रहा था कि उस किताब में यहां के राजमहलो और राज घरानों का जिक्र है तो जरूर इस महल का भी वर्णन होगा। नरेंद्र बहुत थक चुका था और सुबह उसकी आठ बजे की क्लास थी इसलिए वह तो ये कहकर सो गया कि उसे जल्दी उठना है।पर जोगिंदर को बड़ी उत्सुकता हो रही थी किताब पढ़ने की वह ये देखना चाहता था कि उस किताब मे इस महल का भी वर्णन है या नही।
वह फटाफट किताब लेकर अपने बैड पर आ गया और टेबल लैंप जला कर किताब खोलकर पढने लगा ।
सारी किताब के पन्ने उलटते हुए एक जगह उसकी नजर जम गयी ।उस पन्ने पर यही महल दिखाई दे रहा था ।वह अभी पढ़ने ही वाला था कि उसे फिर से पायल की छनछनाहट सुनाई देने लगी ।वह आवाज बिल्कुल उसके दरवाजे के पास से आ रही थी ।अब जोगिंदर से रहा नही गया उसने सोचा आज पता करके ही रहूंगा कि ये मेरा वहम है या वास्तव मे कोई आत्मा मुझसे सम्पर्क करना चाहती है।उसने किताब एक ओर रख दी और एक झटकें से पलंग से उठा और फटाफट दरवाजा खोल दिया ।तभी उसे लगा जैसे कोई दौड़कर गलियारे के अंत मे बने कमरा नं 13 की ओर भागा ।वह अपने कमरे से निकल कर जैसे ही उस कमरे की तरफ झांका ।उसे एक परछाईं सी उस कमरे मे जाती दिखाई दी।वह दौड़कर उस ओर लपका तो हैरान रह गया कमरा नं 13 के दरवाजे पर बड़ा सा ताला लटका हुआ था ।उसकी समझ मे नही आया वो परछाई उस बंद दरवाजे से अंदर कैसे चली गयी।वह हैरान परेशान अपने कमरे मे वापस आ रहा था तो दरवाजे पर रखी चीज देखकर ठिठक गया।
(क्रमशः)